Skip to main content

मंगल से सांतवें भाव पर रहता है आपका ध्यान

नमस्कार,

आज एक छोटे से ज्योतिष सूत्र पर बात करते है ध्यान पर. मतलब एक ऐसा विषय जो आपको सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जीवन में उसकी आज हम बात करेंगे. कुंडली में मंगल ग्रह को मेष राशि का स्वामी माना गया है और मेष राशि जीवन की शुरुआती राशि माना गया है. मंगल ग्रह एक लड़ाका या एक सेनापति माना गया है. अब अगर आप एक सेनापति को समझे तो वो सामने वाली सेना को हर वक़्त देखता रहता है उनकी ताकत का जायजा लेता रहता है. इसलिए मंगल ग्रह फोकस का बन जाता है. अपने लक्ष्य पर हमेशा फोकस रहने वाला। जब हम किसी विषय पर ज्यादा फोकस कर लेते है तो आँखे लाल हो जाती है अब लाल आँखे भी मंगल ग्रह की मानी गयी है. 


ज्योतिष के इस सूत्र के अनुसार मंगल जिस भाव में स्थित है वहां तो अपनी पूरी ऊर्जा देता है लेकिन जिस भाव को और उस भाव मे जो राशि है उसपर सीधा यानी सप्तम दृष्टि से देख रहा है वहां ज्यादा फोकस लगा देता है. यहाँ फोकस की बात बाहरी फोकस पर है आंतरिक फोकस चन्द्रमा से देखते है. तो मंगल अपनी सप्तम दृष्टि जिस भाव पर डाल रहा है उस भाव के बारे में व्यक्ति लगातार ध्यान लगाता रहता है. 


आइए इसे मंगल के हर भाव के हिसाब से समझते है. 


मंगल यदि पहले भाव में है तो व्यक्ति अपने पार्टनर, डेली आमदनी और अपनी लुक्स पर ज्यादा सोच सकता है और कभी कभी उन विषयो पर ज्यादा ध्यान देने से सर दर्द या चिड़चिड़ा स्वाभाव हो सकता है क्यूंकि प्रभाव तो मंगल जिस भाव में है वहीं देखने को मिलेगा। 


दूसरे भाव में मंगल अष्टम भाव को देखेगा जिसकी ससुराल, छुपी हुई चीज़े, लड़ाई झगड़ा, भट्टी से जुडी चीज़े ऐसी पर ज्यादा ध्यान देगा जिसका सीधा प्रभाव उसके परिवार और पैसे पर होगा. 


तीसरे भाव में मंगल भाग्यवादी बना सकता है क्यूंकि भाग्य भाव को देखेगा ऐसे में व्यक्ति कभी कभी कर्म करने से बचता है या भाग्य पर ज्यादा डिपेंड हो सकता है इसका प्रभाव उसके पराक्रम पर आएगा. 

ये बहुत छोटी छोटी प्रॉपर्टीज आपको बताई जा रही है जितना आप भावों की चीज़ो को पढोगे उतनी ज्यादा क्लैरिटी आपको खुद मिलेगी. 


मंगल चौथे भाव में बैठकर दशम भाव को देखेगा, दशम भाव काम धंधे और पिता का भी है ऐसे में जातक पिता के धन या हेल्थ ध्यान दे सकता है. या खुद अपने आप में ब्रांड बनने पर ध्यान दे सकता है. मंगल अगर खराब हुआ तो सीधा असर खुद के मानसिक सुख और घर पर पड़ेगा. 


पंचम भाव में मंगल सीधा ग्यारह भाव को देखेंगे, यानी लाभ क्या होगा ये पहले देखेगा। कोई भी एफर्ट करने से लाभ क्या मिलेगा। गयारहवां भाव नए नए अविष्कार का है तो ऐसे में व्यक्ति का दिमाग कभी कभी जुगाड़ वाला बन जाता है क्यूंकि पंचम भाव बुद्धि का है. इसका सीधा असर बच्चो पर या खुद की हेल्थ पर पड़ सकता है. 


छठे भाव का मंगल बारहवे भाव को देखेगा, ऐसे में खर्च, संतुष्टि देने वाली चीज़े, इन्वेस्टमेंट, बहुत ज्यादा सोचना या बारहवे भाव के अन्य विषयो पर सोचेगा और उसका सीधा प्रभाव खुद के स्वास्थ्य पर होगा. 


सप्तम भाव मंगल खुद अपने पर ध्यान ज्याद दे सकता है ऐसे में व्यक्ति कभी कभी गुस्से का शिकार हो जाता है और इसका प्रभाव पार्टनरशिप या मैरिड लाइफ पर आएगा. हालाँकि यदि खुद पर इम्प्रूवमेंट करता है तो डेली आमदनी बहुत अच्छी देखि जाती है. 


अष्टम भाव का मंगल दूसरे भाव को देखता है ऐसे में भोग करने पर पूरा ध्यान रह सकता है जिसका सीधा असर ये होगा के व्यक्ति गुप्त कार्यो में पड़ जाएगा. यदि मंगल शुभ रखा जाए तो परिवार की भलाई सोच सकता है. 


