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साउथ-वेस्ट में मुख्य दरवाज़ा - बड़ा वास्तु दोष

साउथ-वेस्ट (नैऋत्य कोण) वास्तु शास्त्र की सबसे महत्वपूर्ण दिशा होती है. इस दिशा के  कारक ग्रह राहु देव होते है. इस दिशा में घर के मैन गेट का होना एक बड़ा  वास्तु दोष माना जाता है जो आपको हर तरह की परेशानी देने की क्षमता रखता है. आइये जानते है क्या परेशानियां आती है और क्या हो सकता है इस वास्तु दोष का उपाय।।।।। जैसा की मैंने आपको बताया के इस दिशा के  कारक ग्रह राहु देव होते है राहु देव का सम्बन्ध स्थायित्व से होता है, कोई भी अचानक आने वाली परेशानी या धन लाभ भी राहु से देखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में राहु को गति का कारक माना जाता है. हालाँकि यही दिशा कुछ लोगो को अनगिनत पैसा व् समृद्धि देती है. लेकिन इसके बारे में बाद में चर्चा करेंगे। यदि इस दिशा में आपका मुख्या द्वार आ जाये तो ये चिंता की बात होती है.   वास्तु टिप्स- ये तस्वीरें घर में नहीं लगानी चाहिए सबसे बड़ी जो परेशानी आती है वो ये के जिंदगी में स्थायित्व (stability) नही रहती आदमी इधर उधर ही भागता रहता है. काफी लोगो से सुनने को मिलता है के इस तरह के घर में प्रवेश करते ही काम-धंधा बिलकुल रुक गया है. मानसिक शांति नही रहती।  क़र्ज़ का बो

वास्तु दोष दूर करे दर्पण से - use mirror in vastu shastra

फेंगशुई व् वास्तु शास्त्र में आईना या दर्पण उन सभी चीज़ो को माना जाता है जिसमे हम अपना प्रतिबिम्ब देख सकते है. दर्पण के सही  प्रयोग से हम वास्तु दोष को खत्म कर सकते है और ये असर भी बहुत जल्दी करता है.  फेंगशुई में प्राणऊर्जा "ची" शक्ति को संतुलित करने के लिए दर्पण बहुत अच्छा परिणाम देता है. आइये जानते है दर्पण का प्रयोग कब और कैसे करें।  ....  use of mirror in vastu दर्पण (mirror) हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व में ही लगाने चाहिए। दर्पण की शेप आयताकार, वर्गाकार की लगाने चाहिए गोल दर्पण का प्रयोग नही करना चाहिए, गोल दर्पण का प्रयोग किसी किसी जगह पर ही उपयोगी माना गया है. इसके अलावा नुकीले दर्पण का प्रयोग बहुत परेशानियां घर में ल सकता है. इसके अलावा टुटा हुआ व् खराब दर्पण घर में नही रखनी चाहिए ये पॉजिटिव ऊर्जा को नकारात्मक ऊर्जा में बदलने की ताकत रखता है.  घर व् ऑफिस में दर्पण लगाने की सबसे अच्छी दिशा ईशान कोण होती है इससे बिज़नेस समस्याएं कम होती है  दक्षिण व् पश्चिम दिशा में लगा हुआ दर्पण हमेशा ही नुकसान देगा यदि है तो उसे हटा दे नही तो उसे ढक कर रखें  यदि आपके घर में वायु क

लाल किताब में चौथा घर का महत्व - forth house in lal kitab

चौथे घर का मालिक व् करक ग्रह चन्द्रमा है. इस घर में चन्द्रमा व् बृहस्पति बहुत अच्छे फल देते है. ज्योतिष में चौथा घर माता का माना जाता है जबकि लाल किताब में ये पिता से भी समबन्ध रखता है. आइये जानते है चौथे घर के बारे में. lal kitab 4th house - ये घर पानी से सम्बन्ध रखता है. हमारे शरीर में सर्दी-गर्मी या हमारी तासीर है उससे भी सम्बन्ध रखता है. ये घर हमारे मन की शांति से सीधा जुड़ा हुआ होता है, यदि यहाँ अशुभ ग्रह  आ जाये तो मन की शांति पर बुरा असर पड़ता है. lal kitab ke anusar चौथा घर हमारी आयु के दूसरे पड़ाव यानि 25 से 50 वर्ष की आयु से होता है. दिशा के हिसाब से ये घर पूर्व और उत्तर दिशा का करक है. कपडे, दूध और पानी के व्यवसाय से ये घर जुड़ा हुआ है.. चौथे घर में चन्द्र हो तो कपड़े के व्यापर से फायदा होता है लेकिन दसवाँ घर खाली  होना चाहिए। चौथा घर हमारी माता से विशेष सम्बन्ध रखता है, ये घर खराब होने से माता के सुख में कमी आती है. माता के स्वस्थ्य ठीक नही रहता। इस घर में केतु और मंगल माता के स्वास्थ्य को खराब करते है. चौथा घर दूध देने वाले पशु, पानी में रहने वाले जीवो से सम्बन्ध रखता है. ये घर

