नमस्कार, पीछे मैंने कुछ जगह ये बात सुनी कुछ ज्योतिषियों के मुख से के दही यदि प्राइवेट पार्ट पर लगायी जाए तो काफी आकर्षण आपके अंदर आ जाता है जिससे विपरीत लिंग के लोग आपकी ओर खासकर स्त्रियाँ आकर्षित होती है. इससे आपका शुक्र मजबूत होगा और आप एक परम आकर्षक व्यक्ति बन जाएंगे.
क्या ये बात सच है ? शायद नहीं
देखिये सच होती तो भूचाल आ चुका होता अब तक, क्यूंकि सेक्स और आकर्षण किसी की भी तपस्या खराब करने के लिए काफी है. ऐसा तो हमारे पुराने ग्रन्थ भी बताते आये है.
लेकिन यहाँ दो बाते है एक तो शिवलिंग पर विशेष पूजाओं में दही से स्नान होता है शायद लोगो के विचार में ये तर्क बहुत अच्छा जंच गया होगा के शिव लिंग को दही से धोया जा रहा है तो कोई रहस्य तो होगा. लेकिन शिवलिंग को तो शहद, मिटटी, अनेक चीज़ो से भी तो धोया गया है तो तर्क थोड़ा कमजोर हो गया.
एक बात और भी है के ज्योतिष के एक ग्रन्थ लाल किताब में ये उपाय दिया हुआ है जातक अपने प्राइवेट पार्ट को दही से धोये. और यही बात ज्योतिष के क्षेत्र में बड़ी प्रचलित भी है. हालाँकि ग्रन्थ कंही भी इस बात को नहीं कह रहा के इससे क्या होगा. मतलब दही लगाने से आपको क्या फायदा होने वाला है इसे लाल किताब ज्योतिष नहीं खोल रहा के क्या होगा. और वैसे भी ज्योतिष का कोई भी ग्रन्थ अपने भेद नहीं खोलता। ये भेद अगर खुल जाते तो प्रकृति से छेड़खानी की जाती. हालाँकि जो एक सच्चा विद्यार्थी होता है ग्रन्थ धीरे धीरे उसकी क्षमता के हिसाब से अपने रहस्य खोलता भी है. लेकिन आप बाजार गए किताब खरीद लाये रट्टा लगाया और कुर्ता पायजामा पहन कर सोचा के शुरू हो जाओ तो ऐसा तो नहीं हो सकता.
ऐसा बिलकुल नहीं हो सकता, तो हम अपने विषय पर दोबारा आते है दही पर. दही शायद हर देश में खायी जाने वाली फ़ूड आइटम है. ज्योतिष में दही शुक्र ग्रह से जोड़ कर देखी गयी है.
अब दही में एक विशेष बात है जो की सच में बड़ी विशेष है. दही में जो बैक्टीरिआ बनता है वही बैक्टीरिआ स्त्री योनि में भी बनता है. इस बैक्टीरिआ का नाम है "लैक्टोबेसिलस". ये दोनों विषयो में पाया जाता है शायद ज्योतिष्कारों को इसकी समझ रही होगी.
लेकिन दही में ये होने से इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता के ये आकर्षण का कारण बनेगा। हालाँकि शुक्र पंचम भाव में होने पर ये माना गया के शुक्र जली हुई मिटटी की तरह होगा जिसका एक मलतब है के प्राइवेट पार्ट की गर्मी बढ़ेगी और नुकसान का कारण बनेगी जिसमे से एक नुकसान इन्फेक्शन भी होगा. हाँ कुछ मेडिकल रिसर्च ये बात मानती भी है के प्राइवेट पार्ट का इन्फेक्शन होने पर ये फायदा दे सकती है.
क्या ये बात सच है ? शायद नहीं
देखिये सच होती तो भूचाल आ चुका होता अब तक, क्यूंकि सेक्स और आकर्षण किसी की भी तपस्या खराब करने के लिए काफी है. ऐसा तो हमारे पुराने ग्रन्थ भी बताते आये है.
