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जन्म कुंडली में बारहवे भाव के स्वामी का हर भाव में क्या फल होता है - twelfth house lord in different houses

   नमस्कार आज बात करते है कुंडली के बारहवें भाव का स्वामी अलग अलग भावो में बैठकर कैसे फल देता है. बारहवें भाव को व्यय का स्वामी माना जाता है यानी खर्चे का. अब ये खर्च बड़ी अजीब चीज़ है क्यूंकि खर्च का नाम सुनकर पैसे का खर्च समझ आता है लेकिन खर्च हर समय हमारी ऊर्जा हो रही है हमारा समय हो रहा है और यदि हमारी ऊर्जा सही जगह खर्च हो रही है तो बदले में जो मिलेगा वो बहुत बड़ा होगा. 


जैसे यदि कोई जीम में ऊर्जा लगा रहा है या योग में ऊर्जा लगा रहा है तो बदले में शारीरिक लाभ होगा और यदि सिर्फ सोचने में समय लगा रहा है तो शरीर को कोई लाभ नहीं होगा लेकिन दोनों अवस्थाओं में 12 भाव एक्टिव है ऊर्जा लग रही है . ऊर्जा तो खर्च हर अवस्था में होती है और ये जिम्मा बारहवे भाव का है के किधर खर्च हो. 


ऐसे ही पैसा खर्च होता है हो सकता है कोई पार्टी कर ले और दूसरा व्यक्ति सोना खरीद ले दोनों अवस्थाओं में पैसा तो खर्च हो गया लेकिन जो सोना खरीद रहा है वो इन्वेस्टमेंट हो गयी जिसका लाभ कुछ दिन बाद मिल सकता है, बारहवा भाव अगर अच्छा है तो हमारा खर्च किया गया समय या पैसा या मेहनत सही समय आने पर वापस लाभ के रूप में मिलती है और यदि बारहवा भाव सही नहीं है तो इन्वेस्ट किया गया पैसा भी लौट कर नहीं आता और बेकार कामो में खर्च भी बहुत होता है इसे ऐसा समझिये के व्यक्ति कहता है के कुछ भी कर लो लेकिन बरकत नहीं होती.


चोरी और घाटा इसी भाव से देखा जाता है बारहवे भाव का दूसरे भाव से संबंध बन जाए या ग्यारहवें भाव से संबंध बन जाए तब धन संबंधी चोरी या धोखा होने की सम्भावना बनती है. बारहवा भाव यदि मजबूत है तो व्यक्ति में धोखा देकर पैसे हड़पने की प्रवृति होती है और बारहवा भाव कमजोर हो तो उसका पैसा कोई हड़प सकता है. 


शय्या सुख बारहवे भाव से देखा जाता है नींद जब किसी व्यक्ति को पूरी तरह आती है तो उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और नींद संबंधी परेशानी हो तो हेल्थ से जुडी समस्या जन्म लेती है जिसमे डिप्रेशन और एंग्जायटी सबसे पहले आती है. इसलिए यदि बीमारी लगातार बढ़ती ही जा रही है या खर्च कण्ट्रोल से बाहर जा रहा है तब ज्योतिषी जातक को बेड की जगह जमीन पर सोने की सलाह देते है जो की एक अच्छा उपाय बनता है. 

 

जितनी गहरी नींद उतनी अच्छी गूढ़ विद्या पर पकड़ आती है गूढ़ विद्या अष्टम से आती है लेकिन उसके ऊपर पकड़ बारहवे भाव से आती है. लेकिन जब ऊपरी विद्या ही परेशान करने लगे तो बारहवे भाव की कमजोरी ही ठीक की जानी चाहिए. 


