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packed water क्यों नहीं पीना चाहिए

आज चर्चा करते हैं के पुराना packed water क्यों नहीं पीना चाहिए, इससे क्या नुकसान होते है और क्यों. आइये जानते है.  why packed water injurious to health जो भी जल बहता है और वाष्पित होकर उड़ने का गुण रखे वो जल है, कोई भी जल जब हवा से दूर रहता है तब उसके अंदर के minerals समाप्त होने लगते है जिसके सेवन से नुक्सान संभव है.  जब हम उसे बोतल में रखते है और हवा से दूर कर देते है तो जल अपने गुण खोने लगता है और धरती तत्व के गुण अपने अंदर ले आता है जिससे जो जल आप पियोगे उसके पचने में ज्यादा समय लगेगा तक़रीबन 5 घंटे जो की एक नार्मल जल 2 घंटे में डाइजेस्ट हो जाता है. अब देर से पचेगा तो अपच व् कब्ज़ की समस्य उतपन्न हपगी जो की किसी भी बीमारी का प्रथम कारण है.  इसके अलावा शरीर  का जल तत्व खराब होने से डिप्रेशन, मेंटल peace, career इन सब पर प्रभाव पड़ेगा. घड़े का पानी इसका अपवाद है, साथ ही चांदी व् सोने के बर्तन में रखा पानी भी इसका अपवाद है क्यूंकि इनसे जल के गुण चिरकाल तक बचे रह जाते है. 

वास्तु दोष दूर करने का आसान उपाय

ये उपाय उनके लिए है जिनका प्रॉपर्टी से जुड़ा बिज़नेस है चाहे किसी भी प्रकार का हो कमीशन, बिल्डर, डीलर। ये उपाय विश्वकर्मा दिवस के दिन या किसी भी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन करना चाहिए.  विश्वकर्मा जी की तस्वीर को उस दिन अपने घर उत्तर-उत्तरपश्चिम दिशा में या घर के किसी ऐसे स्थान पर लगाना है जहां घर में घुसते ही उस पर नज़र जरुर पड़े, ये उपाय अपने ऑफिस में भी कर सकते है.  इसके बाद उस स्थान पर विश्कर्मा जी से जुड़ा कोई भी मन्त्र करना चाहिए, नित्य एक माला 43 दिन तक.  यदि घर में कोई प्रबल वास्तु दोष है तो मंत्र सवा लाख करने से वास्तु दोष क्षीण पड़ जाता है.  एक मन्त्र आपको बता देता हूँ जो बड़ा ही आसान है.                       "ॐ नमो विश्वकर्मणे" वास्तु व् ज्योतिष से संबंधित कोई प्रश्न के लिए कॉल कर सकते है 9899002983 (paid service)

इंसान होने का दुःख

16 जनवरी को वाघा बॉर्डर पर पहुंचे सब कुछ अच्छा चल रहा था, शाम को डेली होने वाली ceremony चल रही थी, दूर से पाकिस्तान की दीवार दिख रही थी वहाँ की तरफ बैठे लोग भी. इतनी पास थे फिर भी बहुत ज्यादा दूर अचानक ऊपर की तरफ जब मैंने देखा कुछ पक्षी मंडराते हुए उस तरफ जा रहे थे मै उन्हें दूर तक देखता ही रहा, सच मे पहली बार इंसान होने का दुःख हुआ. यही सोचने में दिन निकल गया के इंसान होके क्या पा रहा हूँ क्या खो डाला.  ऐसा ही हमारे साथ जिंदगी में होता है हम अपनी सरहदें खुद ही बना लेते हैं सोचने का एक निश्चित दायरा बना लेते है, एक महान धर्म में पैदा हुआ हूँ लेकिन धर्म के चश्मे से बाहर निकले बिना आध्यात्मिक तरक्की होनी मुश्किल है. एक निश्चित सीमा से बाहर निकले बिना काम नहीं बनने वाला, ये वो पक्षी सीखा के निकल गए मेरे को. ये मेरे धर्म का है, ये मेरे को क्या देगा, इससे भविष्य में क्या फायदा है, ये मेरा कौन लगा, मैं कुछ हूँ मेरा मान सम्मान ?? सीमाएं छोटी होती जा रही है.

