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कुंडली में ग्रहण योग का सच

ग्रहण का मतलब होता है ग्रास करना या खा जाना तथा इसी प्रकार ऐसा माना जाता है कि राहु अथवा केतु में से किसी एक के सूर्य  के साथ स्थित हो जाने से ये ग्रह सूर्य का कुंडली में फल खा जाते हैं जिसके कारण जातक को अपने जीवन के सूर्य से जुड़े क्षेत्रों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।  वैदिक ज्योतिष में ग्रहण योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यदि किसी कुंडली में सूर्य  के साथ राहु अथवा केतु में से कोई एक स्थित हो जाए तो ऐसी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है।  कुछ वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि किसी कुंडली में यदि सूर्य  पर राहु अथवा केतु में से किसी ग्रह का दृष्टि आदि से भी प्रभाव पड़ता हो, तब भी कुंडली में ग्रहण योग बन जाता है।  अगर वैज्ञानिक ढंग से इस ग्रहण योग अध्ययन करते हैं तो हम देखें राहु तथा केतु प्रत्येक राशि में लगभग 18 मास तक रहते हैं, सूर्य एक राशि में लगभग एक महीने तक रहते हैं.  मान लीजिए कि राहुआज के समय में मिथुन राशि में स्थित हैं तथा केतु धनु राशि में स्थित हैं। जब जब सूर्य गोचर करते हुए इन दोनों राशियों में से किसी एक राशि में आएंगे तथा एक महीने तक इस राशि में रहेंगे, इस बीच

लाजावर्त मणि

लाजावर्त मणि नाम- हि. लाजवर्द, लाजावर्त, राजावर्त, अं. लैपिस लैजूली। आयुर्वेद निघण्टु के धातु वर्ग में इस पत्थर के बारे में लिखा मिलता है, ये क्रिस्टल ठंडा, पित्त को दूर करने वाला, माइग्रेन, वमन और हिचकी की दिक्कत को ठीक करता है. ये नील रंग का  चिकना पत्थर होता है, जिसमे gold का कुछ अंश मिला होता है. निघण्टु शास्त्र के अनुसार राहु ग्रह से जुडी किसी भी बाधा दूर करने के लिए उपयोग करते है.  इसका ज्यादा संबंध आज्ञा चक्र और throat चक्र से जुड़ा होता है.  इस मणि का रंग मयूर की गर्दन की भाँति नील-श्याम वर्ण के स्वर्णिम छींटों से युक्त होता है इसके प्रभाव से बल, बुद्धि एवं शक्ति की वृद्धि होती है.  भूत, पिषाच, दैत्य, सर्प आदि का भय दूर करने के लिए lapis का यूज़ किया जाता है। अन्य रत्नों की भांति इस मणि में भी दोष पाये जाते हैं। दोषी मणि को धारण करना अशुभ फलदायक होता है इसलिए सदैव निर्दोष मणि ही धारण करना चाहिए। खून साफ़ करने और बाल झड़ने में ये फायदा करता है, चक्क्र आना और ब्लड प्रेशर low की दिक्कत में ये फायदा करता है. 

packed water क्यों नहीं पीना चाहिए

आज चर्चा करते हैं के पुराना packed water क्यों नहीं पीना चाहिए, इससे क्या नुकसान होते है और क्यों. आइये जानते है.  why packed water injurious to health जो भी जल बहता है और वाष्पित होकर उड़ने का गुण रखे वो जल है, कोई भी जल जब हवा से दूर रहता है तब उसके अंदर के minerals समाप्त होने लगते है जिसके सेवन से नुक्सान संभव है.  जब हम उसे बोतल में रखते है और हवा से दूर कर देते है तो जल अपने गुण खोने लगता है और धरती तत्व के गुण अपने अंदर ले आता है जिससे जो जल आप पियोगे उसके पचने में ज्यादा समय लगेगा तक़रीबन 5 घंटे जो की एक नार्मल जल 2 घंटे में डाइजेस्ट हो जाता है. अब देर से पचेगा तो अपच व् कब्ज़ की समस्य उतपन्न हपगी जो की किसी भी बीमारी का प्रथम कारण है.  इसके अलावा शरीर  का जल तत्व खराब होने से डिप्रेशन, मेंटल peace, career इन सब पर प्रभाव पड़ेगा. घड़े का पानी इसका अपवाद है, साथ ही चांदी व् सोने के बर्तन में रखा पानी भी इसका अपवाद है क्यूंकि इनसे जल के गुण चिरकाल तक बचे रह जाते है. 

