आज बात करते है कुंडली में मंगल ग्रह की, ये होता क्या है आज हम समझते है.
मंगल, युद्ध के देवता, मेष राशि ोे वृश्चिक के शासक हैं। ज्योतिष में, मंगल ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का ग्रह है। यह जीवित रहने की वृत्ति है और इसे मनुष्य के "बचे हुए" पशु स्वभाव के रूप में माना जा सकता है जब इंसान सिर्फ जीवित रहने की इच्छा रखता है तब उसका दिमाग सिर्फ भोजन तक सीमित होता है जिसे अन्नमय कोष भी कह सकते है. और उस समय इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं होता क्यूंकि परम उद्देश्य भोजन ही होता है.
मंगल हमारे गुस्से, आक्रमण और जीवित रहने के लिए लड़ाई करने पर ज्यादा ध्यान देता है. खाने और जिन्दा रहने के बाद जानवर की दूसरी इच्छा सेक्स से संबंधित होती है जिसे वासना भी कह सकते है ध्यान रखिये शुक्र ग्रह प्यार का है रोमांस का है लेकिन वासना मंगल से आती है.
मंगल सबसे बुनियादी शारीरिक आकर्षण से जुड़ा है इसका आत्मा से लेना देना नहीं । लेकिन मंगल की सबसे अलग खासियत यह है के यह क्रिया का ग्रह है न कि प्रतिक्रिया का। मंगल के साथ क्रिया से पहले चिंतन नहीं होता। मंगल से जुड़ी ड्राइव सूर्य से भिन्न है क्योंकि सूर्य इच्छाशक्ति का स्वामी है लेकिन मंगल तो सिर्फ आत्म विश्वास पर चलता है. इसमें कोई क्रिएटिविटी नहीं।
मंगल ऊर्जा का ग्रह है पॉजिटिव ऊर्जा जो हमें सुबह उठाने और नींद से जगाने में मदद करती है एक अच्छा मंगल
स्पष्टवादी और साहसी होते हैं। नकारात्मक पक्ष पर, हम आवेगी, उतावले, अधीर, आक्रामक और बलशाली हो सकते हैं।
चार्ट में, कुंडली में मंगल की स्थिति हमारी सेक्सुअल नेचर को दर्शाती है, हम अपने क्रोध (हमारा स्वभाव) को कैसे व्यक्त करते हैं, हमें क्या गुस्सा आता है, और कार्य करने की हमारी पहली प्रवृत्ति है। हमारा प्रतिस्पर्धी स्वभाव मंगल की राशि के स्वभाव में प्रकट होता है। मंगल की स्थिति जीवन के उन क्षेत्रों को दर्शाती है जहां हम अपनी ड्राइव को लागू करते हैं और अपना उत्साह व्यक्त करते हैं। मंगल के संपर्क में आने वाले ग्रह क्रिया और आत्म-विश्वास से रंगे होते हैं। ये ग्रह हमारे द्वारा खोजे जाने वाले अनुभवों के प्रकारों का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
जैसे चौथी राशि वाला मंगल क्या कहेगा के लड़ाई से बचना ही सबसे अच्छा है. यह स्थिति निष्क्रिय-आक्रामकता की ओर झुकती है।सीधे टकराव से दूर भागते हैं।, वे कई बार धीमी गति से दिखाई देते है.
कर्क राशि में ऊर्जा अंदर की और जाती है जैसा पानी का स्वाभाव है लेकिन मंगल को तो बाहर की ऊर्जा चाहिए इसलिए मंगल यंहा नीच हो जाता है. हालाँकि ये लोग अंदर ही अंदर घुट सकते है जब तक ये अपनी ऊर्जा बाहर ना निकाले इसमें सेक्स इनकी हेल्प करता है इसके अलावा दुसरो की मदद करे तो ये ठीक रहते है.
छठे राशि में ये उत्पादक और व्यस्त लोग लक्ष्य-उन्मुख, व्यावहारिक लोग होते हैं। हालाँकि कभी-कभी वे थोड़े बिखरे हुए भी हो सकते हैं, क्योंकि वे किसी भी समय बहुत सारे काम कर रहे होते हैं, कन्या राशि के मंगल जातक काम को अच्छी तरह से कर लेते हैं! उनके पास एक साथ कई प्रकार के कार्यों को संभालने की आदत है, और एक ही समय में शायद बहुत अधिक कार्य करने की प्रवृत्ति है।
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में मंगल(Mars) ग्रह(Grah) क्रोधी स्वभाव, लाल रंग, धैर्य एवं पराक्रम का प्रतीक एवं दक्षिण दिशा में बलवान माना जाता है | पित् विकार, साहस में कमी, गर्मी, रक्तचाप, गुप्तांगो में रोग का विचार भी मंगल ग्रह से किया जाता है |इसके अलावा वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार मंगल(Mars) ग्रह(Grah) से गुर्दा, मसपेशियाँ, पेट से पीठ तक कमजोरी, बुखार, चोट लगना, जलना, चेचक, खसरा आदि का विचार भी किया जाता है |
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में मंगल(Mars) ग्रह(Grah) सैनिक है। मंगल व्यक्ति के जीवन में लड़ने की क्षमता ,दोस्तों और भाईचारे का भी प्रतिनिधित्व करता है। सबसे बड़ी बात मंगल व्यक्ति की इच्छा शक्ति का भी प्रतिनिधित्व करता है। जीवन में लक्ष्यों का पीछा करने और हमला सहने और हमला करने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करता है। मंगल यौन ऊर्जा का प्रसारक भी है। शुक्र रचनात्मकता है तो मंगल(Mars) ग्रह(Grah) उग्र ऊर्जा है। इसलिए शुक्र और मंगल का मेल जगजाहिर है। मंगल सहनशक्ति का भी कारक है और कामेच्छा को व्यक्त करने का माध्यम भी
वैदिक ज्योतिष(Vedic Astrology) के अनुसार कुंडली(Kundli) में मंगल(Mars) ग्रह(Grah) मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी होने के साथ साथ छोटे भाई – बहिन, भूमि, सेना, शत्रु, क्रोध, ऑपरेशन, पुत्र-संतान, तांबा एवं सोना का करक एवं 3, 6 एवं 10 भावो का भी कारक होता है ।
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