चतुर्थ भाव (4th House) और उसका स्वामी
- चतुर्थ भाव माता, गृह-सुख, वाहन, संपत्ति, ज़मीन-जायदाद, मन की शांति, और मानसिक सुख-सुविधाओं को दर्शाता है।
- जिस ग्रह के पास चतुर्थ भाव का स्वामित्व होता है, उसे चतुर्थ भावेश कहा जाता है। कुंडली में यह ग्रह जिस भाव में स्थित होता है, वहाँ की स्थितियों और कारकों को चतुर्थ भाव की ऊर्जा प्रदान करता है।
चतुर्थ भाव का स्वामी (4th Lord) जब विभिन्न भावों में जाता है, तो उस भाव के साथ-साथ चतुर्थ भाव के कारक तत्वों में भी परिवर्तन और प्रभाव देखने को मिलता है। साथ ही, अगर वह शुभ ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो उसका फल और भी परिवर्तित हो जाता है।
1. चतुर्थेश (4th Lord) का लग्न (प्रथम भाव) में फल
सामान्य फल
- चतुर्थेश लग्न में होने से व्यक्ति को घर-परिवार और माता-पिता से अच्छा सहयोग मिलने के संकेत हो सकते हैं।
- जातक को अक्सर अच्छी शिक्षा, वाहन, सुख-सुविधाएँ प्राप्त होने के योग बनते हैं।
- मन की स्थिरता बनी रहती है, और व्यक्ति अपने मूल स्वभाव में अधिक “होम-ऑरिएंटेड” या पारिवारिक झुकाव रखता है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- अगर गुरु, शुक्र या चंद्र जैसे शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो पारिवारिक सुख और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
- जातक को संपत्ति, वाहन इत्यादि का लाभ होता है, साथ ही माता का सहयोग भी अच्छा रहता है।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- शनि, राहु, केतु या मंगल आदि की अशुभ दृष्टि से जातक को पारिवारिक या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
- माता के स्वास्थ्य में बाधा या घर-परिवार में कलह की संभावना बढ़ जाती है।
- शिक्षा या संपत्ति-संबंधी मामलों में भी रुकावटें आ सकती हैं।
2. चतुर्थेश का द्वितीय भाव में फल
सामान्य फल
- द्वितीय भाव धन, वाणी, परिवार और कुटुंब का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से परिवार के साथ भावनात्मक जुड़ाव प्रबल हो जाता है; परिवार में स्थिरता और सुख-सुविधा का वातावरण होने की संभावना रहती है।
- धन-संपत्ति से जुड़े लाभ के भी योग बन सकते हैं (जैसे पारिवारिक व्यवसाय या ज़मीन-जायदाद से धनलाभ)।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि रहेगी, पारिवारिक मूल्यों को बल मिलेगा।
- वाणी सौम्य और विनम्र होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे व्यक्ति लोगों को आकर्षित कर सकता है।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- घरेलू कलह, आर्थिक उतार-चढ़ाव, वाणी में कटुता या परिवार के सदस्यों के बीच गलतफहमियाँ हो सकती हैं।
- धन-संपत्ति के विवाद या परिवार के अंदर असहमति के संकेत हो सकते हैं।
3. चतुर्थेश का तृतीय भाव में फल
सामान्य फल
- तृतीय भाव पराक्रम, साहस, भाई-बहन, संचार और लघु यात्राओं का भाव है।
- चतुर्थेश के तृतीय भाव में होने से जातक में साहस तो होगा, लेकिन घरेलू सुख से ध्यान हटकर संचार, लेखन, या भाई-बहनों से संबंधों की ओर केंद्रित रहेगा।
- कुछ मामलों में व्यक्ति घर से दूर रहकर अपने साहस या पराक्रम से सफलता पाता है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- भाई-बहनों के साथ सहयोगपूर्ण संबंध, लेखन, पत्रकारिता, विज्ञापन, संगीत या कला इत्यादि क्षेत्रों में रुझान।
- पारिवारिक सौहार्द बना रहता है और यदि कोई छोटा व्यवसाय हो तो उसमें लाभ होने के संकेत मिलते हैं।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- भाई-बहनों से मतभेद, छोटी-छोटी बातों पर विवाद, मानसिक अशांति।
- पराक्रम में बाधा, कार्यों में रुकावट या बार-बार की यात्रा से थकान या तनाव संभव।
4. चतुर्थेश का चतुर्थ भाव में फल (स्वग्रही स्थिति)
सामान्य फल
- यह चतुर्थेश की स्वगृही स्थिति मानी जाती है।
- इससे जातक को माता-पिता का विशेष स्नेह, स्थायी संपत्ति, घर, वाहन आदि का सुख मिलता है।
- मानसिक शांति रहती है, और जातक आम तौर पर स्थिर मन का होता है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- सभी तरह के सुखों में वृद्धि, घर के वातावरण में सुख-शांति, एजुकेशन में अच्छी प्रगति।
