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मंगल के तत्व से जाने इंसान की छिपी ताकत - mars element power in astrology

राम राम दोस्तों  आज बात करते है एक छोटे से विषय की के मंगल आपकी कुंडली में किस तत्व में है.  मंगल ही क्यों ? जब आपके सामने कोई मुसीबत आती है या कोई काम आपके पास आता है तो आप उसे कैसे हैंडल करते है वो आपकी कुंडली मंगल की प्रकृति पर निर्भर करता है. लेकिन यंहा प्रकृति का मतलब मंगल के तत्व से है. जन्म पत्रिका में हर राशि के तत्व होते है मूल रूप से 4 तत्व जन्म कुंडली में देखे जाते है.  मंगल मूल कुंडली में शुरुआत यानी पहला भाव और अंत यानी के आंठवे भाव का स्वामी है. हम कैसे किसी कार्य की शुरआत करते है कैसे रियेक्ट करते है ये मगल के तत्व से पता चलता है और यदि इस प्रकृति को समझ लिया जाए तो व्यक्ति अपनी कार्य करने के तरीके को जानकार उसमे सुधार कर सकता है जिससे सफलता उसे बहुत जल्दी मिल सकती है. यंहा प्रश्न आता है के मंगल के भाव को भी देखा जाना चाहिए देखिये मंगल जिस भाव में बैठा है उस भाव में हम अपनी ऊर्जा निकालते है वंहा अपना उत्साह व्यक्त करते है. लेकिन प्रेरणा मंगल अपने तत्व अनुसार लेगा और राशि अनुसार मंगल की प्रकृति बनेगी.  सबसे पहले बात करते है अग्नि तत्व की, जब मंगल मेष - सिंह - धनु राशि में

जन्म कुंडली में बारहवे भाव के स्वामी का हर भाव में क्या फल होता है - twelfth house lord in different houses

   नमस्कार आज बात करते है कुंडली के बारहवें भाव का स्वामी अलग अलग भावो में बैठकर कैसे फल देता है. बारहवें भाव को व्यय का स्वामी माना जाता है यानी खर्चे का. अब ये खर्च बड़ी अजीब चीज़ है क्यूंकि खर्च का नाम सुनकर पैसे का खर्च समझ आता है लेकिन खर्च हर समय हमारी ऊर्जा हो रही है हमारा समय हो रहा है और यदि हमारी ऊर्जा सही जगह खर्च हो रही है तो बदले में जो मिलेगा वो बहुत बड़ा होगा.  जैसे यदि कोई जीम में ऊर्जा लगा रहा है या योग में ऊर्जा लगा रहा है तो बदले में शारीरिक लाभ होगा और यदि सिर्फ सोचने में समय लगा रहा है तो शरीर को कोई लाभ नहीं होगा लेकिन दोनों अवस्थाओं में 12 भाव एक्टिव है ऊर्जा लग रही है . ऊर्जा तो खर्च हर अवस्था में होती है और ये जिम्मा बारहवे भाव का है के किधर खर्च हो.  ऐसे ही पैसा खर्च होता है हो सकता है कोई पार्टी कर ले और दूसरा व्यक्ति सोना खरीद ले दोनों अवस्थाओं में पैसा तो खर्च हो गया लेकिन जो सोना खरीद रहा है वो इन्वेस्टमेंट हो गयी जिसका लाभ कुछ दिन बाद मिल सकता है, बारहवा भाव अगर अच्छा है तो हमारा खर्च किया गया समय या पैसा या मेहनत सही समय आने पर वापस लाभ के रूप में मिलती है

