शुक्र ग्रह एक ऐसे दैत्य गुरु जो जीवन में सब कुछ दे सकते है जो एक इंसान चाहता है पैसा, परिवार, लक्ज़री, विदेश और सब कुछ ले भी सकते है, और हमेशा राहु क्यों चलता है इनके साथ कैसे राहु शुभ शुक्र या अशुभ शुक्र बनाने में सक्षम है आइये जानते है
शुक्र ग्रह बुध के बाद सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है, शुक्र का एक मतलब वीर्य भी होता है अथर्ववेद में वीर्य को वज्र कह कर पुकारा जाता है यानी सबसे मजबूत चीज़ दुनिया की. योग शास्त्र कहते है के वीर्य यानी शुक्र आंतरिक रूप से शरीर को मजबूत करता है और दिमाग की कोशिका जिसे नुएरोन कहते है उसका निर्माण भी करता है. इसलिए योग शास्त्र में ब्रह्मचर्य बहुत जरूरी माना जाता है. अब दिमाग हो गया बुध और शुक्र हुए शुक्राणु यानी किसी व्यक्ति का यदि बुद्धि और उसका निर्माण करने वाले सेल यानी शुक्र एक साथ है तो व्यक्ति की आत्मशक्ति बहुत ही बढ़ जाती है यानी सूर्य ग्रह मजबूत होता है इसे लाल किताब मसनुई बताया गया बुध और शुक्र की युति सूर्य का निर्माण करती है यानी बुध और शुक्र को किसी तरह मिलाया जाए तो सूर्य के शुभ फल मिल सकते है.
शुक्र प्यार को दर्शाता है, पैसे को दर्शाता है, वीर्य है यानी फॅमिली के आगे बढ़ने की क्षमता को भी दर्शाता है. लेकिन आपने एक शब्द सुना होगा मारक भाव, ये दो भाव होते है कुंडली के दूसरा और सांतवा जो दोनों काल पुरुष की कुंडली में शुक्र के ही होते है. ये दो भाव ऐसे जिनकी वजह से इंसान सबसे ज्यादा पाप कर्म करता है एक पैसे और परिवार के लिए दूसरा कामभाव और पार्टनर के लिए. इस वजह से दूसरा और सांतवा भाव मारक की उपाधि प्राप्त करता है.
शुक्रयाचार्य जी जिन्हे एक गुरु का दर्जा प्राप्त है. शिव के परम भक्त है संजीवनी विद्या के ज्ञाता है काणे है है यानी एक आँख खराब है. लेकिन इन्हे दैत्य गुरु कहकर सम्बोधित किया जाता है. क्यूंकि शुक्र ग्रह की जो सिद्धि कुंडली में मिलती है या कह लीजिये जो ब्लेसिंग है वो तामसिक तरीको से मिलती है.
अब जो मनुष्य वीर्य का नुकसान करता है जो की एक नार्मल बात है आज के समय में तो आप देखिएगा के शुक्र जिस भाव में बैठा है उस भाव से संबंधित खर्चे, नुकसान, और बीमारिया जरूर लगी रहेंगी, या उस भाव से संबंधित रिश्तेदार बीमार रह सकता है. या उसकी आँख में परेशानी आ सकती है.
देखिये शुक्राचार्य शिव के बहुत बड़े भक्त रहे है और उन्होंने शुक्र निति नाम का एक ग्रंथ भी लिखा है जिसे पढ़कर आप शुक्र ग्रह को और अच्छे से समझ सकते है. इसमें एक छोटा सा ज्ञान आपके साथ शेयर करता हु इस ग्रंथ में शुक्राचार्य मंत्रो के और दवाई के और डॉक्टर के और आपकी कमाई और पार्टनर के बारे में कहते है के इनके बारे में किसी को नहीं बताना चाहिए इन्हे गुप्त रखना चाहिए तब लाभ मिलता है क्यूंकि सबके लिए मन्त्र और दवा अलग है. इससे हमें एक सीख ये भी मिलती है के शुक्र जिस स्थान में हो वंहा से संबंधित चीज़ो को गुप्त रख्नना चाहिए और उस स्थान से गुप्त ज्ञान हासिल भी हो सकता है जंहा शुक्र विराजमान है बशर्ते शुक्र अच्छा हो.
अब बात करते है राहु ग्रह से संबध की, देखिये शिव के परम भक्त शुक्राचार्य और शुक्र के परम भक्त राहु देव, ऐसा मत्स्य पुराण में उल्लेख भी है के राहु को सारा ज्ञान शुक्र देव ने ही दिया था जिससे राहु को अमृत प्राप्त हुआ. दुनिया में सबसे पहला दीप दान यानी दीप जलाना राहु ने ही किया था अपने गुरु शुक्र के लिए जिससे शुक्र बड़े खुश हुए थे. तब से दिवाली पर दीप जलाकर लक्ष्मी जी यानी शुक्र की पूजा की जाती है. दिवाली हमेशा राहु के नक्षत्र स्वाति में ही मनाई जाती है. तुला राशि में स्वाति नक्षत्र होता है जो शुक्र का नक्षत्र है यानी एक तरह से शुक्र और राहु का मिलन लक्ष्मी जी का समय बनता है. तो कुंडली में राहु को अच्छा रखना शुक्र को सही रखने का उपाय बन जाता है. नेगेटिव राहु हमारे शरीर में भरी कार्बन है जिसकी वजह से शुक्र निर्माण में कमी आती है राहु खराब होने पर संगत बहुत बुरी मिलती है, आलस आता है, भोग करने के तरीके बुरे होते है जिनसे शुक्र समाप्त होता है. इसे लाल किताब में कहते है लक्ष्मी को धुंए में उड़ाना।
शुभ राहु होने पर व्यक्ति शांत होता है दिमाग को भर्मित नहीं करता जल्दबाजी नहीं करता और अच्छे खाने की तरफ ध्यान देता है उस अवस्था में शुक्र निर्माण सबसे अच्छा होता है.. इसलिए राहु अच्छा तो शुक्र जंहा वंहा अच्छा राहु खराब तो शुक्र भी अपनी प्लेसमेंट खराब कर सकता है.
हालाँकि राहु शुक्र युति करोड़पति कैसे बनाती है इस परकभी अलग से वीडियो बनाऊंगा आज शुक्र पर ही ध्यान लगाते है.
तो शुक्र जिस भाव में जाता है वंहा से संबंधित खर्च, बीमारी, रिश्तेदार परेशान कर सकते है लेकिन शुक्र अपने से अगले भाव से पैसा भी कामवाता है क्यूंकि शुक्र वंहा से बारहवे हो जाती है इससे जुड़ा एक वीडियो मैंने पहले भी बनाया था जिसका लिंक डिस्क्रिप्शन में आपको मिल जाएगा.
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