Skip to main content

Posts

Showing posts with the label ancient vastu

बहुत विशेष है कामधेनु गाय - KAAMDHENU COW SIGNIFICANCE VIA ASTROLOGY AND VASTU SHASTRA

 कामधेनु गाय के बारे में आपने सुना होगा समुन्द्र मंथन से प्राप्त ये गाय किसी भी इच्छा को पूरा करने में सक्षम मानी जाती है. इनके साथ बड़ी सारी कहानी जुडी है जैसे समस्त रुद्रों की माता, सुरभि गाय. लेकिन ज्योतिष और वास्तु शास्त्र जैसे विषयो में इनका स्वरुप कैसे समझा जाए आइये जानते है. 

वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या है?

वास्तु शास्त्र या वास्तु दोष एक बहुत प्रचलित शब्द है, आज बात करते है असल में वास्तु दोष क्या होता है. vastu dosh kya hota hai  daily वास्तु के अनेकों articles पढ़ते है, आज बात करते है वास्तु शास्त्र - वास्तु दोष क्या होता है. वैदिक शास्त्रों में चाहे या हिन्दू हो या Chinese या अन्य घर से studies सभी तत्व और ऊर्जा को महत्व देते है. सिर्फ उनके बताने के style में बदलाव आता है लेकिन तर्कसंगत सभी है और सभी का conclusion एक ही निकलता है.  इन स्टडीज के अनुसार  जब हमारा घर बनता है तो इसमें ऊर्जा बंट जाती है और पुरे घर में फ़ैल जाती है और एक दूसरे से जुडी होती है. ठीक उसी तरह जैसे हमारे शरीर नसें एक दूसरे से जुडी होती है. बिलकुल same  funda  बॉडी वाला ही है जब शरीर में कोई blockage आती है तो बाकी हिस्सों में भी परेशानी आती है इसमें भी जब energy fields में हम कोई disturbance कर देते है जैसे कोई pillar, या कुछ कंस्ट्रक्शन कर देते है तो ये ऊर्जा सही से घूम नहीं पाती और हमे संबंधित परेशानी आ जाती है.   अब संबंधित परेशानी क्या ह...

दक्षिण-पश्चिम में टॉयलेट अच्छा या बुरा

दक्षिण-पश्चिम दिशा को नैऋत्य कोण कहा जाता है, ईशान कोण के बाद ये कोण सबसे महत्वपूर्ण होता है. कुछ वास्तु शास्त्री इस स्थान पर टॉयलेट बनाने की सलाह देते है कुछ नही. जबकि दोनों ही सही हैं. आइये जानते है ये भ्रम की स्थिति क्यों आती है.  south-west toilet good or bad or both वास्तु पुरुष मंडल के अनुसार दक्षिण पश्चिम का कोना चार भागों में बनता है जिन्हें हम 4 देव भी बोलते है ये है - भ्रंगराज, मृग, पितृ, दौवारिक ... इन्हें आप pic में देख कर समझ  पाएंगे.  इन  देवताओं की शक्तियों का अलग अलग वर्णन मिलता है. इनमे से केवल भृंगराज वास्तु जोन में टॉयलेट बनाना फायदेमंद होता है (ऐसा क्यों है वो आपको अन्य पोस्ट में बताएंगे.) जबकि अन्य कोण में बुरा माना जाता है. पितृ वास्तु जोन में टॉयलेट तलाक की समस्या तक दे देता है पितृ दोष का निर्माण करता है.  कुछ vastu consultant toilet की दिशा southwest बता देते है जो की गलत है, proper degree के हिसाब से बताना जरूरी है एक तरह से southwest-south में टॉयलेट बनाया जा सकता है. 

वास्तु से जुड़े वेद व् ग्रन्थ (vedas and granth related to vastu )

वास्तु से संबंधित वेद में सबसे नाम आता है ऋग्वेद का. ऋग्वेद में इस बात का उलेख है के किसी भी भवन का निर्माण करने से पहले " वास्तु सप्तिदेव" की पूजा की जानी चाहिए।  इसके अलावा वास्तु से जुड़े दो प्राचीन ग्रन्थ है " विश्वकर्मा प्रकाश " और समरंगन सूत्रधार" .  इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में महाभारत और रामायण एवं मत्स्य पुराण में भी वास्तु शास्त्र का उल्लेख मिला है.

वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक से करे परेशानी दूर

स्वस्तिक  अत्यन्त प्राचीन काल  से  भारतीय  संस्कृति में मंगल-प्रतीक माना जाता  रहा है। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से  पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित करके उसका पूजन  किया जाता है। स्वस्तिक शब्द सु+अस+क से  बना है। 'सु' का अर्थ अच्छा, 'अस' का अर्थ 'सत्ता'  या 'अस्तित्व' और 'क' का अर्थ 'कर्त्ता' या करने वाले से है। इस प्रकार  'स्वस्तिक' शब्द का अर्थ हुआ 'अच्छा' या 'मंगल' करने वाला। जानते है   वास्तु शत्र में इसका महत्व।  types of swastik स्वस्तिक की यह आकृति दो प्रकार की हो सकती है। प्रथम स्वस्तिक,  जिसमें रेखाएँ आगे की ओर इंगित करती हुई हमारे दायीं ओर मुड़ती हैं।  इसे 'स्वस्तिक' कहते हैं। यही शुभ चिह्न है, जो हमारी प्रगति की ओर संकेत  करता है। दूसरी आकृति में रेखाएँ पीछे की ओर संकेत करती हुई हमारे  बायीं ओर मुड़ती हैं। इसे 'वामावर्त स्वस्तिक' कहते हैं। भारतीय संस्कृति  में इसे अशुभ माना जाता है।  वास्तु शास्त्र में स्वस्तिक  - how to use swastik in vastu shastra   वास्तु शास्त्र में स्वस्त...

वास्तु शास्त्र में कॉपर का महत्व - copper in vastu

कॉपर (तांबा ) को वास्तु शास्त्र में सोने और चांदी के बराबर ही माना  जाता है. कॉपर को वास्तु के अलावा आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसके गुणों का वर्णन भी किया गया है आइये जानते है इसके कुछ गुणों के बारे में। । use of copper in vastu shastra कॉपर (ताम्बा) और मनुष्य का  तरंग दैर्ध्य   (wave length) एक ही होता है जिस कारण ये नकारात्मक ऊर्जा को सबसे ज्यादा काम करता है.  एक ही  तरंग दैर्ध्य   (wavelength) होने के कारण ज्योतिषी किसी भी यन्त्र का निर्माण ताम्बे के पत्रे पर ही करते थे.  कॉपर को प्रकृति में ऑलीगोडायनेमिक के रूप में ( बैक्‍टीरिया पर धातुओं की स्‍टरलाइज प्रभाव ) जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से बैक्‍टीरिया को आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है। इसी कारण से पुराने समय से नदी में ताम्बे का सिक्का डालने का चलन है.  कॉपर की धातु के स्‍पर्श वाला पानी शरीर में थॉयरायड ग्रंथि को नॉर्मल कर देता है और उसकी कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है।  आर्युवेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से toxins  को बाहर न...

वास्तु में वृक्षों का महत्व vastu tips for trees in hindi

* जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष अधिक मात्रा में हो वह भूमि, वास्तु शास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।  * जिन वृक्षों पर फूल आते रहते हैं और लता एवं वनस्पतियां सरलता से वृद्धि करती हैं इस प्रकार की भूमि भी वास्तु शास्त्र में उत्तम बताई गई है। * जिस भूमि पर कंटीले वृक्ष, सूखी घास, बैर आदि वृक्ष उत्पन्न होते हैं। वह भूमि वास्तु में निषेध बताई गई है। * जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं करना चाहिए, जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो। * भवन के निकट वृक्ष कम से कम दूरी पर होना चाहिए ताकि दोपहर की छाया भवन पर न पड़े। * सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी वास्तु शास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु का वास होता है। * जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हो वहां भवन निर्माण करना उत्तम है। तुलसी का पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।

Learn Astrology

you can buy recorded courses and research notes. contact on whatsapp @9899002983

About Me

My photo
prateek gupta
My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983