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लगातार तरक्की के लिए ठीक करें पितृ वास्तु दिशा

वैदिक वास्तु शास्त्र में हर कोण अपना महत्व रखता है. आज बात करते है "पितृ" वास्तु जोन की. ये कोण बहुत ज्यादा महत्व पूर्ण बताया गया है. वास्तु के इस जोन में कोई खराबी relationships बर्बाद  कर सकती है आइये जानते है "पितृ" वास्तु जोन के बारे में.  vastu for continued success in life किसी घर के दक्षिण-पश्चिम कोण के पश्चिमी कोण के जोन को "पितृ" देवता बताया हुआ है. दिए हुए  चित्र से आप समझ सकते है इसकी दिशा कौन सी है.  ये जोन कई तरह से महत्वपूर्ण है एक word बहुत बड़ा होता है "सुख", इस कोण से मिलता है. हमारे वंश का आगे चलना यानि के पुत्र का जन्म भी pitra vastu zone से ही operate होता है.   इसके बाद जो आज के time में नहीं रहा वो है प्यार और आपस में लगाव। family members में इसकी कमी साफ़ देखी का सकती है. आपस में लड़ाई झगड़ा, divorce cases , इसी जोन के defects से होते है.  earth element होने के कारण लगातार बने रहना, हमेशा आगे बढ़ते ही रहना इसी दिशा से हम देखते है. life में एक टिकाव यही से मिलता है चाहे वो relations में हो या business में. किसी व्यक्ति की लाइफ म

हथेली में मंगल पर्वत (Mount of Mars in hindi)

सामुद्रिक शास्त्र   के अनुसार हथेली में दो स्थान पर मंगल पर्वत होता है। एक उच्च का पर्वत होता है और दूसरा नीच का होता है। उच्च मंगल पर्वत हृदय रेखा जहां से शुरू होती उसके ऊपर स्थित होता है जबकि नीच का मंगल जहां से जीवन रेखा शुरू होती है वहां से कुछ ऊपर होता है। जिनकी हथेली में मंगल उभरा होता है वे साहसी, बेखौफ और शक्तिशाली होते हैं। mount of mars in palmistry in hindi  मंगल पर्वत उन्नत होने पर व्यक्ति मजबूत  विचारों वाला होता है और इनके जीवन में संतुलन देखा जाता है।  mars mount जिनकी हथेली में बहुत अधिक उन्नत होता है वे मार पीट, लड़ाई-झगड़े में माहिर  होते हैं। मंगल की यह स्थिति व्यक्ति को बुराई और गलत रास्ते पर  ले जाता है।  वैसे व्यक्ति जिनकी हथेली में मंगल पर्वत normal  रूप से उभरा होता है व लालिमा लिये होता है वे जीवन में अच्छी success  प्राप्त करते हैं और उच्च पद प्राप्त करते  हैं। ऐसे लोग finance and banking sector में success होते है.   जिनकी हथेली पर मंगल पर्वत की जगह  सपाट होती  है वह डरपोक किस्म के लोग होते हैं. इनमे risk लेने के ability कम होती है.  मंगल पर्वत पर गुणा का चि

क्या होता है अस्त ग्रह - combust planet meaning in hindi

vedic astrology के अनुसार जब  कोई ग्रह जब सूर्य के  पास आ जाता है तो सूर्य के सबसे गर्म और तेज़ होने के कारण वह ग्रह अपनी शक्ति खो देता है या कमजोर हो जाता है. इसे अस्त ग्रह (combust planet) भी कहते है. इसके लिए ज्योतिषी को ग्रहों के अंश देखने पड़ते है.  combust planet astrology  in hindi  हर ग्रह की एक अंश अनुसार सूर्य के निकट आने से ग्रह अस्त माना जाता है.  degree for combust planets  चन्द्रमा - 12 degree  गुरु - 11 डिग्री शुक्र - 10 degree  बुध - 14 degree शनि - 15 degree मंगल - 17 डिग्री  राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण कभी भी अस्त नहीं माने जाते.  janm kundali में ग्रह अस्त होने से उसके बल में कमी आ जाती है. इसके लिए पहले कुंडली का सही से analyse  करना चाहिए। और अस्त ग्रह का उपाय करना चाहिए। इसके लिए पहले अस्त ग्रह की जरूरत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि उसे बल देना जरूरी है तो ही बल देना चाहिए.  combust planet की remedy के लिए stones और मंत्रो का सहारा लिया जाता है. 

फैशन ही नहीं फायदा भी देता है कान छिदवाना - why ear piercing is good in hinfi

कान छिदवाना हमारे देश में बहुत पहले से चला आ रहा है, कही रिति  रिवाज़ के कारण तो कही अपने रूप रंग या दिखावे के लिए. लेकिन इसके पीछे benefits  भी बहुत है. आइये जानते है क्या है कान छिदवाने के फायदे।    why ear piercing is good science  के अनुसार कान छिदवाने से व्यक्ति के brain में blood circulation बहुत अच्छा होता है जिससे उसका बौद्धिक विकास सही से होता है. इसी वजह से पहले बचपन में ही कान छिदवाने की परम्परा थी.  कान के बीच की सबसे खास जगह जिसे प्रजनन के लिए responsible  माना जाता है females  की अनियमित पीरियड्स की problems  को भी दूर करता है।  ear piercing से कई प्रकार के इन्फेक्शन,  पुरुषों में ज्यादातर देखी जाने वाली हर्निया की प्रॉब्लम  भी दूर होती है। इसके साथ ही आँखों की रौशनी भी बनी रहती है. acupressure के हिसाब से कान छिदवाने से digestion system बहुत अच्छा काम करता है.  इस point से हमारा digestion system जुड़ा होता है. 

पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभाव - effects of main entrances from west direction

वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा के कुल 8 तरह के प्रवेश द्वार बताए गए है. आज चर्चा करते है पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभावों की.  west facing main entrance effects in hindi पश्चिम दिशा 225 से 315 degree मानी जाती है. इसे 225 डिग्री से शुरू करते है तो 315 तक 8 parts में बाँट दे. लगभग 11.25 डिग्री की एक पार्ट बनेगा.  w1 - पितृ - बेहद नुकसान दायक, धन और संबंध बहुत खराब होंगे।  w2 - दौवारीक - अस्थिरता देता है. टिकाव नहीं रहेगा.  w3 - सुग्रीव - ये entrance विकास देती है. आगे बढ़ते ही रहेंगे.  w4 - पुष्पदन्त (pushpdant vastu) - एक संतुष्ट जिंदगी देता है. ख़ुशी मिलती है.  w5 - वरुण (varun) - व्यक्ति बहुत ज्यादा पाने की चाहत रखने लगता है जिससे नुकसान संभव है.  w6 - असुर (asur) - ये नुकसान देती है एक मानसिक परेशानी चलती रहती है.  w 7 - शोष - shosh in vastu - गलत आदत पड़ जाती है. व्यक्ति बुरी लत में उलझा रहता है.  w 8 - पापयक्षमा - इसमें व्यक्ति मतलबी हो जाता है अपना ही फायदा देखने वाला। 

पूर्व दिशा के द्वारों का प्रभाव - effects of east facing entrances in vastu

वास्तु शास्त्र में कुल 32 प्रवेश द्वार बताए गए है जिसमे हर दिशा के 8 द्वार होते है आज चर्चा करते है पूर्व दिशा के  8 द्वारों की.  पूर्व दिशा वास्तु नियमों के हिसाब से 45 degree से देखि जाती है, और 135 डिग्री के कोण तक रहती है. इस 45 से 135 डिग्री तक यदि आप 8 भागों में बांटोगे तो आपको सही से अंदाज़ा हो जायेगा। vastu purush mandala के हिसाब से शिखी से पूर्व दिशा शुरू होती है. अब बात करते है इन 8 तरह के द्वारों का प्रभाव कैसा होता है  effects of entrances of east facing properties  1. शिखि (shikhi)  - अग्नि संबंधित दुर्घटनाएं इन घरों में देखि जाती है. 2. प्रजन्य (prajnya) - खर्चे बहुत ज्यादा होते है, इसके अलावा लड़कियों की संख्या अधिक हो सकती है.  3. जयंत (jayant) - कमाई अच्छी होती है. ये द्वार शुभ होता है.  4. इंद्र  (indra) - ऐसे लोग GOVERNMENT के अच्छे सम्पर्क में रहते है. शुभ द्वार  5. सूर्य (surya) - ऐसे लोगो में attitude problem होती है, जिसके कारण बार बार नुकसान हो सकता है.  6 सत्य (satya) - ऐसे लोग भरोसेमंद नहीं माने जाते, अपनी बात पर भी नहीं टिकते। 7. भृश (bhrish) - स्वभाव थोड़ा कटु

वास्तु शास्त्र के अनुसार सबसे अच्छे प्रवेश द्वार - which are the most suitable entrances of a house

वास्तु शास्त्र में  ज्यादा महत्व घर के main entrance को दिया गया है. वैदिक वास्तु के ग्रंथो में भी मुख्य प्रवेश द्वार को घर के जरूरी समस्याओं का कारण माना है. वास्तु में एक plot के 8 दरवाज़े बेहद शुभ माने गए है आज चर्चा करते है कौन से है ये द्वार  best entrances for a house as per vastu shastra  vastu के अनुसार एक घर में बाहरी side  32 types of energies का निर्माण होता है, एक घर को 360 डिग्री का मानते है तो इस हिसाब से एक एनर्जी लगभग 11. 25 डिग्री की होती है.  हर द्वार पर एक energy का निर्माण होता है. वास्तु में इसे हर एक देवता का नाम दिया गया है. और उसके अनुसार एंट्रेंस होने पर होने वाले प्रभाव भी बताए गए है.  अब आपको vedic vastu purush mandala के हिसाब से सबसे अच्छी entrance बताते है. इसमें east direction  में jayant और indra के द्वार, south में vitath और grahakshat के द्वार, west में sugreev or pushpdant के द्वार, north में mukhya और bhllaat entrance सबसे अच्छा फल देने वाली मानी गयी है. इन दिशाओं में द्वार शुभ ही रहता है. vastu purush mandal की pic में आप देख सकते है हर देवता का जोन

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