नमस्कार आज बात करते है राहु ग्रह यदि लगन कुंडली में बैठे सूर्य के ऊपर से गोचर करे तो क्या फल प्राप्त हो सकते है. राहु एक वक्री ग्रह है और सूर्य हमेशा मार्गी रहने वाला ग्रह।
जब हम ज्योतिष की किताबों का अध्ययन करते है तो राहु को एक बुरा ही ग्रह समझ पाते है और इसके प्रभावों को भी वैसा ही लेते है.
सूर्य जन्मकुंडली में जीव की आत्मा को दर्शाता है और यहाँ कामनाओं का इच्छाओं का ग्रह बन जाता है तो जब सूर्य राहु मिलते है तो व्यक्ति को गहराई पर अपनी कामनाओ में बदलाव दिखाई पढ़ते है, के जिन उद्देश्यों को लेकर वह चल रहा था अब उनमे बदलाव आ रहे है जिसकी वजह से उसे उथल पुथल लग सकती है. आंतरिक रूप से कमजोरी महसूस कर सकता है हालाँकि जब राहु सूर्य के ऊपर गोचर शुरू करे तब शुरुआत में ही ऐसा लगता है क्यूंकि धीरे धीरे आत्मा और इच्छाओ का आपस में मिलन होने लगता है और जो एक हलचल का स्तर था वह धीमा हो जाता है.
अगर दोनों ग्रह शुभ अवस्था में है तो जातक अपनी आप की खोज में भी निकल सकता है क्यूंकि यही युति अपने आप से प्रश्न करना सीखाती है, जब तक सूर्य की रोशनी सामने की तरफ जा रही थी तब तक कोई प्रश्न जन्म ही नहीं ले सकता क्यूंकि सब कुछ ठीक तो चल रहा है अब कोई आया जिसने रौशनी को समेट दिया या एक तरह से लिमिटेड कर दिया तब जाकर ही तो एहसास होगा के मेरी शक्तियां क्या है मेरी दूरी क्या है तो ऐसे में खुद की तलाश शुरू होती है और जो तलाशना शुरू कर देते है वो लोग इस गोचर में नए नए गुरु नए हुनर तलाशते है और जो कश्मकश में रह जाते है उन्हें कदम कदम पर अड़चन मिलने लगती है.
अब सूर्य सरकार है और राहु जो टेड़ा ही चलता है ऐसे में सरकार क्या करती है या तो टेड़े लोगो को जेल में बैठा देती है या टेड़े लोगो को अपने साथ मिला लेती है अपने खुद के काम कराने के लिए. आपके हुनर जिनसे सरकार को फायदा हो सकता है या समाज को फायदा हो सकता हो ऐसे समय में निकाल कर लाने की जरूरत है क्यूंकि अब उन्हें समाज देखेगा और वो काम के हुए तो एक बड़ा पद मिलने के पुरे आसार बन जाते है.
अब यदि किसी की उम्र ज्यादा हो गयी है जहां नए प्रयोग की जगह नहीं बची नए रास्तो की जगह नहीं बची तो प्राण शक्ति में थोड़ी कमी आ सकती है.
सबसे बड़ी दिक्क्त लोगो को क्या आती है के सूर्य जो मान सम्मान को दर्शाता है वहां के बदलाव उन्हें पसंद नहीं आते, बड़े लोगो से झगड़े होना या अपमान होना ये आत्मा के स्तर पर चोट करते है हालाँकि ये चोट आगे लेकर जाती है बस आपके ऊपर है के कैसे इस स्थिति को हैंडल किया जाए. जब अमृत पान की जरूरत थी ना राहु को तो सूर्य के बराबर ही बैठने को जगह मिली थी और वहां बैठने के लिए स्वयं शिव ने राहु को कहा था तो यदि इस स्थिति को ये कहे के आपको ये काल यानी शिव के वचनो को समझने की जरूरत है तो आपको इस गोचर में अनेक अवसर मिल सकते है.
अब यदि एक नकरात्मक पक्ष समझा जाए तो जैसे कोहरा होता है वैसी स्थिति आ गयी ना तो सूर्य की रौशनी मिल रही जिस से सांस यानी गुरु के प्रभावों में कमी आएगी, फसल में प्रभाव पड़ेगा यानी बुध और जो एक मार्ग है वो नज़र नहीं आने वाला। तो जब भी ऐसी स्थिति होती है तो या तो बारिश हो जाए या तेज़ धुप यानी सूर्य दक्षिण दिशा में चला जाए, तो तेज़ धुप निकल जाए तो राहत मिल जाती है यानी चन्द्रमा और मंगल इस स्थिति में आपके लिए लाभकारी हो सकते है इनके उपायों से ये स्थिति अगर बुरे प्रभाव दे रही है तो बचा जा सकता है.
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