नवम भाव का मंगल तीसरे भाव को देखता है. ऐसे में व्यक्ति पराकर्म यानी एक्शन पर ध्यान देता है. लेकिन भाई या प्रॉपर्टी से संबंधित मैटर्स भी उसके ध्यान में चलते रहते है जिससे सीधा सीधा भाग्य प्रभावित होता है. 


दशम में बैठा मंगल सीधा चतुर्थ भाव को देखता है. यहाँ जातक अपने मन की करता है. अपने आप को बड़ा दिखाना उसका कार्य  बन सकता है. बड़ा घर बड़ी गाडी ये सब दिमाग में चलता रहता है. हालाँकि ऐसे कार्यो के लिए ये कभी कभी अपना कामधंधा और नाम भी दांव पर लगा देते है. 


ग्यारहवे भाव में बैठा मंगल सीधा पंचम भाव को देखता है यहाँ मगल मनोरंजन, पार्टी पर ध्यान देता है, किसी भी अवस्था में खुश रहने पर ध्यान दे सकता है लेकिन कभी कभी ख़ुशी के लिए अच्छे अवसर ये खो सकते है. लाभ कहा है इन्हे कभी कभी पता नहीं चलता। शुभ मंगल होने पर ऐसे लोग अपनी इच्छाओं को बहुत देख सोच कर पूरा करते है बिना लोन लिए. 


बारह में बैठा मंगल छठे भाव को देखता है यानी शत्रु और कर्ज को कैसे समाप्त किया जाए ये उसके दिमाग में चल सकता है. हालाँकि बारह भाव में मंगल शुभ नहीं होता और कभी बहुत ऊँची उड़ान भरने के लिए ये लोग बड़े क़र्ज़ का सहारा लेते है जो इन्हे उल्टा पड़ सकता है. मंगल शुभ होने पर व्यक्ति धीरे धीरे अपनी परेशानियों को समझकर उन्हें पूरा करता है उसका ध्यान वही रह सकता है और अशुभ होने पर पुरे दिन किराया ब्याज भरने की सोच चलती है. 

Comments

Learn Astrology

you can buy recorded courses and research notes. contact on whatsapp @9899002983

About Me

My photo
prateek gupta
My Name is Prateek Gupta. I am a professional astrologer and vastu consultant. i am doing practice from many years. its my passion and profession. I also teach astrology and other occult subject. you can contact me @9899002983

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

Popular posts from this blog

सब कुछ सही होने के बाद भी तरक्की नहीं - किस तरह का वास्तु दोष

कुछ लोगो को इस बात की शिकायत रहती है के इन्हे अंदर से ताकत नहीं मिल रही. सब कुछ है लेकिन फिर भी जोश उमंग की कमी है जो तरक्की करने में परेशानी दे रही है. आज बात करते है वास्तु शास्त्र में इस समस्या को कैसे देखते है और क्या है इसका समाधान।

दही से मिलता है आकर्षण सच या झूठ ?

नमस्कार, पीछे मैंने कुछ जगह ये बात सुनी कुछ ज्योतिषियों के मुख से के दही यदि प्राइवेट पार्ट पर लगायी जाए तो काफी आकर्षण आपके अंदर आ जाता है जिससे विपरीत लिंग के लोग आपकी ओर खासकर स्त्रियाँ आकर्षित होती है. इससे आपका शुक्र मजबूत होगा और आप एक परम आकर्षक व्यक्ति बन जाएंगे.

जन्म पत्रिका के पंचम भाव को ठीक करने का वैदिक सूत्र - SECRET REMEDY FOR FIFTH HOUSE ASTROLOGY

कुंडली का जो पंचम भाव होता है वो उत्साह को दर्शाता है एक ऐसा उत्साह जिसमे व्यक्ति को जीने की तमन्ना मिलती है आगे बढ़ने का भाव मिलता है. आज के समय में काफी बड़ा वर्ग सिर्फ शांति की तलाश में इधर उधर भाग रहा है. थोड़ी सी भी परेशानी उन्हें भीतर तक हिला देती है. इन सबका कारण कुंडली का पांचवा भाव होता है. आज जानते है ऐसे छोटे छोटे उपाय जिन्हे आप अपना कर कुंडली पांचवे भाव को ठीक रख सकते है.

Shani Margi 2024 - शनि होंगे मार्गी कुम्भ राशि में, किस राशि पर क्या असर

 शनिदेव 15 नवंबर को मार्गी होने जा रहे है जो की लगभग 139 दिन की वक्र यात्रा पूरी करने के बाद अपनी खुद की राशि कुम्भ में मार्गी होंगे और इसका क्या प्रभाव हर राशि पर देखने को मिलेगा आइये जानते है. 

भलाई करते ही बुरे हाल - ज्योतिष अनुसार ऐसा कब होता है

कभी कभी एक बात सुनने को मिलती है नेकी कर दरिया में डाल यानी भलाई कर के भूल जाओ. लेकिन एक और कहावत है नेकी कर और जूते खा, यानी जितनी भलाई करते जाओगे उतनी परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. ज्योतिष में भी ऐसा एक योग होता है जिसमे व्यक्ति जितना अच्छा करता है बदले में उतनी लानते उसे सहनी पड़ती है. आइये जानते है.