राहु की अन्य ग्रहो से युति – रहस्य, विस्तार और परिणाम
राहु... एक छाया ग्रह, जिसकी न कोई अपनी राशि है, न कोई स्थूल रूप, लेकिन इसके प्रभाव की गहराई को समझना हर ज्योतिषी के लिए एक रहस्यलोक की सैर जैसा है। आमतौर पर इसे पाप ग्रह माना जाता है, परन्तु जब राहु अनुकूल अवस्था में हो और जातक की वृत्ति या पेशेवर राह से मेल खा जाए, तो यह उसे आसमान की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है।
राहु का स्वभाव विस्तार देने वाला है — एक अनियंत्रित, अस्थिर, लेकिन शक्तिशाली विस्तार। जिस ग्रह के साथ यह जुड़ता है, उसकी करकत्व शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है, परंतु भ्रम, भ्रमित निर्णय और अस्थिरता भी साथ लाता है।
इस विस्तार को समझने के लिए राहु के अनिवार्य साथी — केतु — को भी समझना जरूरी है। ये दोनों हमेशा जन्म कुंडली में ठीक 180° पर विराजमान रहते हैं, जैसे जीवन के दो छोर। राहु जहां "बाहर की दुनिया" है, वहीं केतु "भीतर की खोज"। दोनों का संतुलन ही राहु की शक्ति को सही दिशा में ले जा सकता है।
🔯 राहु की युति — ग्रह अनुसार विश्लेषण
🌞 राहु + सूर्य
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राजनीति में सफलता का योग।
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सूर्य आत्मबल, प्रतिष्ठा और पिता का कारक है, राहु के साथ युति से ‘ग्रहण दोष’ बनता है।
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जातक में अपार आत्मविश्वास आता है, लेकिन अहंकार और बदनामी का भी योग बनता है।
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हृदय संबंधी समस्याएँ, पिता से मतभेद, या प्रतिष्ठा हानि हो सकती है।
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शुभ स्थिति में जातक राजनैतिक या प्रशासनिक क्षेत्र में ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।
🌙 राहु + चंद्रमा
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कल्पनाशीलता, रचनात्मकता और गहराई से सोचने की शक्ति देता है।
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राहु चंद्रमा को प्रभावित कर ‘चांडाल चंद्र दोष’ बनाता है — मानसिक असंतुलन, बेचैनी।
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यदि शुभ भाव में हो, तो जातक बेहतरीन लेखक, चित्रकार, या ग्राफिक डिज़ाइनर बन सकता है।
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परन्तु 6, 8, या 2 भाव में यह मूत्र विकार या वैवाहिक अशांति ला सकता है।
🔥 राहु + मंगल (अंगारक योग)
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अत्यंत उग्र और संघर्षशील प्रवृत्ति।
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गुस्सा, आक्रामकता और अचानक घटनाओं का संकेत।
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जातक सेना, पुलिस या प्रशासनिक सेवा में जा सकता है।
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यदि पीड़ित हो, तो कैंसर, फोड़े, चोट-चपेट या दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
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5वें या 10वें भाव में हो, तो राजनीति में प्रभावी भूमिका मिल सकती है।
🧠 राहु + बुध
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बुध बुद्धि और वाणी का प्रतिनिधि है। राहु के साथ युति से "बुद्धि की चालाकी" आती है।
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जातक बड़ी चतुराई से झूठ को सच बना सकता है।
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लेकिन मानसिक विकार, भाषण दोष या घातक चालबाजियाँ भी हो सकती हैं।
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यदि यह युति 8वें या 12वें भाव से जुड़ी हो, तो जातक तंत्र-मंत्र की ओर आकर्षित होता है।
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रोजगार में एजेंट, बैंकिंग या गुप्तचर सेवा संभव।
📚 राहु + बृहस्पति (गुरु चांडाल योग)
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धर्म, आस्था और गुरुत्व के प्रति विद्रोही स्वभाव।
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जातक तर्क के आधार पर धर्म को समझना चाहता है, परंतु मार्गदर्शक गुरु की कमी रहती है।
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9वें भाव में यह युति हो तो कई बार जातक धर्म-परिवर्तन या विचारधारात्मक अस्थिरता से गुजरता है।
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यदि पीड़ित हो, तो लीवर, शुगर, हृदय व पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
💕 राहु + शुक्र
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अत्यधिक आकर्षण, कला प्रेम, ग्लैमर, फैशन, और स्त्री जाति से जुड़ा आकर्षण।
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यह युति व्यक्ति को मॉडलिंग, कला, या सिनेमा क्षेत्र में ख्याति दिला सकती है।
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परंतु सेक्स की लत, अनैतिक संबंध, या व्यसनों में भी डूबो सकती है।
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यौन रोग या मूत्र से जुड़ी बीमारियाँ भी संभावित हैं।
⚖️ राहु + शनि (शापित योग)
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शनि संघर्ष, बाधा और कर्म का प्रतिनिधि है। राहु के साथ युति इसे मानसिक पीड़ा और जीवन के उतार-चढ़ाव से जोड़ती है।
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इस योग को पिछले जन्म के पापों का फल भी माना जाता है।
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लंबे समय तक चलने वाले रोग, आर्थिक अस्थिरता, और मानसिक अवसाद जैसी स्थितियाँ बन सकती हैं।
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यदि अच्छे भाव में हो तो टेक्निकल ज्ञान, तंत्र की ओर झुकाव, अथवा न्यायिक क्षेत्र में कार्य भी दे सकता है।
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34 से 37 वर्ष की उम्र में विशेष संघर्ष की संभावना रहती है।
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