इसके अलावा विदेश यात्रा या विदेश में रहना इस भाव से देखा जाता है, हॉस्पिटल या जेल यात्रा भी यहीं से देखी जाती ही. व्यक्ति मोक्ष की ओर जायेगा या downfall की तरफ ये सब भी बारहवे भाव से देखा  जाता है. यदि बारहवा भाव का स्वामी बली अवस्था में है यानी अच्छी अवस्था में है तो व्यक्ति अपने दम पर धन कमाता है क्यूंकि ये दशम भाव का  तीसरा भाव यानी कर्म का पराक्रम भाव बन जाता है. इसके आलावा मजबूत होने पर जातक खुश रहेगा क्यूंकि चतुर्थ भाव का भाग्य भाव भी यही बनेगा। 


जिन लोगो को सरकार के डर से या किसी लोन या मुकदमे से डर से शहर या देश छोड़ने की नौबत आ जाती है उनका भी बारहवें भाव के उपाय करने चाहिए। जमीन का झगड़ा भी बारहवे भाव से कण्ट्रोल किया जा सकता है. 


अब हम बात करते है जन्म पत्रिका में बारहवे भाव का समय अलग अलग भावो में क्या फल देगा। बारहवे भाव में जो राशि है उस राशि के स्वामी को बारहवे भाव का स्वामी माना जाता है वही ग्रह व्ययेश यानी खर्चे का स्वामी आपकी कुंडली में बनता है जैसे यदि बारहवे भाव में मेष राशि है तो मेष का स्वामी मंगल यंहा बारहवे भाव का स्वामी बनेगा और यदि मीन राशि है गुरु बनेगा। 


बारहवे भाव का स्वामी यदि पहले भाव में जाए तो ऐसे में जातक को हेल्थ से जुडी तकलीफ लगातार चलती रहेगी हालाँकि विदेश यात्रा भी देता है. बारहवे भाव का स्वामी अपने से दो घर आगे चला गया तो ऐसे में बहुत उच्च दर्ज़े की वाणी मिलती है. ऐसे व्यक्ति को धन विद्या की बजाये हुनर से कमाना ज्यादा अच्छा रहता है. और कोशिश यह करनी चाहिए की जो धन कमाए उसे तुरंत इन्वेस्ट कर दे अपने पॉकेट में ना रखे. 


 दूसरे भाव में आने पर खर्च और कमाई अब आपस में मिल गए. अगर खर्च शुभ कर्मो पर होता रहे तो जितना खर्च उतनी कमाई की स्थिति बनती है. और यदि अपनी एनर्जी दुसरो की बुराई करने में या खाने पर लड़ाई करने में निकल जाती है तो बहुत बुरा योग बनता है. कुछ लोगो के घर में खाने पर बहुत ज्यादा लड़ाई रहती है उनका दूसरा भाव खराब अच्छा होने के बाद खराब ही होता है. अगर व्यक्ति झूठ से बचकर अच्छा और सच बोलने पर ध्यान दे तो जैसे जैसे खर्च बढ़ेंगे उसकी आमदनी बढ़ती जायेगी. 


तीसरे भाव में आने व्यक्ति थोड़ा डरपोक हो सकता है क्यूंकि बहादुरी अब बारहवे भाव से चली जाएगी , भाई बहनो की तरफ से परेशानी मिल सकती है. कानो का कच्चा भी व्यक्ति होगा लेकिन व्यक्ति यात्रा कर के आगे बढ़ेगा, अपने शरीर का जितना ध्यान रखेगा उतना अच्छा रहेगा और हो सके तो ऐसे लोगो को अपनी राइटिंग स्किल्स पर काम करना चाहिए. जिगर मजबूत करने से संबंधित उपाय करने चाहिए। ऐसे लोगो को ध्यान करना जादू की तरह कार्य कर सकता है क्यूंकि इनके पास बहुत ताकत होती है लेकिन पता नहीं होता. 


