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अग्नि का सीधा संबंध मानसिक सुकून से

अग्नि का सीधा संबंध मानसिक सुकून से है जब टीवी नहीं था जब लोगों की लाइफ में काफी सुकून था, टीवी आने पर उसे देखना शुरू किया लेकिन धीरे धीरे हमने अपनी दृश्य इंद्री का उपयोग गलत दृश्य देखने के लिए इस्तेमाल किया जिससे अग्नि का संतुलन बिगड़ा और आज एक शहरी दुनिया में सुकून के अलावा सब कुछ है. वास्तु शास्त्र मात्र घर का नक्शा या किसी ऐन्टेना का ज्ञान नहीं है ये एक समग्र शास्त्र है, 25 तत्वों और पंच महातत्वों का उपयोग कर के हम इन समस्याओं से ऊपर उठ जाते है , कैसे एक वास्तु सम्मत घर दुष्प्रभाव भी दे देता है और वास्तु दोष होने पर भी बिना छेड़खानी के दोष समाप्त भी हो जाता है. 

हृत चक्र- एक छुपा हुआ चक्र - Hrit (Heart) Chakra

अनाहत चक्र के बिलकुल नीचे एक छोटा सा चक्र होता है जिसे सूर्य चक्र कहते है, इसे हृत चक्र भी कहते हैं, इसमें आठ पंखुडिया होती है और उसके अंदर कल्पवृक्ष पेड़ की कल्पना की गई है, इसे ही अष्टदल कमल  कहा जाता है.  normally ये चक्र सूक्ष्म होता है ऐसे अन्य चक्र भी है लेकिन मुख्य 7 चक्रों का ही उल्लेख मिलता है. हृत चक्र का ज्यादा उल्लेख तंत्र शास्त्र में ही मिलता है. इसके रंग सफ़ेद, गोल्डन और लाल और आठ पंखुडिया मानी गई है. इस चक्र के बैलेंस होने पर कल्पना  शक्ति और उसको प्राप्त करने की क्षमता का विकास होता है. ऐसा माना जाता है इसके विकसित होने पर कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है. अष्टदल लक्ष्मी की कल्पना भी इसी से जुडी होती है. जब  हम अपनी दृश्य इंद्री के द्वारा अष्टदल को देखते है तो सीधा वही चक्र क्रिया करता है और सही दृश्य इंद्री का उपयोग दक्षिणपूर्व (आकाश देव) के द्वारा संभव है. इसका एक कारण ये भी है के आकाश देव अनाहत चक्र से जुड़े है. 

वास्तु अनुसार नवरात्री में कैसे पाएं कृपा

 सबकी अपनी अपनी कामनाएं होती है, हिन्दू धर्म में नवरात्री के दिन शुभ माने जाते है जिन्हे हम अपनी इच्छापूर्ति के लिए उपयोग कर सकते है. आज आपको बताते है वास्तु शास्त्र अनुसार हम कैसे इन दिनों का उपयोग अपनी कामना पूर्ति के लिए कर सकते है.  नवरात्री में सभी अपने घर में जौ का पौधा लगाते है जिसे अलग अलग नाम से पुकारा जाता है. धन कामना के लिए अपना नवरात्री पौधा उत्तर दिशा के 0 - 11.25 डिग्री पर लगाएं, जिनको संतान बाधा है वो ये पौधा 56-67 डिग्री पर लगाएं, जिन्हे वर-वधु की तलाश है वो ये पौधा 90 -101 डिग्री पर लगाएं और अपनी कामना मन में करे. माता की हमेशा कृपा बनी रहे तो 22-33 डिग्री पर ये पौधा लगाएं।    इसे लगाते समय आप आँख बंद कर  सिर्फ नवरात्री माताओं पर ध्यान दें, अपने दिमाग को बिलकुल शांति की ओर ले जाएं। ऐसा करने से आपका दिमाग व् मन  विज्ञानमय कोष की ओर चलता जाता है जो की सीधा अवचेतन मन से जुड़ा होता है और अचेतन मन आपकी इच्छापूर्ति करने वाला माना गया है. शुभ दिन होने के कारण ये प्रक्रिया हम आसानी से कर सकते है.  सुनिश्चित असर 9 दिन में आपको मिलेगा.  जय माता दी 

शिव जी को दूध की रिश्वत

आज का ये मेरा लेख शायद कटाक्ष के तौर पर ले पर ऐसा नहीं है, सिर्फ भ्रान्ति मिटाने का प्रयास भर है, जिसके कारण मेरा अपना धर्म मेरा ही दुश्मन बन जाता है.  मेरा घर शिव मंदिर के पास है, मंदिर का mostly   ग्राहक मेरे घर के आगे से ही निकलता है, एक कुमार को आज ही देखा मंदिर की तरफ ही जा रहे थे कपडे कई दिन से नहीं धुले थे लेकिन हाथ में 26 रूपए वाली दूध की थैली थी.  इस जातक को मै बहुत दिन से देखता हूँ लेकिन एक अजीब सा ध्यान आज ही गया, jeans ruff हो गई shirt का पता नहीं किधर जा रही है. ये मात्र एक ही नहीं है ये काफी लोगों का डेली routine बन चुका है.  मै इस लेख को धर्म और astrology दोनों को आधार मानकर लिखता हूँ, पहले धर्म पर ही आ जाते है सावन का महीना है शिव जी plz मुझे माफ़ करें, लेकिन शिव जी या तो भोले है या शातिर। मेरे को कपडे पहनने को नहीं है और 26 वाला दूध डेली ले लेते है मेरे से, दूध लेकर ही मेरी भावना को वो समझ सकते है अन्यथा तो शायद ना  समझें। मेरे भाई लोगों भगवान भक्ति मात्र से भी खुश हो जाते है, वो परम सत्ता पर बैठा महान ईश्वर तुम्हारे दूध का अभिलाषी नहीं है उसने गाय भी बनाई है दूध भी बना