आज हम बात करते है शनि देव की - saturn in astrology

   तो आज हम बात करते है शनि देव की, देखिये शनि समझना है तो इसके बारे में नेचुरल तरीके से समझिये  शुभ शनि कामभाव पर काबू कर लेगा लेकिन अशुभ हुआ तो कामभाव ही मारेगा  शुक्र गाय है तो शनि भैंस - गाय के बछड़े जब बड़े होते है सबसे पहले माँ को भूलते है लेकिन भैंस का बच्चा अपनी माँ को नहीं भूलता यानी कामदेव उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। इसका एक मतलब तो एक यह है के केतु शुक्र का दोस्त है लेकिन शनि का पूरी तरह कण्ट्रोल होता है.  मैरिड लाइफ  सूर्य एक तरह से गर्मी का कारक बनता है, जब कपल में आपस में गर्म स्वभाव आ जाए तब सूर्य का हाथ होता है. लेकिन शनि बली होने पर सूर्य तीव्र गर्मी नहीं दे पाता। ऐसे में स्त्री ग्रह अच्छा फल देते है.  ऐसे ही शुक्र शनि को देखे तो खराब फल और शनि शुक्र को देखे तो शुभ फल देखते है.  शनि  देव का नाम आते ही बुरे बुरे ख्याल मन में आते है कई पुराणों में शनि देव को बैलेंस बनाने वाला ग्रह माना गया है. पद्म पुराण में राजा दशरथ और शनि देव के युद्ध के बारे में उल्ल्ख मिलता है जिसमे दशरथ के साथ उनका युद्ध जो हुआ उसमे दशरथ जीते, दशरथ जो दसों इन्द्रियों को जीत चुका हो या ज्योतिष की भाषा म

कुंडली में मंगल ग्रह - mars in astrology

   आज बात करते है कुंडली में मंगल ग्रह की, ये होता क्या है आज हम समझते है.   मंगल, युद्ध के देवता, मेष राशि ोे वृश्चिक के शासक हैं। ज्योतिष में, मंगल ऊर्जा, क्रिया और इच्छा का ग्रह है। यह जीवित रहने की वृत्ति है और इसे मनुष्य के "बचे हुए" पशु स्वभाव के रूप में माना जा सकता है जब इंसान सिर्फ जीवित रहने की इच्छा रखता है तब उसका दिमाग सिर्फ भोजन तक सीमित होता है जिसे अन्नमय कोष भी कह सकते है. और उस समय इंसान और जानवर में कोई फर्क नहीं होता क्यूंकि परम उद्देश्य भोजन ही होता है.  मंगल हमारे गुस्से, आक्रमण और जीवित रहने के लिए लड़ाई करने पर ज्यादा ध्यान देता है. खाने और जिन्दा रहने के बाद जानवर की दूसरी इच्छा सेक्स से संबंधित होती है जिसे वासना भी कह सकते है ध्यान रखिये शुक्र ग्रह प्यार का है रोमांस का है लेकिन वासना मंगल से आती है. 

सिंह राशि आसान भाषा में - leo rashi astrology

आज बात करते है सिंह राशि की. सिंह राशि की डिग्री 120-150 होती है. ये भचक्र की पांचवी राशि है और इसके स्वामी सूर्य है जो प्राण दाता माने जाते है. ये एक तरह से बहुत प्रबल राशि है. जो नाम शौहरत और बदनामी दे सकती है.  इसका तत्व अग्नि है और ये एक स्थिर राशि है. यानी ऊर्जा हर समय होगी लेकिन दिशा क्या होगी वो पता नहीं। सिंह राशि की आत्मा और स्वभाव की तुलना एpक पौराणिक चरित्र देवमानव (नेफिलिम) से की गई है। कथाओं के अनुसार यह इंसान और देवता की संतान होते हैं जो सामान्य मनुष्यों की तुलना में आकार में बड़े, लंबे और ताकतवर होते हैं।ये देखने में स्वर्ग के देवताओं के समान सुंदर होते हैं जिनके पास पंख भी होते है। सिंह राशि के जातक भी इन्हीं के समान आकर्षक, मजबूत और विलासितापूर्ण जीवन के आदी होते हैं। सूर्य का अंश इनके अंदर हमेशा झलकता है. इसका सिंबल एक शेर है, इस राशि की ख़ास बात बताता हूँ के इस राशि की स्थिति कुंडली में कैसी ये जाने बिना राज गद्दी नहीं मिल सकती। कम खाना और ज्यादा मज़े करना इनकी फितरत में होता है, अब मज़े के बजाये इन्होने होनी ऊर्जा कही और मोड़ रखी है वही परेशानी है.  शुरुआती दिनों में सु

