ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह का छठे भाव में होना पिछले जन्म के अधूरे कर्मों, खासकर महिलाओं और प्रेम संबंधों से जुड़े ऋण का संकेत है। इसे "स्त्री श्राप" भी कहा जाता है। यह स्थिति संकेत करती है कि जातक ने किसी पूर्व जन्म में स्त्रियों के प्रति गलत व्यवहार किया या रिश्तों में कर्तव्यों का पालन नहीं किया था, जिसका परिणाम इस जीवन में भुगतना पड़ रहा है।
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