लेकिन यहाँ दो बाते है एक तो शिवलिंग पर विशेष पूजाओं में दही से स्नान होता है शायद लोगो के विचार में ये तर्क बहुत अच्छा जंच गया होगा के शिव लिंग को दही से धोया जा रहा है तो कोई रहस्य तो होगा. लेकिन शिवलिंग को तो शहद, मिटटी, अनेक चीज़ो से भी तो धोया गया है तो तर्क थोड़ा कमजोर हो गया.
एक बात और भी है के ज्योतिष के एक ग्रन्थ लाल किताब में ये उपाय दिया हुआ है जातक अपने प्राइवेट पार्ट को दही से धोये. और यही बात ज्योतिष के क्षेत्र में बड़ी प्रचलित भी है. हालाँकि ग्रन्थ कंही भी इस बात को नहीं कह रहा के इससे क्या होगा. मतलब दही लगाने से आपको क्या फायदा होने वाला है इसे लाल किताब ज्योतिष नहीं खोल रहा के क्या होगा. और वैसे भी ज्योतिष का कोई भी ग्रन्थ अपने भेद नहीं खोलता। ये भेद अगर खुल जाते तो प्रकृति से छेड़खानी की जाती. हालाँकि जो एक सच्चा विद्यार्थी होता है ग्रन्थ धीरे धीरे उसकी क्षमता के हिसाब से अपने रहस्य खोलता भी है. लेकिन आप बाजार गए किताब खरीद लाये रट्टा लगाया और कुर्ता पायजामा पहन कर सोचा के शुरू हो जाओ तो ऐसा तो नहीं हो सकता.
ऐसा बिलकुल नहीं हो सकता, तो हम अपने विषय पर दोबारा आते है दही पर. दही शायद हर देश में खायी जाने वाली फ़ूड आइटम है. ज्योतिष में दही शुक्र ग्रह से जोड़ कर देखी गयी है.
अब दही में एक विशेष बात है जो की सच में बड़ी विशेष है. दही में जो बैक्टीरिआ बनता है वही बैक्टीरिआ स्त्री योनि में भी बनता है. इस बैक्टीरिआ का नाम है "लैक्टोबेसिलस". ये दोनों विषयो में पाया जाता है शायद ज्योतिष्कारों को इसकी समझ रही होगी.
लेकिन दही में ये होने से इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता के ये आकर्षण का कारण बनेगा। हालाँकि शुक्र पंचम भाव में होने पर ये माना गया के शुक्र जली हुई मिटटी की तरह होगा जिसका एक मलतब है के प्राइवेट पार्ट की गर्मी बढ़ेगी और नुकसान का कारण बनेगी जिसमे से एक नुकसान इन्फेक्शन भी होगा. हाँ कुछ मेडिकल रिसर्च ये बात मानती भी है के प्राइवेट पार्ट का इन्फेक्शन होने पर ये फायदा दे सकती है.
लेकिन फिर भी बात पूरी नहीं होती क्यूंकि लाल किताब 1940 -1950 के समय लिखी हुई पुस्तक है जब दही बनाने के लिए जली हुई मिटटी यानी मिटटी का कुंडा इस्तेमाल किया जाता था और आज के समय में दही बनाने की विधि अलग है और यही बात मेडिकल भी मानता है के हर दही वही बैक्टीरिआ नहीं बना पा रहा जो स्त्री योनि में से निकलता है.
तो यहाँ बात ये है के ज्योतिष के सूत्र कारगर तो है इसमें कोई दो राय नहीं है और हर मापदंड पर सही है लेकिन कुछ लोग इन्हे जांचे परखे बिना उठा लाते है और अपने साथ पुरे ज्योतिष का मज़ाक उड़वाते है. मै अंत में एक बात दोबारा बोलूंगा के ज्योतिष अपने भेद कभी नहीं खोलता और ज्योतिष का शिष्य भी उनकी गरिमा बनाये रखता है.
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