समझे राहु और केतु को आसान भाषा में - understand rahu ketu

मै प्रतीक गुप्ता आज एक नया सूत्र लेकर आया हु, आज हम बात करेंगे राहु-केतु ग्रह के ऊपर. राहु-केतु एक रहस्मयी ग्रह है, राहु और केतु के बारे जैसा हम जानते के ये एक ही असुर जिसका नाम स्वर्भानु था उसके ही रूप है, असुर ने चुपके से अमृत का सेवन कर लिया था लेकिन विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सर काट दिया जिससे दो टुकड़े हो गए एक टुकड़ा जो सर था वो राहु बना और धड़ केतु बना. 

सूर्य का ऋण जन्म कुंडली के अनुसार - jyotish sutra about sun and past karma

आज हम बात करते है एक ऐसे ज्योतिष सूत्र की जो सूर्य से संबंधित है लेकिन इसकी पहचान व्यक्ति को खुद करनी होती है. देखिये कुछ ज्योतिष सूत्र इस तरह से बने होते है जिसमे जातक के घर की स्थिति, शरीर की स्थिति से ही पता लगाया जाता है के असल परेशानी का कारण क्या है. जन्म पत्रिका में प्रारब्ध यानी पहले से लिखे हुए फल भी होते है तो जन्म पत्रिका पिछले जन्म या जिस घर में जन्म हुआ है उन दोषो का भी पता बता देती है. 

कुंडली में ग्यारहवे भाव के स्वामी के सभी भावो में फल - eleventh house lord in different house astrology

 नमस्कार, आज बात करते है जन्म कुंडली ग्यारहवें भाव का स्वामी कुंडली के अन्य भावो में जाकर बैठ जाए तो क्या फल मिल सकता है. ज्योतिष शास्त्र में ग्यारहवां भाव लाभ का भाव माना जाता है. जितना ताकतवर ये भाव होता है हमारी लाभ की मात्र उतनी तीव्र और ज्यादा होती है. सबसे पहले तो हम बात करते है ग्यारहवा भाव किन किन मुद्दों को दर्शाता है.  एकदश भाव को प्राप्ति भाव बताया गया है. देखिये प्राप्ति शब्द का मतलब समझिये हम कंही भी जाए कुछ भी करे हर वक़्त कुछ न कुछ प्राप्त कर रहे होते है अब यदि ग्यारहवा भाव अच्छा है तो हम हर समय कुछ न फायदे वाले कर्म में ही लगे रहेंगे। इसे ऐसा समझिये आज कल काफी लोग सोशल मीडिया पर रील्स देखते है लेकिन काफी लोग उन रील्स को बनाकर ही पैसा कमा रहे है ये है ग्यारहवे भाव की ताकत। और जब इन्ही के माध्यम से आपको बहुत बड़े वर्ग द्वारा सम्मान दिया जाए उसमे ग्यारहवे भाव का योगदान रहता है. हमने बात की थी के मान सम्मान दशम भाव से देखा जाता है लेकिन जब ये सम्मान बहुत बड़े दर्ज़े का हो तो एकादश भाव का भी बली होना जरुरी है.  हमारे बड़े भाई बहन, मित्र इसी भाव से देखे जाते है. शुभ सुचना किसी भी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उधार किसे नहीं देना चाहिए - money credit rules of astrology

