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वास्तु अनुसार रंग चुने - use colors as per vastu norms

कुछ लोगों को वास्तु शास्त्र के अनुसार रंगो का उपयोग करने की चाहत रहती है, आज आपको बताता हूँ किस दिशा में कौन सा रंग तत्व ज्ञान के अनुसार अच्छा रहता है.  वास्तु शास्त्र पांच तत्व पर आधारित विद्या है, हर तत्व का अपना एक रंग बताया गया है और तत्वों में भी कुछ तत्व एक दूसरे के पूरक है और कुछ एक दूसरे के नाशक। इन्ही तत्वों के रंगो की चीज़ों को हम इनसे जुड़ा मानते है जैसे पौधे हरे रंग के होते है इन्हे लकड़ी तत्व (वायु तत्व) लेते है. इसको हम थोड़ा जान लेते है  जल तत्व - जल तत्व को आकाश तत्व बढ़ाता है जबकि जल तत्व लकड़ी तत्व या वायु तत्व को बढ़ाता है, अग्नि तत्व इसे कमजोर करता है धरती तत्व इसे खत्म करता है. इसी तरह रंगो का चयन हम कर सकते है.  जल तत्व - रंग नीला, दिशा उत्तर यहाँ हम आकाश का रंग सफ़ेद भी उपयोग कर सकते है.  वायु - पूर्व दिशा, रंग हरा, यहाँ जल तत्व (नीला रंग) भी ले सकते है.  अग्नि - दिशा दक्षिण, लाल रंग यहाँ हरा रंग भी ले सकते है.  धरती - दिशा दक्षिण-पश्चिम, पीला रंग, क्रीम कलर, लाल रंग इसे बढ़ाता है लेकिन फिर भी लाल रंग इधर यूज़ नहीं करते, पीले रंग या हल्के पीले से ही बैलेंस करते है क्यूंकि

वास्तु शास्त्र और सूर्य - sun in vastu shastra

चर्चा  करते है वास्तु शास्त्र में सूर्य ग्रह की, वैदिक शास्त्रों में सूर्य को पूर्व दिशा का स्वामी माना है. पूर्व दिशा के वास्तु दोष सूर्य पूजा व् सूर्य यन्त्र द्वारा भी समाप्त किये जा सकते है. आइये जानते है सूर्य देव वास्तु का संबंध.  सूर्य रोशनी और सच्चाई दिखाने वाला ग्रह माना गया है सभी ग्रहों और ब्रह्माण्ड का कारक माना जाता है. अगर बात घर की करें तो सूर्य देव पूर्व दिशा के स्वामी माने  जाते है. सूर्य से प्रभावित होने के कारण east दिशा vastu में social connections, power, authority, government से जुडी मानी जाती है.   इसके अलावा सूर्य से जुड़े कुछ अन्य हिस्से भी होते है जैसे spine, सीधी आँख, गर्दन, appendix, circular सिस्टम. ये समस्याएँ आने पर वास्तु पुरुष  के साथ इनकी भी स्थिति देखी जायेगी.  घर में पूर्व दिशा balance हो तो सामाजिक स्थिति अच्छी होती है, अपने अच्छे links बनते है और उनसे फायदा है और east disha खराब होने पर हमारे links हमारा धन खराब कराते हैं. प्राण शक्ति का भी नाश होता देखा गया है.  politics   से जुड़े लोगों को सबसे पहले अपने घर व् दफ्तर का पूर्व balanced रखना अति आवश्यक

वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या है?

वास्तु शास्त्र या वास्तु दोष एक बहुत प्रचलित शब्द है, आज बात करते है असल में वास्तु दोष क्या होता है. vastu dosh kya hota hai  daily वास्तु के अनेकों articles पढ़ते है, आज बात करते है वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या होता है. वैदिक शास्त्रों में चाहे या हिन्दू हो या Chinese या अन्य घर से studies सभी तत्व और ऊर्जा को महत्व देते है. सिर्फ उनके बताने के style में बदलाव आता है लेकिन तर्कसंगत सभी है और सभी का conclusion एक ही निकलता है.  इन स्टडीज के अनुसार  जब हमारा घर बनता है तो इसमें ऊर्जा बंट जाती है और पुरे घर में फ़ैल जाती है और एक दूसरे से जुडी होती है. ठीक उसी तरह जैसे हमारे शरीर नसें एक दूसरे से जुडी होती है. बिलकुल same  funda  बॉडी वाला ही है जब शरीर में कोई blockage आती है तो बाकी हिस्सों में भी परेशानी आती है इसमें भी जब energy fields में हम कोई disturbance कर देते है जैसे कोई pillar, या कुछ कंस्ट्रक्शन कर देते है तो ये ऊर्जा सही से घूम नहीं पाती और हमे संबंधित परेशानी आ जाती है.   अब संबंधित परेशानी क्या है ये हमे तत्वों के आधार पर पता चलता है जिसे विज्ञान भी मानता है. तत्वों (e