बांसुरी से ठीक करे वास्तु दोष

वास्तु शास्त्र व् फेंगशुई की शुभ वस्तुओं में बांसुरी का भी एक बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है. वास्तु दोष में जहाँ तोड़-फोड़ की जरूरत हो लेकिन ऐसा करना मुश्किल हो वहाँ  पर बांसुरी के उपाय से भी दोष को कम किया जा सकता है. आइये जानते है बांसुरी के गुण और उपयोग के बारे में। .... बाँसुरी का निर्माण बांस की लकड़ी से किया जाता है, जिस कारण बांसुरी में बाँस के सभी गुण जैसे किसी भी वातावरण में अपने आप को बचाये रखना, तेजी से बढ़ना आदि विद्यमान होता है. इसी कारण बांसुरी प्रगति व् स्थिरता का गुण अपने में रखती है. वास्तु शास्त्र व् फेंगशुई (feng shui) में बांसुरी का उपयोग द्वार सम्बन्धी दोष (wrong entrance), बीम दोष (Beem defect), विधि शूल (Vidhi shoola), और किसी गलत निर्माण की अशुभता को दूर करने के लिए  किया जाता है.  बांसुरी का उपयोग करने का सबसे कारण ये है के जब किसी भी प्रकार की ऊर्जा इसके अंदर प्रवेश करती है तो ऊर्जा की सभी नकरात्मकता सकारात्मकता में बदल जाती है. कुछ ऐसा ही विंड चिम में भी होता है. बांसुरी की तरह स्वस्तिक का भी उपयोग होता है पढ़ने के लिय  क्लिक करे  वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक बांसुरी के

क्यों नही बनाना चाहिए अटैच टॉयलेट - बाथरूम

आजकल के घरो में अटैच टॉयलेट व् बाथरूम होना एक आम बात हो गयी है लेकिन क्या आप जानते है ये एक वास्तु दोष होता है. टॉयलेट व् बाथरूम एक साथ बनाते समय वास्तु नियम के अनुसार घर के  सदस्यों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. आइये जानते है कैसे बनता है दोष और क्या होगी समस्या attatch toilet-bathroom vastu dosh वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रन्थ "विश्वकर्मा प्रकाश " (vishwakarma prakash) में बताया गया है "पूर्वम् स्नान मन्दिरम्"  मतलब बाथरूम पूर्व दिशा में  बनाना चाहिए वहीं टॉयलेट के बारे लिखा है " या नैऋत्य मध्य पुरीष त्याग मन्दरम् " मतलब दक्षिण व् दक्षिण-पश्चिम के मध्य में टॉयलेट बना सकते है, toilet should be in between south-southwest. Attach toilet bathroom बनाने से ये वास्तु नियम भंग  होता है.  वास्तु के अनुसार बाथरूम पर चन्द्र का प्रभाव व् अधिपत्य होता है टॉयलेट से राहु ग्रह का सम्बन्ध है दोनों को मिलाने से चन्द्रमा पर ग्रहण दोष लगता है और moon related vastu problems घर में आ जाती है.  nature of moon and rahu चन्द्रमा का सम्बन्ध हमारे मन से होता है

जन्मकुंडली में धन योग - dhan yog in kundli

 जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है. आइये जानते है धन योग और लक्ष्मी योग के बारे मे. dhan yog or money yoga in janm kundli ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं. जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है. शुक्र की द्वितीय भाव में स्थिति को धन लाभ के लिए बहुत महत्व दिया गया है, यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो और गुरु सातवें भाव, चतुर्थेश चौथे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है. ऐसे योग में साधारण परिवार में जन्म लेकर भी जातक अत्यधिक संपति का मालिक बनता है. सामान्य व्यक्ति भी इन

पेड़-पौधों से पायें अशुभ ग्रहों के दुष्प्रभावों से राहत

जीवन के विभिन्न भागों पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, यह प्रभाव सकारात्मक भी होता है और नकारात्मक भी... नकारात्मक प्रभाव को रोकने या कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए जाते हैं....इन्ही में से एक आसान तरीका है पेड़-पौधों का रोपण और पूजन.... भगवान विष्णु और हनुमान जी को तुलसी अर्पित करने से आर्थिक बाधाएं दूर होती हैं। अगर शुक्र गृह कमजोर है, तो तुलसी का पौधा लगाकर नियमित रूप से उसकी पूजा-उपासना करनी चाहिए, फायदा मिलेगा... ज्योतिष और धार्मिक रूप से केले के पौधे का भी विशेष महत्व है... ग्रहों में इसका संबंध बृहस्पति से जोड़ते हैं और भगवान विष्णु तथा बृहस्पति देवता का स्वरूप माना जाता है... बृहस्पति के लिये किसी भी मंदिर मे केले के पौधे का रोपण कर उसमे जल दें. ज्योतिष में राहु-केतु को नियंत्रित करने के लिए अनार एक ऐसा अदभुत और जादुई पौधा है, जिसको लगाने से घर पर तंत्र-मंत्र और नकारात्मक ऊर्जा असर नहीं कर सकते... शमी वृक्ष के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं, इससे शनि का प्रकोप और पीड़ा कम होगी और आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा... हरसिंगार छोटे-छोटे फूलों वाला और अपनी

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