 नमस्कार दोस्तों  ज्योतिष सूत्र की सीरीज में आज हम बात करते है के कुंडली में उधार पैसा कब वापस नहीं आता और यदि फंस गया है तो कैसे निकलवा सकते है.  दोस्तों कर्ज मुक्ति से संबंधित तो आप बहुत सारे वीडियो देखते होंगे काफी पोस्ट भी  पढ़ी होंगी लेकिन काफी लोग ये प्रश्न करते है के हमने पैसा उधार दिया था वो वापस नहीं आ रहा. चाहे मित्र को दिया या किसी काम धंधे से संबंधित उधार। लेकिन अब फंस गया है तो क्या किया जाए.  मै कोई दूसरे मुद्दे पर ना जाते हुए सिर्फ इसी विषय पर चर्चा करूँगा और वीडियो में हम जानेंगे के इसके उपाय क्या हो सकते है.  सबसे पहले समझिये के ऋण के कारक ग्रह मंगल देव होते है और कुंडली में छठा भाव ऋण का होता है जिसके स्वामी बुध देव और केतु  देव है जो मंगल से विपरीत स्वभाव के ग्रह माने जाते है.  कुंडली में मंगल देव का संबंध जब भी छठे भाव से बनेगा तो ऋण वापस आने में तकलीफ होगी ही होगी।  इसके दो कारण बनते है पहला कारण ये है के  मंगल के शत्रु बुध यानी बिज़नेस और केतु जो गड्ढे का कारक होता है तो ऐसे लोग जिनकी कुंडली में मंगल का संबंध छठे भाव से है तो जब ये ऋण देते है तो लेने वाले के बुध और

बृहस्पति के दूसरे भाव में फल - jupiter effects in second house astrology

 नमस्कार दोस्तों, आज हम चर्चा करते है कुंडली के दूसरे भाव में यदि बृहस्पति विराजमान हो तो क्या फल जातक को देखने को मिलते है.  लाल किताब दूसरे भाव के बृहस्पति को गाय का स्थान, मेहमान नवाज़ी, पूजा स्थान, धन माया, चने की दाल बताती है.  यंहा बृहस्पति अच्छे फल देने वाला माना जाता है, कुछ हद तक व्यक्ति का संबंध खाने पीने के काम से हो सकता है या व्यक्ति को अच्छे अच्छे पकवान खाने का शौक भी हो सकता है. जंहा दूसरा भाव वृषभ राशि से संबंधित होता है वृषभ एक बैल होता है तो इस तरह इसे बैल पर बैठा साधू माना जाएगा लाल किताब की भाषा में शिवजी बैल पर बैठे हुए. लड़की की कुंडली में दूसरा बृहस्पति ससुराल का भी बन जाता है. दूसरा घर राहु और केतु की बैठक माना जाता है माथे की दोनो भोंहे जंहा मिले वो स्थान दुनियावी और रूहानी दोनों का मिलन होता है इसलिए राहु केतु की बैठक बोला जाता है तो कभी राहु बलि कभी केतु बलि यानी बृहस्पति अब ऐश और अध्यात्म एक साथ लेगा या ये भी माना जा सकता है के सारे ऐब पुरे करने के बाद सारी दुनिया देखने के बाद धर्म के मार्ग पर आ जाएगा। लेकिन किसी भी स्थिति में इसके ख्याल बुरे नहीं होंगे।  कुंड

ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व - venus in astrology

  शुक्र ग्रह एक ऐसे दैत्य गुरु जो जीवन में सब कुछ दे सकते है जो एक इंसान चाहता है पैसा, परिवार, लक्ज़री, विदेश और सब कुछ ले भी सकते है, और हमेशा राहु क्यों चलता है इनके साथ कैसे राहु शुभ शुक्र या अशुभ शुक्र बनाने में सक्षम है आइये जानते है शुक्र ग्रह बुध के बाद सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है, शुक्र का एक मतलब वीर्य भी होता है अथर्ववेद में वीर्य को वज्र कह कर पुकारा जाता है यानी सबसे मजबूत चीज़ दुनिया की. योग शास्त्र कहते है के वीर्य यानी शुक्र आंतरिक रूप से शरीर को मजबूत करता है और दिमाग की कोशिका जिसे  नुएरोन कहते है उसका निर्माण भी करता है. इसलिए योग शास्त्र में ब्रह्मचर्य बहुत जरूरी माना  जाता है. अब दिमाग हो गया बुध और शुक्र हुए शुक्राणु यानी किसी व्यक्ति का यदि बुद्धि और उसका निर्माण करने वाले सेल यानी शुक्र एक साथ है तो व्यक्ति की आत्मशक्ति बहुत ही बढ़ जाती है यानी सूर्य ग्रह मजबूत होता है इसे लाल किताब मसनुई बताया गया बुध और शुक्र की युति सूर्य का निर्माण करती है यानी बुध और शुक्र को किसी तरह मिलाया जाए तो सूर्य के शुभ फल मिल सकते है.  शुक्र प्यार को दर्शाता है, पैसे को दर्शाता है,

शनि वक्री कुम्भ राशि में - Saturn retrograde in Aquarius

 आज बात करते शनि देव वक्री होने जा रहे है तो अलग अलग लगन में क्या फल मिलेगा। देखिये शनि देव 17 जून 2023 को कुम्भ राशि में वक्री होंगे जो की लगभग 140 दिन वक्री रहेंगे. अब शनि हर साल वक्री होते है तो ये कोई नयी बात नहीं है लेकिन शनि का वक्र एक opportunity देता है के जिस भाव में वक्री हो रहे है उस भाव को सही करने का मार्ग आपके लिए खुल जाता है. शनि ग्रह कर्म के कारक है एक तरह से रिपेयर करने का मौका मिलता है जब शनि ग्रह किसी भाव में वक्री हो रहे हो तो. अबकी बार शनि ग्रह लाभ की राशि यानी कुम्भ राशि जो की हमारे अच्छे बुरे कर्मो का रिपोर्ट कार्ड होती है अब उसमे शनि देव वक्री होंगे तो आपको अपनी संगत, अपने प्रोफेशनल दोस्त, अपने प्रोफेशन के माहौल, जिंदगी में नयापन, हुनर को एक बार जांचने का मौका मिलेगा के आप सही जा रहे है या नहीं और यदि नहीं तो ठीक करने का मौका भी शनि देव देते है. तो कुम्भ राशि की जो प्रॉपर्टीज होती है उन्हें रिपेयर करने का एक मार्ग खुलेगा, जो लोग नयी रिसर्च पर काम कर रहे है उनके लिए बहुत अच्छा समय ये होगा. स्टॉक मार्किट में काम करने वालो को कमाई के मौके मिलने वाले है.  अब बात करत

शिव जी को दूध की रिश्वत

आज का ये मेरा लेख शायद कटाक्ष के तौर पर ले पर ऐसा नहीं है, सिर्फ भ्रान्ति मिटाने का प्रयास भर है, जिसके कारण मेरा अपना धर्म मेरा ही दुश्मन बन जाता है.  मेरा घर शिव मंदिर के पास है, मंदिर का mostly   ग्राहक मेरे घर के आगे से ही निकलता है, एक कुमार को आज ही देखा मंदिर की तरफ ही जा रहे थे कपडे कई दिन से नहीं धुले थे लेकिन हाथ में 26 रूपए वाली दूध की थैली थी.  इस जातक को मै बहुत दिन से देखता हूँ लेकिन एक अजीब सा ध्यान आज ही गया, jeans ruff हो गई shirt का पता नहीं किधर जा रही है. ये मात्र एक ही नहीं है ये काफी लोगों का डेली routine बन चुका है.  मै इस लेख को धर्म और astrology दोनों को आधार मानकर लिखता हूँ, पहले धर्म पर ही आ जाते है सावन का महीना है शिव जी plz मुझे माफ़ करें, लेकिन शिव जी या तो भोले है या शातिर। मेरे को कपडे पहनने को नहीं है और 26 वाला दूध डेली ले लेते है मेरे से, दूध लेकर ही मेरी भावना को वो समझ सकते है अन्यथा तो शायद ना  समझें। मेरे भाई लोगों भगवान भक्ति मात्र से भी खुश हो जाते है, वो परम सत्ता पर बैठा महान ईश्वर तुम्हारे दूध का अभिलाषी नहीं है उसने गाय भी बनाई है दूध भी बना

