आज हम बात करते है एक ऐसे ज्योतिष सूत्र की जो सूर्य से संबंधित है लेकिन इसकी पहचान व्यक्ति को खुद करनी होती है. देखिये कुछ ज्योतिष सूत्र इस तरह से बने होते है जिसमे जातक के घर की स्थिति, शरीर की स्थिति से ही पता लगाया जाता है के असल परेशानी का कारण क्या है. जन्म पत्रिका में प्रारब्ध यानी पहले से लिखे हुए फल भी होते है तो जन्म पत्रिका पिछले जन्म या जिस घर में जन्म हुआ है उन दोषो का भी पता बता देती है.
यंहा हम आज उसी के बारे में बात करने वाले है. आज बात करते है सूर्य ऋण के बारे के बारे में. सूर्य ऋण की सबसे पहली पहचान के बारे में बात करते है, जब घर में लोगो की मृत्यु दुखद तरीके से होने लगे याने के बात ऐसी है के मरना सबको होता है लेकिन मृत्यु की अपनी एक पहचान होती है. जब घर में लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाए, या अचानक दुर्घटना का शिकार हो जाए, अत्यधिक बुरी शारीरिक स्थिति या कष्ट होकर मृत्यु को प्राप्त हो रहे हो तो इसे सूर्य ऋण समझे।
दूसरा लक्षण इसका ये होता है के घर के सदस्य अन्य धर्म हो मानना शुरू कर देते है और अपने धर्म का त्याग कर देते है. या ऐसा भी होता है के अपने रीती रिवाज़ो को बुरा भला कहकर उनका त्याग कर देते है.
अब बात आती है इसे घर से कैसे देखे, घर में जमीन के नीचे भट्टी की व्यवस्था होगी या घर में एक लोहे का जाल होगा जिसमे धुप आती होगी और उसके नीचे लोग बैठे रहते होंगे।। ये इस दोष की पहचान को दर्शाएंगे।
अब प्रभाव क्या होगा। प्रभाव का मतलब यह है के बाकी सदस्य जब किसी व्यक्ति की प्रॉपर्टी में स्वभाविक हिस्सेदार होते है तो उन्हें दोषो में स्वभाविक हिस्सा भी मिलता है याने करे कोई और भरे कोई.
तो होगा क्या के घर में किसी सदस्य को ऐसी बीमारी हो सकती है जिसका कारण ही न पता चल सके, ये भी ना पता चले के बीमारी क्या है. बाजू का दर्द है ऑपरेशन पेट का कर दिया बाद में कीमोथेरेपी कर दी गयी लेकिन मर्ज़ बना हुआ है.
किसी दोस्त या जानकार को अपने नाम से क़र्ज़ दिला दिया और बाद में वो मुँह कर गया और क़र्ज़ खुद चुकाना पड़ रहा है. या घर में किसी भाई ने क़र्ज़ लिया और दूसरे भाई के नाम क़र्ज़ आ गया. या ऐसा भी होता है करज़ाई पिता काफी सारा क़र्ज़ छोड़कर मर गया और बच्चे उस क़र्ज़ को पॉकेट मनी समझ कर भोग रहे है और जिन्हे लेना था उन्हें मना कर दिया। लेकिन कुछ दिनों बाद बच्चो का वंश आगे नहीं चला. अब वो परेशान घूम रहे है के निवारण कैसे हो.
जन्म पत्रिका में पंचम भाव खराब होने पर ऐसा ऋण बनता है. शुक्र पंचम होने पर ये ऋण बनेगा, शनि पंचम भाव में होने पर भी इसके प्रभाव देखे जाते है.
अब इसका उपाय क्या करे. यंहा परिवार में जितने सदस्य है उनसे पैसे लेकर किसी पंडित से घर में यज्ञ कराना चाहिए। जैसे मान लीजिये घर में सदस्य है तो सबसे 1000 रूपए लेकर 5000 रूपए हुए, इनसे यज्ञ कार्य को सम्पन्न कराया और बाकी पैसे बच गए तो पंडित जी को ही दे दिए. ऐसा समय समय पर करना चाहिए.
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ऐसी स्थिति नहीं है लेकिन ऐसी समस्य है तब भी यही उपाय करना चाहिए। इस उपाय से जरूर आपको फायदा होगा।
इस लेख में कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया गया है 🙏
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