- व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होने के भी योग बनते हैं।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- चतुर्थ भाव का ग्रह यदि पाप दृष्टियों से ग्रसित हो जाए, तो पारिवारिक कलह या माता के स्वास्थ्य में परेशानी हो सकती है।
- संपत्ति विवाद, वाहन संबंधी दुर्घटनाओं की संभावना या मनोबल में गिरावट आ सकती है।
5. चतुर्थेश का पंचम भाव में फल
सामान्य फल
- पंचम भाव बुद्धि, विद्या, संतान, रचनात्मकता और प्रेम-संबंधों का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से व्यक्ति की शिक्षा में सफलता के संकेत होते हैं। संतान-सुख अच्छा रह सकता है।
- रचनात्मकता और कल्पनाशीलता बढ़ सकती है, विशेषकर यदि चतुर्थेश शुभ ग्रह हो।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- संतान पक्ष से प्रसन्नता, उच्च शिक्षा में लाभ, रचनात्मक कार्यों में प्रगति।
- प्रेम संबंधों में सुख, परिवार से भी सहयोग मिलता है।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- संतान संबंधी चिंताएँ, शिक्षा या परीक्षाओं में अवरोध।
- प्रेम संबंधों में गलतफहमियाँ, पारिवारिक विरोध या मानसिक कष्ट संभव।
6. चतुर्थेश का षष्ठम भाव में फल
सामान्य फल
- षष्ठम भाव रोग, ऋण, शत्रु, प्रतियोगिता तथा संघर्ष का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से घरेलू सुख में बाधा, पारिवारिक कलह या मानसिक परेशानियाँ आ सकती हैं।
- व्यक्ति को ज़मीन-जायदाद से संबंधित ऋण लेने या मुकदमेबाज़ी में फँसने के संकेत मिल सकते हैं।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- अगर चतुर्थेश मज़बूत हो और शुभ ग्रहों की दृष्टि हो, तो जातक साहस और परिश्रम से शत्रुओं पर विजय पा सकता है।
- पारिवारिक समस्याएँ हल हो सकती हैं, मगर थोड़े संघर्ष के बाद।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- घर-परिवार में तनाव, स्वास्थ्य समस्याएँ (विशेषकर माता के लिए), आर्थिक तंगी या ऋण का बोझ।
- पारिवारिक मुकदमे, संपत्ति विवाद या नौकर-चाकर से संबंधित झंझट हो सकते हैं।
7. चतुर्थेश का सप्तम भाव में फल
सामान्य फल
- सप्तम भाव विवाह, पार्टनरशिप, व्यापारी संबंध और सामाजिक छवि का भाव है।
- चतुर्थेश का सप्तम भाव में जाना दर्शाता है कि पारिवारिक सुख और मानसिक शांति, विवाह या पार्टनरशिप से काफी प्रभावित होगी।
- जातक को जीवनसाथी से अच्छा सुख मिल सकता है, या व्यावसायिक पार्टनरशिप में लाभ होने की संभावना है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- दांपत्य जीवन सुखी, पार्टनर के साथ समझदारी और सामंजस्य।
- सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवारिक सहयोग मिलने से जीवन में उन्नति।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- वैवाहिक जीवन में मतभेद, कलह, अलगाव या पार्टनरशिप में धोखा-धड़ी की आशंका।
- पारिवारिक सहमति न मिलना या घर से दूर रहने की स्थिति।
8. चतुर्थेश का अष्टम भाव में फल
सामान्य फल
- अष्टम भाव आयु, रहस्य, परिवर्तन, आकस्मिक घटनाओं, गुप्त विद्याओं और अनुवांशिक धन का भाव है।
- चतुर्थेश अष्टम भाव में होने से पारिवारिक सुख में उतार-चढ़ाव, माता के स्वास्थ्य में समस्या, या संपत्ति से जुड़े अचानक परिवर्तन देखने को मिलते हैं।
- जातक मानसिक रूप से रहस्यमयी, अंतर्मुखी स्वभाव का हो सकता है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- गूढ़ ज्ञान, शोध, रहस्यमयी विद्याओं में सफल हो सकता है।
- अचानक धन लाभ या पैतृक संपत्ति से फायदा होने की संभावना।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- स्वास्थ्य समस्याएँ (खासकर माता या स्त्री पक्ष से), मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह।
- संपत्ति विवाद या अचानक बड़े ख़र्च की स्थिति।
9. चतुर्थेश का नवम भाव में फल
सामान्य फल
- नवम भाव धर्म, भाग्य, उच्च शिक्षा, गुरु, तीर्थयात्रा और सिद्धांतों का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से जातक धार्मिक या आध्यात्मिक परिवेश में पला-बढ़ा हो सकता है।