पन्ना रत्न पहनने के फायदे - emerald astrology benefits in Hindi

ज्योतिष में पन्ना बुध ग्रह का रत्न (gemstone) है और यह हरे रंग का होता है । इसे धारण करने से अनेक फायदे मिलते है लेकिन ये हरेक के लिए नही होता। इसे धारण करने के क्या है फायदे और कैसे पहनते है पन्ना आइये जानते है.  what is panna (emerald) पन्ना एक रत्न है जो धरती से निकाला जाता है इसे emerald भी कहते है. जबकि कुछ रत्न जैविक अवस्था में भी मिलते  है जैसे मोती। आजकल lab में भी artificial emerald तैयार किया जाता है लेकिन ये astrology की दृष्टि से ठीक नही होते, अगर आप ज्योतिषीय उपाय के लिए पन्ना धारण कर रहे है तो natural emerald की धारण करे नही तो कोई फायदा नही होगा.  अब बात आती है पन्ना किसे पहनना चाहिए, ये रत्न बुध से जुड़ा हुआ है तो जिस भी व्यक्ति की जन्म पत्रिका में बुध केंद्र या त्रिकोण का स्वामी बनता है उन्हें पन्ना डालने के सलाह दी जाती है.  वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुम्भ लग्न  वालों के लिए पन्ना अच्छा रहता है । mantra for wearing emerald  पन्ने को अभिमंत्रित करने का मंत्र: ॐ ब्राम ब्रीम ब्रौम सह बुधाय नमः  panna (emerald) pehnne ke fayde   बुध ग्रह के अंदर  दिमाग, नर्वस सिस्टम ,

अग्नि-वायु - पृथ्वी - जल तत्व राशियां - element of zodiac sign in hindi

तत्व के आधार पर राशियों को चार भागों में बांटा गया है, अग्नि, वायु, पृथ्वी, जल राशि. इन राशि तत्वो का किसी व्यक्ति के  स्वभाव पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है. आइये जानते है इन तत्वों की विशेषताएं। elements of zodiac signs  12 राशियों को 4 तत्वों में बांटा गया है  fiery sign - अग्नि तत्व राशि  1. Aries - मेष  5  Leo - सिंह  9  Sagittarius - धनु   character of fiery sign - ये राशि साहस, confidence, आक्रामकता दिखाती है. ऐसे लोग उची उड़न भरने की क्षमता रखते है लेकिन गिरते भी उसी स्पीड से है. ये किसी बात का response बहुत जल्दी करते है. किसी भी काम में अपनी पूरी energy लगा देते है ये लोग और यही चीज़ इन्हें कामयाब बना सकती है.  airy sign  -  वायु  राशि  3  Gemini - मिथुन  7  Libra - तुला  11 Aquarius - कुम्भ  वायु राशि दिमाग और मन से जुडी हुई राशियां मानी गई है. इसके अलावा इसका सम्बन्ध आदर्श नेचर, आर्ट्स, किसी बारे में बारीकी से सोचना इन बातो से होता है. बहुत जल्दी imagination कर लेते है और साथ अपनी energy कई जगह इस्तेमाल करने की क्षमता भी रखते है.  earthy sign - पृथ्वी राशि   2.  Taurus  - वृष  6  

