कुछ लोगो को इस बात की शिकायत रहती है के इन्हे अंदर से ताकत नहीं मिल रही. सब कुछ है लेकिन फिर भी जोश उमंग की कमी है जो तरक्की करने में परेशानी दे रही है. आज बात करते है वास्तु शास्त्र में इस समस्या को कैसे देखते है और क्या है इसका समाधान।
वास्तु शास्त्र जीवन के हर पहलु को देखने की और उसे बदलने की ताकत रखता है. काफी बार ऐसे केस आते है जिसमे बाहरी रूप से कोई समस्या व्यक्ति को नहीं है मतलब जिस मार्किट में वहां काम काफी है, जॉब अच्छी है, स्मार्ट भी है. महिला है तो हम कह सकते है की पैसे की समस्या नहीं है, पति भी अच्छा है लेकिन फिर भी जो मुकाम हम चाह रहे है वो हासिल नहीं हो रहा.
देखिये वास्तु शास्त्र में दिशाओं को शिव और शक्ति स्थान में बांटा गया है. कुछ जगह इसे पुरुष प्रकृति या मेल फीमेल या यिन यांग कह दिया जाता है. जो भी कोने है जैसे ईशान कोण यानी नार्थईस्ट, आग्नेय southeast, नैऋत्य यानी दक्षिणपश्चिम और वायव्य ये सब शक्ति से संबंधित होते है और मुख्य दिशाएं पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण ये पुरुष दिशाएं है.
जब व्यक्ति अपने अंदर भरे आलस्य, मेन्टल क्लैरिटी, जोश, लोभ, मोह की वजह से आगे ना बढ़ पा रहा हो तो शक्ति स्थान दूषित या कुपित होता है. जब बाहरी दुनिया परेशानी का कारण बने तो शिव स्थान कारण बनता है.
ईशान कोण यदि खराब अवस्था में है तो आपको मालूम ही नहीं चलेगा के जाना कहाँ है आपकी असली ताकत और एक दूरदृष्टि में कमी रहेगी, आप अनेक कार्य करते रहेंगे लेकिन एक में नाम नहीं ले पाएंगे.
अग्नि कोण में यदि वास्तु दोष है तो आलस्य, नींद आपकी तरक्की में बाधा बनेगी। आपके काम को टालने के कारण धीरे धीरे काम आपसे दूर होने लगेगा।
नैऋत्य में गड़बड़ है तो आप जिस हुनर को पकड़ कर बैठे हो वो आपके काम का ही नहीं है या आपको आता ही नहीं है. जैसे कुछ वास्तु कंसलटेंट मेरे पास खुद की वास्तु के लिए आते है और नैऋत्य दूषित देख कर ही मै उन्हें बोल देता हूँ की आप नाम के वास्तु आचार्य है और शायद किसी और कारण से इस मंडी में आये है.
वायव्य कोण में परेशानी आने पर आपके खुद को मेन्टेन करने के तरीके में कमी होगी जिससे लोग खुद ही आपसे जुड़ना नहीं चाहेंगे. यहाँ दोष होने से आपका एक ऑरा नहीं बन पाता जिससे समाज आपसे प्रभावित हो.
यहाँ आप खुद देख सकते है के किस तरह की परेशानी आप फेस कर रहे है और क्या कारण है ये भी आपको मिल जाएगा.
Knowledge or guidelines both of good
ReplyDeletethank you
DeleteNice
ReplyDeleteNice article
ReplyDeleteSir ghar banate samay Vedic ka vastu dekhe yaa apni kundli ke hisab se lal kitab vastu karre
ReplyDeleteLAL KITAB MORE SUITABLE
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