कार्य की गति के अनुसार नक्षत्र चयन - nakshatra selection as per moving motion

ज्योतिष शास्त्र में बारीक से बारीक बातों का भी अध्ययन किया गया है जो जीवन के हर पहलु से जुड़े होते है. आज बात करते है कार्य की गति के अनुसार कौन सा नक्षत्र अच्छा रहता है जिसमे कार्य शरू करना अच्छा रहता है.  अधोमुख नक्षत्र  - कुछ कार्य इस तरह के होते है जिनमे ऊपर से नीचे की ओर गति होती है, इन्हे अधोमन कार्य कहते है. इसके कुछ उदहारण आपको बताता हूँ जैसे बेसमेंट बनवाना, कुआँ खुदवाना आज की डेट में बोरिंग ले सकते हो, underground सड़क बनवा या क्रासिंग, underpass, खान की खुदाई, एक तरह ऊपर से नीचे को और प्रकृति के काम हो गए. एक कार्य और जोड़ता हूँ इसमें वो है ज्योतिष का ज्ञान, मैडिटेशन आदि इनमे भी अंदर की ओर ही जाते हैं.  मूल,श्लेषा,कृतिका,विशाखा, मघा, भरनी और तीनो नक्षत्र जिनके आगे पूर्व लगता है. इन नक्षत्रों में ये कार्य करे.  ऊर्ध्वमुख नक्षत्र -     जिन कार्यों में नीचे से ऊपर की ओर जाना हो उनके नक्षत्र भी बताये गए आर्द्र,पुष्य,श्रवण,धनिष्ठा,शतभिषा, रोहिणी और तीनो नक्षत्र जिनके आगे उत्तरा लगता है. इनमे ऐसे काम करने चाहिए जैसे नौकरी शुरू,बड़े पद पर बैठना, राजतिलक, गद्दी संभालना, शपथ लेना आदि जिन

धरती घूमती है तो वास्तु गलत हुआ ना सर जी ???

जब धरती घूमती है तो दिशा तो बदल जाती है ऐसे में वास्तु शास्त्र तो अपने आप ही गलत हुआ सर जी, ऐसा ही call आज आ गया. इसका उत्तर उन्हें मैंने फ़ोन पर दे दिया पर सोचा एक अच्छी बात रही आर्टिकल लिखने का आईडिया तो दिया.  पहले बात तो - वास्तु का मतलब है वास+तु,  वास करने के नियम, अब वास कहाँ करना है, संसार में, देश में, घर में, अपने मन में। ..इनमे सबसे महत्वपूर्ण है मन में मन में वास करने के लिए अपने शरीर के पांच तत्व, इन्द्रिय और चक्र को बैलेंस करने का काम भी वास्तु शास्त्र के अंतर्गत ही आता है इसमें दिशा का कोई मतलब नहीं होता. वास्तु एक  wide topic है 15 दिन या महीने भर का course नहीं.  इसके बाद घर को लिया जाता है. अब घर को ठीक करना आज के युग में आसान है क्यूंकि अपने अंदर तो change कोई लाना नहीं चाहता, सभी बहुत ज्यादा समझदार है गूढ़ ज्ञानी है ऐसे में घर को ठीक करने का चलन वास्तु शास्त्र का दूसरा नाम ही माना गया. जबकि ग्रंथो में देश और राज्य किसी जातक को अच्छा रहेगा या नहीं इसका वर्णन मिलता है. समरांगण सूत्रधार में भवन जन्म कथा में इद्रियों का वर्णन मिलता है. इस प्रकार सिर्फ प्रॉपर्टी के अलावा व

वास्तु अनुसार रंग चुने - use colors as per vastu norms

कुछ लोगों को वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगो का उपयोग करने की चाहत रहती है, आज आपको बताता हूँ किस दिशा में कौन सा रंग तत्व ज्ञान के अनुसार अच्छा रहता है.  वास्तु शास्त्र पांच तत्व पर आधारित विद्या है, हर तत्व का अपना एक रंग बताया गया है और तत्वों में भी कुछ तत्व एक दूसरे के पूरक है और कुछ एक दूसरे के नाशक। इन्ही तत्वों के रंगो की चीज़ों को हम इनसे जुड़ा मानते है जैसे पौधे हरे रंग के होते है इन्हे लकड़ी तत्व (वायु तत्व) लेते है. इसको हम थोड़ा जान लेते है  जल तत्व - जल तत्व को आकाश तत्व बढ़ाता है जबकि जल तत्व लकड़ी तत्व या वायु तत्व को बढ़ाता है, अग्नि तत्व इसे कमजोर करता है धरती तत्व इसे खत्म करता है. इसी तरह रंगो का चयन हम कर सकते है.  जल तत्व - रंग नीला, दिशा उत्तर यहाँ हम आकाश का रंग सफ़ेद भी उपयोग कर सकते है.  वायु - पूर्व दिशा, रंग हरा, यहाँ जल तत्व (नीला रंग) भी ले सकते है.  अग्नि - दिशा दक्षिण, लाल रंग यहाँ हरा रंग भी ले सकते है.  धरती - दिशा दक्षिण-पश्चिम, पीला रंग, क्रीम कलर, लाल रंग इसे बढ़ाता है लेकिन फिर भी लाल रंग इधर यूज़ नहीं करते, पीले रंग या हल्के पीले से ही बैलेंस करते है क्यूंकि

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