राहु-केतु का कर्क-मकर राशि में फल

आज चर्चा करते है यदि जन्म कुंडली में राहु कर्क राशि में हो तो व्यक्ति का स्वभाव किस तरह का हो सकता है.  rahu in cancer sign and ketu in capricorn in hindi राहु कर्क राशि में स्थिति होने पर ऐसा माना जाता है के ऐसा जातक पिछले जन्म में काफी दिक़्क़तों का सामना करके आया है. इनकी पारिवारिक जिंदगी अच्छी नही रही.  इस life में ऐसा जातक नए नए ideas देने वाला होता है  साथ ही घर के मामलों खूब interest लेता है. family इनके लिए काफी मायने रखती है. हालाँकि दिखावा करने की आदत इन्हें हो सकती है. बाहर से देखने पर ये थोड़े ठंडे हो सकते है लेकिन अंदर से बहुत इमोशनल होते है. 

राहु - केतु का मिथुन-धनु राशि में फल

आज बात करते है यदि राहु मिथुन राशि में हो और केतु धनु राशि तो पिछले जन्म में जातक किस तरह का था, और इस जन्म किस स्वभाव का हो सकता है.  rahu in Gemini sign and ketu in Sagittarius sign meaning ऐसे जातक ने अपनी पिछली जिंदगी एक दार्शनिक या एक रहस्यमय लक्ष्य के लिए जी थी. उसे आज़ादी वाली जिंदगी पसन्द होती है. अपनी पिछली जिंदगी में ऐसे लोग अपने sense of humor के कारण एक सराहनीय व्यक्ति थे.  यदि ऐसे लोग चाहकर भी अपने आप को अलग थलग करें और अपने आप को सोसाइटी से अलग करे तो भी नियति ऐसा नही करने देती. इनके पास ऐसी क्षमता है की ये लोग किसी के बारे में पहले ही बता दे के उसके साथ ऐसा हो सकता है. शायद ही इन्हें लाइफ में अच्छे चांस बहुत कम मिलते है.  राहु-केतु का फल वृषभ-वृश्चिक राशि में राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

राहु-केतु का फल वृषभ-वृश्चिक राशि में

आज चर्चा करते है यदि जन्म लग्न कुंडली में राहु वृषभ और केतु वृश्चिक राशि में हो तो पिछले जन्म से क्या सम्बन्ध हो सकता है साथ ही इस जन्म में व्यक्ति कैसा हो सकता है.  rahu in Taurus ketu in Scorpio   अपनी past life में ऐसा जातक बहुत ज्यादा बुरे कामो में लिप्त रहा होता है, ऐसा माना जाता है के अपनी योग्यता का बहुत गलत उपयोग ऐसे व्यक्ति ने किया होगा. sex life बिगड़ी हुई रही होगी ऐसा माना जाता है. साथ ही सज़ा भी मिली होती है.  अपनी इस जिंदगी में ऐसे लोग लाइफ की जरूरतों को भली भांति समझते है. थोड़े डिप्लोमेट होते है. तीर्थ यात्राएं बहुत करते है और holi places पर जाकर अपना ज्ञान बढ़ाने की कोशिश करते है. शांति और आराम से जीने के लिए ये लोग पूरी मेहनत करते है और अपने कर्मों को भी सुधारते रहते है.  राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

राहु - केतु का मेष-तुला राशि में फल

rahu ketu दोनों ग्रह हमारी पिछली जिंदगी से जुड़े हुए ग्रह माने जाते है, और उनका असर इस जिंदगी में भी देखने को मिलता है. कुछ हद तक इनकी स्थिति हमारी past life के बारे में भी बताती है.  rahu-ketu in aries-libra sign राहु मेष राशि में होने  पर केतु अपने आप तुला में जाएगा. ऐसे लोग अपनी पिछली life में काफी लकी थे ऐसा माना  जाता है साथ ही काफी भौतिक सुख भोग के आए  होते है. ऐसे लोग अध्यात्म की तरफ झुके हुए भी थे.  इस लाइफ में इनका स्वभाव बहुत उग्र हो सकता है साथ ही अपनी चलाने वाले हो सकते है. फिर भी इनकी लाइफ में पैसा आता रहेगा, और शुभ काम होते रहते है. हालाँकि अपने स्वभाव की वजह से काफी अच्छी opportunities हाथ से जायेगी. 

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