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वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की कथा - vastu purush

   वास्तु शास्त्र के दूसरे लेक्चर में बात करते है वास्तु पुरुष की जिसके बिना वास्तु शास्त्र की शुरुआत भी नही की जा सकती, प्राचीन काल में अंधकासुर नाम का राक्षस हुआ जिससे युद्ध करते समय भगवान शिव को पसीना आ गया, पसीने की बूँद जब पृथ्वी पर गिरी तो भयानक सा प्राणी उतपन्न होने लगा. देवताओं ने मिलकर उसे जमीन पर टिक दिया औंधे मुह और उस पर निवास किया।

सिंह राशि आसान भाषा में - leo rashi astrology

आज बात करते है सिंह राशि की. सिंह राशि की डिग्री 120-150 होती है. ये भचक्र की पांचवी राशि है और इसके स्वामी सूर्य है जो प्राण दाता माने जाते है. ये एक तरह से बहुत प्रबल राशि है. जो नाम शौहरत और बदनामी दे सकती है.  इसका तत्व अग्नि है और ये एक स्थिर राशि है. यानी ऊर्जा हर समय होगी लेकिन दिशा क्या होगी वो पता नहीं। सिंह राशि की आत्मा और स्वभाव की तुलना एpक पौराणिक चरित्र देवमानव (नेफिलिम) से की गई है। कथाओं के अनुसार यह इंसान और देवता की संतान होते हैं जो सामान्य मनुष्यों की तुलना में आकार में बड़े, लंबे और ताकतवर होते हैं।ये देखने में स्वर्ग के देवताओं के समान सुंदर होते हैं जिनके पास पंख भी होते है। सिंह राशि के जातक भी इन्हीं के समान आकर्षक, मजबूत और विलासितापूर्ण जीवन के आदी होते हैं। सूर्य का अंश इनके अंदर हमेशा झलकता है. इसका सिंबल एक शेर है, इस राशि की ख़ास बात बताता हूँ के इस राशि की स्थिति कुंडली में कैसी ये जाने बिना राज गद्दी नहीं मिल सकती। कम खाना और ज्यादा मज़े करना इनकी फितरत में होता है, अब मज़े के बजाये इन्होने होनी ऊर्जा कही और मोड़ रखी है वही परेशानी है.  शुरुआती दिनों में सु

समझे राहु और केतु को आसान भाषा में - understand rahu ketu

मै प्रतीक गुप्ता आज एक नया सूत्र लेकर आया हु, आज हम बात करेंगे राहु-केतु ग्रह के ऊपर. राहु-केतु एक रहस्मयी ग्रह है, राहु और केतु के बारे जैसा हम जानते के ये एक ही असुर जिसका नाम स्वर्भानु था उसके ही रूप है, असुर ने चुपके से अमृत का सेवन कर लिया था लेकिन विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सर काट दिया जिससे दो टुकड़े हो गए एक टुकड़ा जो सर था वो राहु बना और धड़ केतु बना. 

सूर्य का ऋण जन्म कुंडली के अनुसार - jyotish sutra about sun and past karma

आज हम बात करते है एक ऐसे ज्योतिष सूत्र की जो सूर्य से संबंधित है लेकिन इसकी पहचान व्यक्ति को खुद करनी होती है. देखिये कुछ ज्योतिष सूत्र इस तरह से बने होते है जिसमे जातक के घर की स्थिति, शरीर की स्थिति से ही पता लगाया जाता है के असल परेशानी का कारण क्या है. जन्म पत्रिका में प्रारब्ध यानी पहले से लिखे हुए फल भी होते है तो जन्म पत्रिका पिछले जन्म या जिस घर में जन्म हुआ है उन दोषो का भी पता बता देती है. 

कुंडली में ग्यारहवे भाव के स्वामी के सभी भावो में फल - eleventh house lord in different house astrology

