शनि की तृतीय दृष्टि (तीसरी दृष्टि) का प्रभाव प्रत्येक भाव में
ज्योतिष में शनि (Saturn) को न्याय का देवता कहा जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल देता है। शनि की तीसरी दृष्टि (Third Aspect) उस स्थान को नियंत्रित करती है जिस पर यह पड़ती है। शनि की दृष्टि बाधा, देरी और अनुशासन लाने वाली होती है, लेकिन यदि शनि शुभ हो तो यह स्थिरता, धैर्य और सफलता भी देता है।
शनि की दृष्टियों में विशेषता होती है कि यह तीसरी (3rd), सातवीं (7th) और दशम (10th) दृष्टि से प्रभावित करता है। यहाँ हम शनि की तीसरी दृष्टि का प्रत्येक भाव में प्रभाव देखेंगे।
🔹 शनि की तृतीय दृष्टि का प्रभाव सभी भावों में
1️⃣ प्रथम भाव (लग्न) पर तीसरी दृष्टि
👉 यदि शनि तीसरी दृष्टि से लग्न को देख रहा है, तो व्यक्ति गंभीर, मेहनती, और अनुशासनप्रिय होता है।
✅ व्यक्ति दीर्घायु होता है।
❌ बचपन में संघर्ष, आत्मविश्वास की कमी या शारीरिक कष्ट हो सकता है।
✅ यदि शनि शुभ है, तो व्यक्ति कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
2️⃣ द्वितीय भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति का संवाद कठोर और व्यावहारिक हो सकता है।
✅ धन संचय करने की अच्छी क्षमता होती है।
❌ वाणी में कटुता आ सकती है और परिवार में विवाद की संभावना रहती है।
✅ धीरे-धीरे व्यक्ति धनवान बनता है और उत्तराधिकार में संपत्ति मिल सकती है।
3️⃣ तृतीय भाव पर तीसरी दृष्टि (स्वयं पर प्रभाव)
👉 यदि शनि तीसरी दृष्टि से तीसरे भाव को देख रहा है, तो यह व्यक्ति को अत्यधिक परिश्रमी और आत्मनिर्भर बनाता है।
✅ व्यक्ति संघर्षों के बाद सफलता प्राप्त करता है।
❌ भाई-बहनों से दूरी या मतभेद हो सकता है।
✅ व्यक्ति में आत्म-नियंत्रण और अनुशासन रहता है।
4️⃣ चतुर्थ भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के घर, माता और मानसिक शांति पर प्रभाव पड़ता है।
❌ माता के स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है।
❌ घर की सुख-सुविधाओं में कमी या वाहन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो व्यक्ति धीरे-धीरे अच्छा घर और संपत्ति अर्जित करता है।
5️⃣ पंचम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के बुद्धि, संतान और प्रेम संबंधों पर प्रभाव पड़ता है।
❌ शिक्षा में रुकावट आ सकती है।
❌ संतान को कष्ट हो सकता है या संतान सुख में देरी हो सकती है।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो व्यक्ति गहरे विचारों वाला और गंभीर होता है।
✅ व्यक्ति अच्छी योजना बनाकर कार्य करता है और परिश्रम से सफलता प्राप्त करता है।
6️⃣ षष्ठम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति को शत्रु, रोग और ऋण में संघर्ष करना पड़ सकता है।
✅ व्यक्ति की संघर्ष क्षमता मजबूत होती है और वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।
❌ स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, विशेषकर हड्डियों और नसों से संबंधित।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो व्यक्ति प्रशासनिक सेवा, पुलिस या सेना में सफलता प्राप्त कर सकता है।
7️⃣ सप्तम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के वैवाहिक जीवन और साझेदारी पर प्रभाव डालता है।
❌ विवाह में देरी हो सकती है या दांपत्य जीवन में संघर्ष हो सकता है।
❌ जीवनसाथी गंभीर स्वभाव का हो सकता है।
✅ व्यापार में धैर्य और अनुशासन से सफलता मिल सकती है।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो जीवनसाथी समझदार और व्यवहारिक होता है।
8️⃣ अष्टम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के आयु, गूढ़ ज्ञान और रहस्यमय विषयों पर प्रभाव डालता है।
❌ अचानक कष्ट, दुर्घटना या मानसिक तनाव हो सकता है।
✅ व्यक्ति गहरे रहस्यों को समझने वाला और शोध कार्यों में रुचि रखने वाला होता है।
✅ मृत्यु के बाद की चीजों में (जैसे ज्योतिष, तंत्र, मनोविज्ञान) रुचि हो सकती है।
9️⃣ नवम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के धर्म, भाग्य और गुरु से संबंध को प्रभावित करता है।
❌ भाग्य देर से खुलता है और व्यक्ति को बहुत संघर्ष के बाद सफलता मिलती है।
❌ धार्मिक आस्था कमजोर हो सकती है या व्यक्ति धार्मिक परंपराओं को नहीं मानता।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो व्यक्ति कर्मयोगी और ज्ञानवान बनता है।
🔟 दशम भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के कैरियर और समाज में प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है।
✅ मेहनती और अनुशासनप्रिय व्यक्ति बनाता है।
✅ व्यक्ति धीरे-धीरे उन्नति करता है और अपने कार्यक्षेत्र में स्थायित्व प्राप्त करता है।
❌ प्रारंभिक संघर्ष रहता है लेकिन सफलता सुनिश्चित होती है।
1️⃣1️⃣ एकादश भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के लाभ, आय और इच्छाओं पर प्रभाव डालता है।
✅ आर्थिक लाभ धीरे-धीरे बढ़ता है।
✅ व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में प्रभावशाली मित्र बनाता है।
❌ कभी-कभी बड़े लाभ में देरी होती है।
✅ यदि शनि शुभ हो, तो व्यक्ति वृद्धावस्था में सुखी और संपन्न होता है।
1️⃣2️⃣ द्वादश भाव पर तीसरी दृष्टि
👉 व्यक्ति के व्यय, विदेश यात्रा और मोक्ष पर प्रभाव डालता है।
❌ खर्च अधिक होता है और आर्थिक अस्थिरता आ सकती है।
✅ व्यक्ति गुप्त विद्याओं, तंत्र और ध्यान में रुचि ले सकता है।
❌ यदि शनि अशुभ हो,
Comments
Post a Comment