गीता में भगवान भगवान श्रीकृष्ण ने खुद कहा है "गायत्री छन्दसामहं" इसका मतलब है गायत्री मन्त्र मैं ही हूँ. गायत्री मन्त्र सनातन एवं अनादि मंत्र है पुराणों में कहा गया है कि सृष्टि कर्ता ब्रह्मा को आकाशवाणी द्वारा प्राप्त हुआ था गायत्री मन्त्र को समझने के पश्चात उन्हें सृष्टि निर्माण की शक्ति प्राप्त हुई. गायत्री के 4 चरणों को समझ कर ही ब्रह्मा जी ने चारों से चार वेदों का वर्णन किया। गायत्री को वेदमाता कहते हैं. ऐसा माना जाता है के वेद जो है वो गायत्री मन्त्र का एक explanation मात्र है. यानी किसी को गायत्री मन्त्र का सही ज्ञान हो जाए तो चारों वेद का ज्ञान उसे हो जाता है. गायत्री के 24 अक्षर अत्यंत ही महत्वपूर्ण ज्ञान व् रहस्य के प्रतीक हैं. वेद,पुराण,उपनिषद की जो शिक्षाएं है वो सब इन २४ अक्षरों में भी है. इनके द्वारा व्यक्ति समस्त सुख पा सकता है. भारतीय सनातन की चार मूल है जो की गंगा-गौ-गीता-गायत्री है इनमे गायत्री सबसे प्रथम स्थान रखती है क्यूंकि इस से प्रेरणा मिलती है गौ (इन्द्रियों) को ताकि गंगा(पवित्रता) के साथ गीता (धर्म प...
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