चौथे भाव में आने पर माता की तरफ से परेशानी रह सकती है, वाहन कोई न कोई खर्चा कराता ही रहेगा। भूमि संबंधी भी कोई न कोई परेशानी रह सकती है. मानसिक चिंता का शिकार हो सकता है लेकिन दोनों ही भाव मोक्ष को दर्शाते है तो आध्यतमिक तो व्यक्ति हो सकता है साथ ही विदेश में रहना फायदा देगा.. असल में बारहवे का स्वामी  जहां भी जाता है उस भाव को खर्च करता ही है यही सिंपल फंडा आपको याद रखना है. अब ऐसे लोग घर पर ज्यादा टिकेंगे तो खुश नहीं रहेंगे इन्हे घूमते रहना चाहिए. 


पंचम भाव में बच्चो पर खर्चा होना तय है और ये एक इन्वेस्टमेंट ही है अगर आप खुद से ये खर्च शुभ कर्मो पर करते है तो वरना बच्चो से संबंधित किसी परेशानी पर खर्च हो जायेगा ये ऐसी जगह खर्च होगा जंहा बच्चे कारण बनेंगे। पंचम भाव एंटरटेनमेंट का है तो आपके मनोरंजन पर पैसा लगता रहता है।  ये सूर्य का घर है एक राजा का और दिमाग का भी , तो ऐसे में जीवन में गिरावट आने पर व्यक्ति का दिमाग खराब हो सकता है और यदि व्यक्ति आगे बढ़ने का जज्बा रखता है तो दोबारा ऊपर जरूर उठता है. दूसरे धर्मों के धार्मिक स्थान पर और दूसरे धर्मो के पालन में भी व्यक्ति काफी धन और कीमती समय खराब करता है. 


छठा भाव रोग ऋण शत्रु को दिखाता है और बारहवा भाव समाप्ति को, तो ऐसे में इस योग को विपरीत राजयोग बोला जाता है क्यूंकि जो जीवन के मुख्य परेशानी है वो समाप्त होंगी हालाँकि ऐसा योग बहुत मेहनत के बाद ही खुलता है. ऋषि पराशर के अनुसार ऐसा व्यक्ति अपने ही लोगो से वैर रखता है और दुसरो की स्त्रियों में ज्यादा ध्यान लगाता है. छठा भाव बीमारी का भी है तो इस वजह से बीमारिया दूर रह सकती है जिसकी वजह से एक आकर्षण व्यक्ति में होगा. दुशमन ऐसे व्यक्ति से नहीं जीत पाएंगे तो ऐसे में हम सलाह भी देते है के आगे बढ़ने के लिए जिंदगी को एक कम्पटीशन के तरफ लें तो अच्छा रहेगा. 


सप्तम भाव में बारहवे भाव का स्वामी आ जाए पार्टनर पर खर्च या पार्टनर की वजह से काफी एनर्जी और समय खराब हो सकता है जिसकी वजह  से जो कीमती ज्ञान है वो नहीं मिल पायेगा. कभी कभी मैरिड लाइफ में भी प्रॉब्लम देखि जाती है. हालाँकि विदेश से लाभ हो सकता है. कभी कभी पार्टनर दूसरे धर्म वाला भी हो सकता है यदि पार्टनर लड़ाकू किस्म का हुआ तो हेल्थ रिलेटेड समस्या भी मिलेंगी. ऐसे लोग दुसरो की हेल्प करते रहेंगे तो इनकी आमदनी भी काफी अच्छी रहती है यंहा तक की दुसरो की सहायता से इन्हे लाभ हो सकता है. 


बारहवे भाव का स्वामी यदि अष्टम भाव में आ जाए तो व्यक्ति हमेशा लाभ की स्थिति में रहेगा, अब बारहवे भाव का स्वामी अपने से नवम भाव में आ गया यानी बारहवा भाव अब अच्छे फल देगा। जातक में आध्यत्मिक गुण बचपन से होंगे। हालाँकि अष्टम भाव एक तरह से नेगेटिव भाव है इसलिए बचपन में कुछ तकलीफे दे सकता है लेकिन व्यक्ति मेहनत और अच्छे आचरण और अच्छी वाणी की सहायता से आगे बढ़ जाता है. इन्हे ऐसे काम करने चाहिए जहां नुकसान होने की सम्भावना ज्यादा जैसे शेयर मार्किट या वायदा बाजार क्यूंकि घाटे की समझ इन्हे अच्छी होती है और घाटे से मुनाफा निकालना इन्हे जन्मजात गुण मिला होता है. 