 नमस्कार, आज बात करते है जन्म कुंडली ग्यारहवें भाव का स्वामी कुंडली के अन्य भावो में जाकर बैठ जाए तो क्या फल मिल सकता है. ज्योतिष शास्त्र में ग्यारहवां भाव लाभ का भाव माना जाता है. जितना ताकतवर ये भाव होता है हमारी लाभ की मात्र उतनी तीव्र और ज्यादा होती है. सबसे पहले तो हम बात करते है ग्यारहवा भाव किन किन मुद्दों को दर्शाता है.  एकदश भाव को प्राप्ति भाव बताया गया है. देखिये प्राप्ति शब्द का मतलब समझिये हम कंही भी जाए कुछ भी करे हर वक़्त कुछ न कुछ प्राप्त कर रहे होते है अब यदि ग्यारहवा भाव अच्छा है तो हम हर समय कुछ न फायदे वाले कर्म में ही लगे रहेंगे। इसे ऐसा समझिये आज कल काफी लोग सोशल मीडिया पर रील्स देखते है लेकिन काफी लोग उन रील्स को बनाकर ही पैसा कमा रहे है ये है ग्यारहवे भाव की ताकत। और जब इन्ही के माध्यम से आपको बहुत बड़े वर्ग द्वारा सम्मान दिया जाए उसमे ग्यारहवे भाव का योगदान रहता है. हमने बात की थी के मान सम्मान दशम भाव से देखा जाता है लेकिन जब ये सम्मान बहुत बड़े दर्ज़े का हो तो एकादश भाव का भी बली होना जरुरी है.  हमारे बड़े भाई बहन, मित्र इसी भाव से देखे जाते है. शुभ सुचना किसी भी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उधार किसे नहीं देना चाहिए - money credit rules of astrology

 नमस्कार दोस्तों  ज्योतिष सूत्र की सीरीज में आज हम बात करते है के कुंडली में उधार पैसा कब वापस नहीं आता और यदि फंस गया है तो कैसे निकलवा सकते है.  दोस्तों कर्ज मुक्ति से संबंधित तो आप बहुत सारे वीडियो देखते होंगे काफी पोस्ट भी  पढ़ी होंगी लेकिन काफी लोग ये प्रश्न करते है के हमने पैसा उधार दिया था वो वापस नहीं आ रहा. चाहे मित्र को दिया या किसी काम धंधे से संबंधित उधार। लेकिन अब फंस गया है तो क्या किया जाए.  मै कोई दूसरे मुद्दे पर ना जाते हुए सिर्फ इसी विषय पर चर्चा करूँगा और वीडियो में हम जानेंगे के इसके उपाय क्या हो सकते है.  सबसे पहले समझिये के ऋण के कारक ग्रह मंगल देव होते है और कुंडली में छठा भाव ऋण का होता है जिसके स्वामी बुध देव और केतु  देव है जो मंगल से विपरीत स्वभाव के ग्रह माने जाते है.  कुंडली में मंगल देव का संबंध जब भी छठे भाव से बनेगा तो ऋण वापस आने में तकलीफ होगी ही होगी।  इसके दो कारण बनते है पहला कारण ये है के  मंगल के शत्रु बुध यानी बिज़नेस और केतु जो गड्ढे का कारक होता है तो ऐसे लोग जिनकी कुंडली में मंगल का संबंध छठे भाव से है तो जब ये ऋण देते है तो लेने वाले के बुध और

crystal class 8/50 smoky quartz

  स्मोकी क्वार्ट्ज सबसे कुशल ग्राउंडिंग और एंकरिंग स्टोन में से एक है और साथ ही ध्यान के दौरान कंपन को बढ़ाता है। इस सुरक्षात्मक पत्थर का पृथ्वी और आधार चक्रों के साथ एक मजबूत संबंध है*, पर्यावरण और पारिस्थितिक समाधान के लिए एक चिंता को बढ़ावा देता है। यह पत्थर तनाव के लिए एक शानदार मारक है। यह समभाव के साथ कठिन समय को सहन करने में सहायता करता है, संकल्प को मजबूत करता है। ग्राउंडिंग आध्यात्मिक ऊर्जा और धीरे-धीरे नकारात्मक स्पंदनों को बेअसर करना, स्मोकी क्वार्ट्ज़ जियोपैथिक तनाव को रोकता है*, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्मॉग* को अवशोषित करता है, और सभी स्तरों पर उन्मूलन और विषहरण में सहायता करता है। यह अंतरिक्ष को भरने के लिए सकारात्मक कंपन लाता है। स्मोकी क्वार्ट्ज़ आपको सिखाता है कि ऐसी किसी भी चीज़ को पीछे कैसे छोड़ना है जो अब आपके काम नहीं आती। अशांत पृथ्वी ऊर्जा के क्षेत्र में पैरों के नीचे पृथ्वी चक्र और इसकी ग्राउंडिंग कॉर्ड की रक्षा के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। मनोवैज्ञानिक रूप से, स्मोकी क्वार्ट्ज डर से राहत देता है, अवसाद को दूर करता है और भावनात्मक शांति लाता है। यह अवतार में ह

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