कलगी भी करती है फायदा

सेहरे या पगड़ी पर जो क्लिप लगता है उसे कलगी कहते है, लाल किताब ज्योतिष के अनुसार ये सूर्य ग्रह से संबंधित होती है. पुराने समय में इसका काफी प्रयोग होता था लेकिन आज के समय में ये बहुत कम उपयोग होता है लेकिन फिर भी इसका उपयोग करके काफी फायदा लिया जा सकता है.   सूर्य अगर कुंडली में अच्छी स्थिति में है या सूर्य को बल देना चाहते है तो महत्वपूर्ण जगहों पर कलगी को जेब में डाल कर जाएं या पगड़ी पहनते है तो इसे लगाकर जाए.

शनि गुरु में समानता

शनि और गुरु ग्रह में फर्क करना आसान नहीं, केला ख़सख़स स्वाद का होता है शनि के गुण भी विद्यमान है, शनि का वर्ण काला है, काले में किसी का रंग नहीं चढ़ता गुरु की भी यही पहचान है.  तत्वानुसार  गुरुतत्व का  स्वाद  कड़वा होता है क्यूंकि वो सच्चा होता है लेकिन स्वाद शनि को कड़वा मिला. पश्चिम दिशा शनि देव जी की है पश्चिम दिशा वास्तु अनुसार अवचेतन मन और ज्ञान प्राप्ति की है और ब्राह्मण के लिए शुभ है. गुरु ग्रह को ईशान में स्थान मिला, अपना दिमाग भी लगाएं नकली धर्मगुरु बहुत है. सभी आडम्बरों से मुक्त करना गुरु कर्तव्य है जिसकी पतरी में गुरु अच्छा वो आडम्बर में नहीं फंसता लेकिन यथार्थ में अच्छे शनि वाले ही नहीं फंसते. 

अग्नि का सीधा संबंध मानसिक सुकून से

अग्नि का सीधा संबंध मानसिक सुकून से है जब टीवी नहीं था जब लोगों की लाइफ में काफी सुकून था, टीवी आने पर उसे देखना शुरू किया लेकिन धीरे धीरे हमने अपनी दृश्य इंद्री का उपयोग गलत दृश्य देखने के लिए इस्तेमाल किया जिससे अग्नि का संतुलन बिगड़ा और आज एक शहरी दुनिया में सुकून के अलावा सब कुछ है. वास्तु शास्त्र मात्र घर का नक्शा या किसी ऐन्टेना का ज्ञान नहीं है ये एक समग्र शास्त्र है, 25 तत्वों और पंच महातत्वों का उपयोग कर के हम इन समस्याओं से ऊपर उठ जाते है , कैसे एक वास्तु सम्मत घर दुष्प्रभाव भी दे देता है और वास्तु दोष होने पर भी बिना छेड़खानी के दोष समाप्त भी हो जाता है. 

हृत चक्र- एक छुपा हुआ चक्र - Hrit (Heart) Chakra

अनाहत चक्र के बिलकुल नीचे एक छोटा सा चक्र होता है जिसे सूर्य चक्र कहते है, इसे हृत चक्र भी कहते हैं, इसमें आठ पंखुडिया होती है और उसके अंदर कल्पवृक्ष पेड़ की कल्पना की गई है, इसे ही अष्टदल कमल  कहा जाता है.  normally ये चक्र सूक्ष्म होता है ऐसे अन्य चक्र भी है लेकिन मुख्य 7 चक्रों का ही उल्लेख मिलता है. हृत चक्र का ज्यादा उल्लेख तंत्र शास्त्र में ही मिलता है. इसके रंग सफ़ेद, गोल्डन और लाल और आठ पंखुडिया मानी गई है. इस चक्र के बैलेंस होने पर कल्पना  शक्ति और उसको प्राप्त करने की क्षमता का विकास होता है. ऐसा माना जाता है इसके विकसित होने पर कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है. अष्टदल लक्ष्मी की कल्पना भी इसी से जुडी होती है. जब  हम अपनी दृश्य इंद्री के द्वारा अष्टदल को देखते है तो सीधा वही चक्र क्रिया करता है और सही दृश्य इंद्री का उपयोग दक्षिणपूर्व (आकाश देव) के द्वारा संभव है. इसका एक कारण ये भी है के आकाश देव अनाहत चक्र से जुड़े है. 

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My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983