नमस्कार दोस्तों आज हम बात करते है के यदि कुंडली में शुक्र वक्री अवस्था में है तो क्या परिणाम जातक प्राप्त कर सकता है. शुक्र के आप कारक तत्व जानते ही है इनमे से कुछ मै आपको बता देता हूँ
शुक्र ग्रह यौवन, सुंदरता, दोस्ती, रस, सेक्स, भौतिक सुख, डेली आमदनी, तंत्र, कला, संगीत, किडनी, गुप्तांग, ब्यूटी प्रोडक्ट्स का कारक है. जब शुक्र वक्री होता है तो इन सब कारक तत्वों पर प्रभाव पड़ता है. माना जाता है के वक्री अवस्था में कोई भी ग्रह ज्यादा बल को प्राप्त होता है अगर जातक उस ज्यादा बल को समझ ले तो उसे वरदान जैसे फल मिलते है और नहीं समझ पाए तो उसे बुरे फल मिलते है.
जब शुक्र जन्म कुंडली में ही वक्री होता है, तो भावना प्रकृति गहरी होती है। शुक्र चंद्र और बुध ये तीनो अंदर के ग्रह माने जाते है क्यूंकि धरती और सूर्य के बीच में ये आते है. तो शुक्र जब वक्री हो तो व्यक्ति आंतरिक रूप से काफी गहरा हो सकता है या ये समझ लीजिये के इंट्रोवर्ट स्वभाव का होगा. आप कह सकते है के शर्मिला स्वभाव इनका होगा लेकिन संकोची स्वभाव जिसे हैसिटशन भी कह सकते है जिसकी वजह से दूसरे व्यक्ति को अपनी बात कहने और समझाने में इन्हे दिक्क्त होगी जिसकी वजह से रिश्ते और ग्राहक दोनों प्रभावित होंगे, क्यूंकि ये दोनों सप्तम भाव से देखे जाते है.
देखिये शुक्र कुंडली के दूसरे को सातवे भाव से जुड़ा है जो की धन और रिलेशनशिप के मुद्दे है. परिवार और कर्म से जुड़े है. भोजन और सेक्स से जुड़े है. अब वक्री होने पर इन चीज़ो पर असर पड़ना निश्चित है लेकिन असर नेगेटिव ही पड़ेगा ऐसा नहीं हो सकता. पॉजिटिव भी हो सकता है.
वक्री शुक्र के तहत पैदा हुए लोगों को प्रेम संबंधों में अपने आप को नुकसान पहुंचाने की भावना हो सकती है. हालाँकि ये तब भी हो सकता है जब शुक्र ग्रह के साथ कोई वक्री ग्रह आ जाए. इनके अंदर बहुत गहरा डर हो सकता है. शुक्र वक्री लोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि वे स्वयं के बाहर सुख की तलाश करने से बचें। अपने भीतर खुशी पैदा करें, अपनी खुशी की जिम्मेदारी खुद लें, और फिर वह प्यार जिसके आप हकदार हैं, वह आपके पास आएगा।
वक्री शुक्र के साथ जन्म लेने वाले व्यक्ति के संबंध बनाने या बिगाड़ने लगते हैं, और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे रिश्तों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। इनके अंदर रिजेक्ट होने का या फ़ैल होने बहुत गहरा डर देखा जाता है जिसकी वजह से ये काम करने में बहुत देर लगा सकते है । जब ये कोई भी काम करते है तो उसके बारे में बहुत ज्यादा सोचते है जिससे काम करने के नेगेटिव पहलु इन्हे ज्यादा दीखते है. जैसे शुक्राचार्य जी की एक आँख मानी जाती है ऐसे ही शुक्र वक्री होने पर व्यक्ति किसी भी कार्य के प्रॉफिट और लॉस, सुख और दुःख, अच्छे या बुरे पहलु को देख ही नहीं पाता। वो सिर्फ अपने नज़रिये को ही बड़ा मानने लगता है. इमोशनली जब कोई घटना इनके साथ होती है तो इन्हे बाहर निकलने में ज्यादा समय लग सकता है चाहे वो ब्रेकअप हो या बिज़नेस का कोई लॉस.
ऐसा भी देखा जाता है के शुक्र वक्री वाले लोग अपने प्यार को भौतिक चीज़ो से ज्यादा वैल्यू देते है जैसे गिफ्ट देना या पैसा। इसलिए रिलेशनशिप और पैसा एक लाइन में ही आ जाता है और शुक्र वक्री में रिलेशनशिप प्रॉब्लम आती है तो साथ में पैसा भी जायेगा. यही स्थिति आपको बहुत बार राहु शुक्र की युति में देखने को मिल जाएगी क्यूंकि राहु हमेशा वक्री रहते है.
हालाँकि वक्री शुक्र वाले जातको धन के मामले में काफी ज्यादा सेकेरेटिवे होते है, पैसा छुपा कर भी रख सकते है और कभी कभी छुप छुपकर लोन भी ले लेते है. लेकिन इनका कमाया हुआ पैसा कभी कभी इनके काम नहीं आ पाता। शुक्र सौम्यता और सुंदरता का कारक है शुक्र वक्री होने पर ये लोग थोड़ा हाई अपने आप को मान सकते है. अच्छा शरीर, अच्छे कपडे इनके लिए बड़ी चीज़ हो सकते है.
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