आज चर्चा करते है आयन की, 6th कक्षा में आपने पढ़ा होगा, धनात्मक ऋण और ऋणात्मक ऋण, आज पहले इन्हे समझते है फिर वास्तु से इनका क्या संबंध ये जानते है.
आयन (ion) ऐसे परमाणु या अणु है जिसमें इलेक्ट्रानों और प्रोटोनों की संख्या असामान होती है। इस से आयन में विद्युत आवेश (चार्ज) होता है। अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से अधिक हो तो आयन में ऋणात्मक (नेगेटिव) आवेश होता है और उसे ऋणायन (anion, ऐनायन) भी कहते हैं। इसके विपरीत अगर इलेक्ट्रॉन की तादाद प्रोटोन से कम हो तो आयन में धनात्मक (पोज़िटिव) आवेश होता है और उसे धनायन (cation, कैटायन) भी कहते हैं।
ऋणायन और धनायन
एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटोन में बराबर का विद्युत आवेश (चार्ज) होता है। इसलिये किसी आयन का आवेश उसमें मौजूद प्रोटोनों की संख्या को उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉनों से घटाकर बताया जाता है। अगर प्रोटोनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश धनात्मक (पोज़िटिव) होता है और अगर इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक हो तो यह आवेश ऋणात्मक (नेगेटिव) होता है।
ऋणायन (−): इनमें इलेक्ट्रॉन अधिक और प्रोटोन कम होते हैं। अंग्रेज़ी में इन्हें कैटायन (cation) कहते हैं क्योंकि धनात्मक आवेश वाले यह आयोन अगर किसी विद्युत क्षेत्र में डाले जाएँ तो ऋणात्मक (निगेटिव) आवेश वाले कैथोड की ओर आकर्षित होते हैं।
धनायन (+): इनमें प्रोटोन अधिक और इलेक्ट्रॉन कम होते हैं। अंग्रेज़ी में इन्हें ऐनायन (anion) कहते हैं क्योंकि धनात्मक आवेश वाले यह आयन अगर किसी विद्युत क्षेत्र में डाले जाएँ तो धनात्मक (पोज़िटिव) आवेश वाले ऐनोड की ओर आकर्षित होते हैं।
अब बात आती है वास्तु से इसका क्या संबंध है, ये ऋण ऐसे कार्य है जिन्हे मनुष्य ने खुद बनाया है, ये आपकी modern vastu के अंतर्गत आते है.
धनात्मक ऋण के अणु जब शरीर से टकराते है तो शरीर के सूक्ष्म सेल्स को तोड़ते है, और यदि ये मात्रा बहुत ज्यादा हो जाए जो की आज के युग में है तो स्किन प्रोब्लेम्स, माइग्रेन, कैंसर, डिप्रेशन बहुत आसानी से हो जाता है, ये आपने भी महसूस किया होगा के और बताया भी जाता है के कंप्यूटर, मोबाइल्स, हैवी इलेक्ट्रिक आइटम्स अपने रूम में रख कर नहीं सोते उसका कारण यही है. ये ऐसा वास्तु दोष है जिसके लिए दिशा की जरूरत नहीं है और सबसे बड़े वास्तु दोष में ये स्थान पा चुका है. इससे बचने के दो उपाय है एक तो हैवी इलेक्ट्रिक उपकरण के उपयोग से बचें, दूसरा ऋणात्मक ऋण यानि के नेगेटिव ions की संख्या बढ़ाये
ऋणात्मक ऋण - ये धनात्मक ऋण से बिलकुल उलट होते है, जब ये शरीर से टकराते है तो शरीर को स्वस्थ करते है, टूटे हुए सेल्स को जोड़ते है, दिमाग से स्ट्रेस को कम करते है, बीमारियां कम करते है. ये ions हमे नेचर से प्राप्त होते है इसमें बहता हुआ पानी, चट्टान, rock salt जैसी चीज़े इन्हे create करती है. आपने कभी किसी फव्वारे के पास बैठ कर सुकून महसूस किया होगा जो की अक्सर होता ही है, बारिश में मूड अच्छा हो जाता है ये सब इन्ही आयन की वजह से होता है. ये आपने पहाड़ी इलाकों में देखा होगा जिस कारण वहां के लोग ज्यादा स्वस्थ पाए जाते है.
घर में फव्वारा रखना, रॉक साल्ट लैंप, हरे भरे पौधे इसी का हिस्सा है. अब बाजार में ionizors आने लगे है जिन्हे harmonizer कहकर बेचते है असल में यही है लेकिन फ़ायदेमंद भी है. इसलिए किसी घर में स्ट्रेस जैसी या कोई common बीमारी है तो इसे जरूर चेक करें, इसके लिए emf detector यन्त्र भी आता है जो की आसानी से कम दाम में मिल जाता है.
Today let's discuss ion, you must have read in 6th class, positive debt and negative debt, today first understand them then what is their relation with Vastu.
An ion is an atom or molecule that has an unequal number of electrons and protons. This gives an electric charge to the ion. If the number of electrons is more than the number of protons, then the ion has a negative charge and is also called anion. Conversely, if the number of electrons is less than the number of protons, then the ion has a positive charge and is also called a cation.
anion and cation in vastu shastra
An electron and a proton have equal electric charge. Therefore, the charge of an ion is given by subtracting the number of protons present in it from the number of electrons present in it. If the number of protons is more then this charge is positive and if the number of electrons is more then this charge is negative.
Anions (−): They have more electrons and less protons. In English, they are called cations because these positively charged ions are attracted to the negatively charged cathode if placed in an electric field.
Cations (+ ): They have more protons and less electrons. In English they are called anion because these positively charged ions are attracted towards the positively charged anode if placed in an electric field.
Now it comes to the question that what is its relation with Vastu, these debts are such works which have been created by man himself, they come under your modern vastu.
When the molecules of positive debt collide with the body, they break the microscopic cells of the body, and if this amount becomes too much, which is in today's era, then skin problems, migraine, cancer, depression happen very easily, this You must have also felt that and it is also told that computers, mobiles, heavy electric items do not sleep by keeping them in the room, this is the reason for that. This is such a Vaastu defect for which no direction is required and it has found a place among the biggest Vaastu defects.There are two ways to avoid this, one is to avoid the use of heavy electric equipment, the other is to increase the number of negative ions.
Negative IONS- These are just the opposite of positive debts, when they hit the body, they heal the body, connect broken cells, reduce stress from the mind, reduce diseases. We get these ions from nature, in this things like flowing water, rock, rock salt create them. You must have ever felt relaxed by sitting near a fountain, which often happens, the mood becomes good in the rain, all this happens because of these ions.
Keeping fountain in the house, rock salt lamp, green plants are a part of this. Now ionizers have started coming in the market, which are sold as harmonizer, actually it is the same but it is also beneficial. That's why if there is any common disease like stress in the house, then definitely check it, for this emf detector device also comes which is easily available at low cost.
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