सात्विकम, राजसिक और तामसिक राशियां - movable, fixed, dual zodiac sign

हिन्दू शास्त्रों के आधार पर राशियों को तीन गुणों में बांटा जाता है - राजसिक, तामसिक और सात्विक। ज्योतिष में इन्हें चर, स्थिर और द्विस्वभाव कहा गया है. इन भागो की राशियों के अपने कुछ अच्छे और बुरे हिस्से होते है आइये जानते है.  char - sthir - dwisvbhav zodiac signs  cardinal - movable - char zodiac sign   Aries (मेष) , cancer (कर्क), Libra (तुला), Capricorn (मकर) fixed - sthir  zodiac signs   Taurus (वृष), Leo (सिंह), Scorpio (वृश्चिक), Aquarius (कुम्भ) dual - common - dwisvbhav  zodiac sign  Gemini (मिथुन), Virgo (कन्या), Sagittarius (धनु),  Pisces (मीन)   cardinal - movable - char zodiac sign  की विशेषताएं  ये लोग हिम्मत वाले होते है. ये लोग fame की तरफ जाते है, किसी भी परेशानी से निकलने की क्षमता इनमे होती है. depend होना पसन्द नहीं करते. चर राशि के लोग अपने हिसाब से things को shape देते है. अपने goals को हमेशा ध्यान में रखते है.  fixed - sthir  zodiac signs  की विशेषताएं  ये लोग stability पसन्द करते है. इनमे धैर्य बहुत ज्यादा होता है. ये लोग बहुत व्यवहारिक होते है लेकिन सोच में cons

क्या होता है अस्त ग्रह - combust planet meaning in hindi

vedic astrology के अनुसार जब  कोई ग्रह जब सूर्य के  पास आ जाता है तो सूर्य के सबसे गर्म और तेज़ होने के कारण वह ग्रह अपनी शक्ति खो देता है या कमजोर हो जाता है. इसे अस्त ग्रह (combust planet) भी कहते है. इसके लिए ज्योतिषी को ग्रहों के अंश देखने पड़ते है.  combust planet astrology  in hindi  हर ग्रह की एक अंश अनुसार सूर्य के निकट आने से ग्रह अस्त माना जाता है.  degree for combust planets  चन्द्रमा - 12 degree  गुरु - 11 डिग्री शुक्र - 10 degree  बुध - 14 degree शनि - 15 degree मंगल - 17 डिग्री  राहु-केतु छाया ग्रह होने के कारण कभी भी अस्त नहीं माने जाते.  janm kundali में ग्रह अस्त होने से उसके बल में कमी आ जाती है. इसके लिए पहले कुंडली का सही से analyse  करना चाहिए। और अस्त ग्रह का उपाय करना चाहिए। इसके लिए पहले अस्त ग्रह की जरूरत पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि उसे बल देना जरूरी है तो ही बल देना चाहिए.  combust planet की remedy के लिए stones और मंत्रो का सहारा लिया जाता है. 

राहु भी करवाता है प्रेम विवाह - Yogas of Rahu for love marriage

वैसे तो कुंडली में भावों और उनके स्वामियों से लव मैरिज के बारे में देखा जाता है लेकिन कभी कभी राहु भी प्रेम विवाह करवाता है.आइये जानते है राहु से बनने वाला प्रेम विवाह योग   राहु योग से प्रेम विवाह  (Yogas of Rahu for love marriage)  राहु का संबन्ध जब भी विवाह भाव यानि के 7वें भाव  से होने पर व्यक्ति लीक या परम्परा से हटकर शादी करने की  सोचता है.  यदि   पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है. जैसे यदि पांचवे भाव का स्वामी शुक्र है और यदि शुक्र की उच्च राशि यानि किए मीन में राहु हो तो प्रेम विवाह हो सकता है.   जब janm kundli  में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है. तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है. यदि जन्म कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है. 

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