नवम भाव में व्यक्ति ईमानदार तो होगा लेकिन गुरु से और पिता से वैचारिक दूरी रख सकता है ऐसा भी हो सकता है के उन्हें पसंद न करता हो, अगर बारहवे भाव का स्वामी बुरा है तो व्यक्ति अपने पार्टनर की खूब बुराई करेगा, दोस्तों की भी बुराई करेगा, और काफी हद तक अध्यात्म के लिए उसके मन में कोई इज़्ज़त नहीं होगी. उसे ये सब ढोंग लगेगा. और यदि बारहवे भाव का स्वामी अच्छी स्थिति में है तो भाग्य के सहारे नहीं बैठेगा और खुद गुरु बन सकता है. विदेश से जुड़ा होने की वजह से विदेश और विदेशी कंपनी से फायदा मिलेगा। ऐसे लोगो को पिता गुरु और दोस्तो से बहुत कुछ मिल सकता है बस अपनी ईगो थोड़ा दूर रखना सीखना चाहिए. 



 बारहवे भाव का स्वामी दसंवे भाव में आने पर अपने से 11 घर आगे आ गया जो की लाभ की स्थिति दिखाता है. काम धंधे पर ही खर्च होगा और उनसे जुडी यात्रा फायदा भी देगी. कभी कभी इस योग व्यक्ति मेडिकल से भी जुड़ा हो सकता है. पिता की तरफ से कुछ कष्ट या परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दशम भाव सत्ता और बड़े अथॉरिटी वाले लोगो को दर्शाता है इसलिए उनके ऊपर भी खर्च हो सकता है हालाँकि ये फायदा देगा। जातक की कंजूसी उसके लिए बुरी साबित हो सकती है. इम्पोर्टेड चीज़ो का कारोबार लाभ देगा. 


बारहवे का स्वामी ग्यारहवे भाव में आने पर अपने बारहवा हो गया अब यहाँ प्राप्ति के स्थान पर हानि होने की सम्भावना बनती है. हालाँकि हानि होने का कारण अति तीव्र इच्छाएं होंगी या लक्ज़री होगी क्यूंकि अब ग्यारहवा भाव और तीव्र प्रभाव देगा।  हालाँकि दूसरे लोग अपनी सेविंग्स इनको देंगे जिससे इनका भला हो सकता है लेकिन उन सेविंग्स को समय पर लौटाना चाहिए. लेकिन व्यक्ति अपनी जिंदगी का पूरा एन्जॉय करेगा बस रोना रोने की आदत से बचे.


बारहवे का स्वामी बारहवे ही भाव में आ जाए तो व्यक्ति के अंदर जलन की भावना कुछ हद तक हो सकती है और असंतुष्टि भी रह सकती है. शारीरिक कष्ट भी होंगे लेकिन ये भी एक विपरीत राजयोग का निर्माण करेगा अगर व्यक्ति ग्रह अनुसार अपनी ऊर्जा का प्रयोग करता है तो काफी पैसा भी कमायेगा, ऊंचाई से फायदा कमायेगा, जब जब ट्रेवल करेगा बारहवा भाव एक्टिव होगा अब उससे नुकसान होंगे या फायदा ये जातक को देखना चाहिए लेकिन कुछ तो जरूर होगा. बुरे प्रभाव मिलने की स्थिति में बारिश के पानी में नहाना अच्छा  उपाय है. साथ ही जमीन के नज़दीक रहना फायदा देगा। जैसे बेड पर ना बैठ कर जमीन पर ज्यादा समय बैठना।  

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