- घर में संस्कार और रीति-रिवाजों का माहौल होने की संभावना रहती है। व्यक्ति का भाग्य पारिवारिक सहयोग से चमक सकता है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- उच्च शिक्षा, विदेशी यात्राओं या तीर्थयात्राओं का सुख।
- परिवार का सहयोग और आशीर्वाद मिलने से भाग्य का उदय; घर में समृद्धि के संकेत।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- पिता या गुरु से मतभेद, उच्च शिक्षा में विघ्न, धार्मिक मतभेद या परिवार में संस्कार की कमी।
- भाग्य का साथ नहीं मिलना, मानसिक अशांति और पारिवारिक टकराव।
10. चतुर्थेश का दशम भाव में फल
सामान्य फल
- दशम भाव कर्म, करियर, प्रतिष्ठा, सामाजिक स्थिति और कार्यक्षेत्र का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से व्यक्ति का कार्यक्षेत्र परिवार या गृह-संबंधी विषयों से जुड़ सकता है (जैसे रियल एस्टेट, गृह-सजावट, वाहन-व्यवसाय आदि)।
- सामाजिक छवि और करियर में स्थिरता देखने को मिल सकती है, बशर्ते चतुर्थेश मज़बूत हो।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- करियर में उन्नति, सरकार से लाभ, समाज में सम्मान, माता-पिता का सहयोग।
- संपत्ति या पारिवारिक व्यवसाय से प्रसिद्धि या लाभ।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- कार्यक्षेत्र में अनिश्चितता, पद-प्रतिष्ठा में गिरावट या पारिवारिक कारणों से करियर में रुकावट।
- माता के साथ रिश्तों में खटास या घर से दूर रहकर काम करने की मजबूरी।
11. चतुर्थेश का एकादश भाव में फल
सामान्य फल
- एकादश भाव आय, लाभ, इच्छाओं की पूर्ति, बड़े भाई-बहन एवं मित्रों का भाव है।
- चतुर्थेश एकादश भाव में होने से घर-परिवार से आर्थिक या भावनात्मक लाभ मिल सकता है।
- मनोवांछित इच्छाएँ पूरी होने की संभावना, विशेषतः संपत्ति या घर-संबंधी इच्छाओं की पूर्ति।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- आय के साधनों में वृद्धि, पारिवारिक सहयोग से मनोकामनाएँ पूर्ण।
- मित्रों और बड़े भाई-बहनों से भी लाभ; समाज में अच्छा नेटवर्क बनता है।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- आय में अनिश्चितता, परिवार या मित्रों से धोखा, मानसिक तनाव।
- घरेलू सुख कम हो सकता है, आर्थिक अवरोध या आय-स्रोत बाधित।
12. चतुर्थेश का द्वादश भाव में फल
सामान्य फल
- द्वादश भाव व्यय, हानि, परोपकार, विदेश संबंध, गुप्त खर्च, अस्पताल या आश्रम का भाव है।
- चतुर्थेश यहाँ होने से व्यक्ति को घरेलू सुख कम मिल सकता है, या घर से दूर रहने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है (उदाहरण के लिए विदेश में रहना)।
- पारिवारिक कलह या माता से बिछड़ने जैसे भाव भी देखे जाते हैं, किंतु आध्यात्मिक उन्नति भी संभव है।
शुभ दृष्टियों का प्रभाव
- विदेश में संपत्ति खरीदना या रहने का योग।
- आध्यात्मिक रुझान, ध्यान और साधना से मानसिक शांति प्राप्त हो सकती है।
पाप दृष्टियों का प्रभाव
- अनावश्यक खर्चों में वृद्धि, मानसिक अशांति, पारिवारिक विघटन।
- गृह-सुख से वंचित रहना, माता के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ या दूरियाँ।
विभिन्न ग्रहों की दृष्टियाँ (संक्षिप्त प्रभाव)
गुरु (बृहस्पति) की दृष्टि
- प्रायः शुभ फल में वृद्धि: धन-संपत्ति, ज्ञान, नैतिकता, और मानसिक शांति में वृद्धि।
शुक्र की दृष्टि
- भौतिक सुख, वाहन, कला-सौंदर्य, प्रेम-भाव और विलासिता बढ़ाने वाला प्रभाव।
चंद्र की दृष्टि
- भावनात्मक स्थिरता और मानसिक शांति; माता-पिता का सहयोग मिलने के संकेत।
मंगल की दृष्टि
- ऊर्जा और साहस तो बढ़ता है, पर क्रोध और विवाद की स्थिति भी बन सकती है। प्रॉपर्टी विवाद या चोट-दुर्घटना की आशंका।
शनि की दृष्टि
- विलंब, बाधा, कड़ी मेहनत की माँग; परिश्रम के बाद ही फल मिलता है। घर-परिवार में कठोर अनुशासन या दूरियों का भाव।
राहु की दृष्टि
- अचानक लाभ या हानि, असमंजस, रहस्यमयी घटनाएँ; विदेश या अनजाने क्षेत्रों में अवसर भी दर्शा सकता है।
केतु की दृष्टि
- आध्यात्मिक रुझान, वैराग्य; मगर मानसिक उथल-पुथल या पारिवारिक दूरी की भी संभावना।
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