आज बात करते है सिंह राशि की. सिंह राशि की डिग्री 120-150 होती है. ये भचक्र की पांचवी राशि है और इसके स्वामी सूर्य है जो प्राण दाता माने जाते है. ये एक तरह से बहुत प्रबल राशि है. जो नाम शौहरत और बदनामी दे सकती है.
इसका तत्व अग्नि है और ये एक स्थिर राशि है. यानी ऊर्जा हर समय होगी लेकिन दिशा क्या होगी वो पता नहीं। सिंह राशि की आत्मा और स्वभाव की तुलना एpक पौराणिक चरित्र देवमानव (नेफिलिम) से की गई है। कथाओं के अनुसार यह इंसान और देवता की संतान होते हैं जो सामान्य मनुष्यों की तुलना में आकार में बड़े, लंबे और ताकतवर होते हैं।ये देखने में स्वर्ग के देवताओं के समान सुंदर होते हैं जिनके पास पंख भी होते है। सिंह राशि के जातक भी इन्हीं के समान आकर्षक, मजबूत और विलासितापूर्ण जीवन के आदी होते हैं।
सूर्य का अंश इनके अंदर हमेशा झलकता है. इसका सिंबल एक शेर है, इस राशि की ख़ास बात बताता हूँ के इस राशि की स्थिति कुंडली में कैसी ये जाने बिना राज गद्दी नहीं मिल सकती। कम खाना और ज्यादा मज़े करना इनकी फितरत में होता है, अब मज़े के बजाये इन्होने होनी ऊर्जा कही और मोड़ रखी है वही परेशानी है. शुरुआती दिनों में सुखी रहते है एक शेर के बच्चे की तरह लेकिन जवानी में स्ट्रगल बढ़ जाता है और बाद के दिनों में पूर्ण सुख इन्हे मिलता है.
इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं है
शौक जैसे सट्टा, रोमांस प्यार, शायरी
मन्त्र उच्चारण
लगाव, बच्चे, बचपना
हीलिंग ताकत, हेल्थ
हर काम से पहले उसकी कमिया निकालना
मै कितना खुशकिस्मत हू
सरकार और अन्य उच्च जगह जहाँ बड़े लोग आते है.
म, ट इसके अक्षर है,
अब मान लीजिये आपके पास कोई सिंह राशि का, या लगन का व्यक्ति आ गया आप पूछ सकते है के आपको अपनी किस्मत पर इतना रोना क्यों आता है. या आप हर काम को करने से पहले उसकी कमिया क्यों निकालने बैठ जाते हो, अपनी हेल्थ पर ध्यान क्यों नहीं देते, कभी कभी ये लोग अपनी लुक्स पर भी ध्यान नहीं देते. मज़ाक में बहुत चुभती हुई बात बोल जाते है और इन्हे पता भी नहीं होता. ये लोग हर जगह अपने अनुसार व्यवस्था लाना चाहते है और लोग या परिवार के सदस्य ये बात नहीं आते बस इसी बात पर ये लोग ज्यादातर बदनाम ही रहते है.
अगर ये लोग अपने आप को किसी भगवन पर समर्पित कर दे तो इनकी जिंदगी अलग तरीके से काम करती है. ये राशि दिल को भी दिखाती है. चार पैर वाली राशि है. पहाड़ी इलाके, किले, सरक़री बिल्डिंग, साहित्य, कला इन्हे हील करते है.
दिन का समय, अचानक गुस्सा, प्यार नाम की चीज़ की कमी, इन्हे नुक़्सान देती है. बात सारी यही पर आ जाती है के ये लोग खुश रहते है या नहीं. खुश रहना इनके लिए जरूरी होता है.
इस राशि में तीन नक्षत्र पड़ते है.
मघा - केतु - पित्त - जिसकी वजह से ये लोगो को आसानी से समझ नहीं आते
पूर्वाफाल्गुनी - शुक्र - आकर्षक बनाता है.
उत्तराफाल्गुनी - सूर्य - जो इन्हे नेतृत्व की गुण प्रदान करता है,
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