वास्तु दोष दूर करने का आसान उपाय

ये उपाय उनके लिए है जिनका प्रॉपर्टी से जुड़ा बिज़नेस है चाहे किसी भी प्रकार का हो कमीशन, बिल्डर, डीलर। ये उपाय विश्वकर्मा दिवस के दिन या किसी भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन करना चाहिए.  विश्वकर्मा जी की तस्वीर को उस दिन अपने घर उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में या घर के किसी ऐसे स्थान पर लगाना है जहां घर में घुसते ही उस पर नज़र जरुर पड़े, ये उपाय अपने ऑफिस में भी कर सकते है.  इसके बाद उस स्थान पर विश्कर्मा जी से जुड़ा कोई भी मन्त्र करना चाहिए, नित्य एक माला 43 दिन तक.  यदि घर में कोई प्रबल वास्तु दोष है तो मंत्र सवा लाख करने से वास्तु दोष क्षीण पड़ जाता है.  एक मन्त्र आपको बता देता हूँ जो बड़ा ही आसान है.                       "ॐ नमो विश्वकर्मणे" वास्तु व् ज्योतिष से संबंधित कोई प्रश्न के लिए कॉल कर सकते है 9899002983 (paid service)

इंसान होने का दुःख

16 जनवरी को वाघा बॉर्डर पर पहुंचे सब कुछ अच्छा चल रहा था, शाम को डेली होने वाली ceremony चल रही थी, दूर से पाकिस्तान की दीवार दिख रही थी वहाँ की तरफ बैठे लोग भी. इतनी पास थे फिर भी बहुत ज्यादा दूर अचानक ऊपर की तरफ जब मैंने देखा कुछ पक्षी मंडराते हुए उस तरफ जा रहे थे मै उन्हें दूर तक देखता ही रहा, सच मे पहली बार इंसान होने का दुःख हुआ. यही सोचने में दिन निकल गया के इंसान होके क्या पा रहा हूँ क्या खो डाला.  ऐसा ही हमारे साथ जिंदगी में होता है हम अपनी सरहदें खुद ही बना लेते हैं सोचने का एक निश्चित दायरा बना लेते है, एक महान धर्म में पैदा हुआ हूँ लेकिन धर्म के चश्मे से बाहर निकले बिना आध्यात्मिक तरक्की होनी मुश्किल है. एक निश्चित सीमा से बाहर निकले बिना काम नहीं बनने वाला, ये वो पक्षी सीखा के निकल गए मेरे को. ये मेरे धर्म का है, ये मेरे को क्या देगा, इससे भविष्य में क्या फायदा है, ये मेरा कौन लगा, मैं कुछ हूँ मेरा मान सम्मान ?? सीमाएं छोटी होती जा रही है.

कलगी भी करती है फायदा

सेहरे या पगड़ी पर जो क्लिप लगता है उसे कलगी कहते है, लाल किताब ज्योतिष के अनुसार ये सूर्य ग्रह से संबंधित होती है. पुराने समय में इसका काफी प्रयोग होता था लेकिन आज के समय में ये बहुत कम उपयोग होता है लेकिन फिर भी इसका उपयोग करके काफी फायदा लिया जा सकता है.   सूर्य अगर कुंडली में अच्छी स्थिति में है या सूर्य को बल देना चाहते है तो महत्वपूर्ण जगहों पर कलगी को जेब में डाल कर जाएं या पगड़ी पहनते है तो इसे लगाकर जाए.

शनि गुरु में समानता

शनि और गुरु ग्रह में फर्क करना आसान नहीं, केला ख़सख़स स्वाद का होता है शनि के गुण भी विद्यमान है, शनि का वर्ण काला है, काले में किसी का रंग नहीं चढ़ता गुरु की भी यही पहचान है.  तत्वानुसार  गुरुतत्व का  स्वाद  कड़वा होता है क्यूंकि वो सच्चा होता है लेकिन स्वाद शनि को कड़वा मिला. पश्चिम दिशा शनि देव जी की है पश्चिम दिशा वास्तु अनुसार अवचेतन मन और ज्ञान प्राप्ति की है और ब्राह्मण के लिए शुभ है. गुरु ग्रह को ईशान में स्थान मिला, अपना दिमाग भी लगाएं नकली धर्मगुरु बहुत है. सभी आडम्बरों से मुक्त करना गुरु कर्तव्य है जिसकी पतरी में गुरु अच्छा वो आडम्बर में नहीं फंसता लेकिन यथार्थ में अच्छे शनि वाले ही नहीं फंसते. 

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