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मुख्य द्वार और वास्तु शास्त्र - main entrance in vastu shastra

मुख्य द्वार घर का बहुत महत्वपूर्ण अंग माना गया है वास्तु शास्त्र के ग्रंथों के अनुसार एक प्रॉपर्टी में 32 तरह के मुख्य द्वार हो सकते है जिनका अलग अलग असर मिलता है. टेक्निकल भाषा में बात करें तो एक प्रॉपर्टी 360 डिग्री की होती है यदि 32 से भाग करें तो एक द्वार तक़रीबन 11. 25 डिग्री का हुआ, और हर द्वार को एक देवता का नाम दिया गया है. इन सबका  उल्लेख हमे वास्तु शास्त्र में मिलता है. 

 

इस प्रकार से हर दिशा में 8-8 द्वार होते है जिनका अपना अलग प्रभाव होता है

 

उत्तर दिशा के मुख्य द्वारों के प्रभाव



इन आठ हिस्सों में main door होने का अलग अलग असर घर पर पड़ता है. क्या है ये असर आइये जानते है. दी हुई pic से इन देवताओं के नाम पढ़ सकते है.






रोग - इस कोण में मुख्य द्वार होने से व्यक्ति अनजाने शत्रुओं से परेशान रहते है, पूरा समय व् धन दुश्मनी में ही निकलता है 


नाग  - धन का नुकसान होता है, साथ ही बुरे कर्म वाले लोग मिलते है. नज़र दोष ऐसे घरों में होता है. 


मुख्या - ये द्वार शुभ माना गया है , धन प्राप्ति होती रहती है. 



भल्लाट - जमीन - जायदाद बनती है, अत्यधिक धन कमाता है. 


सोम - कुबेर  - कुछ हद तक ठीक ही होता है, चरित्र धार्मिक होता है. 


भुजग - ऐसे घर में मुखिया का या सभी लोगो का स्वभाव नकारात्मक या समझ से बाहर हो जाता है, जिसके कारण इन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. 


अदिति - कई मामलों में अच्छा होता है लेकिन बच्चे खासकर कन्या का अपने धर्म या परम्पराओं में विश्वास कम हो जाता है. 


दिति - दिमाग तेज़ होता है, ऐसी entrance होने पर अत्यधिक धन आगमन देखा गया है. 





दक्षिण दिशा के 8 दरवाज़े



southeast से शुरू करते हुए 


वाहु - अनिल - संतान पर बुरा प्रभाव पड़ता है.


पूषा - मिला जुला असर मिलता है. गुस्सा ज्यादा हो सकता है. नौकरी करने वालों के लिए अच्छा।


वितथ - बहुत ज्यादा फायदेमंद, पैसा और सुख दोनों देता है. 


बृहत् - ग्रहक्षत - बड़ा कारोबार करने वालो के लिए अच्छा। 


यम - कर्ज़ा ही रहेगा। 


गंधर्व - गरीबी देता है. 


भृंगराज - बेजार, ऐसी entrance से बचना चाहिए। 


मृग - धन भी जाएगा और रिलेशनशिप्स भी बिगड़ेंगी।  





पूर्व दिशा के द्वारों का प्रभाव




1. शिखि (shikhi)  - अग्नि संबंधित दुर्घटनाएं इन घरों में देखी जाती है.


2. प्रजन्य (prajnya) - खर्चे बहुत ज्यादा होते है, इसके अलावा लड़कियों की संख्या अधिक हो सकती है. 


3. जयंत (jayant) - कमाई अच्छी होती है. ये द्वार शुभ होता है. 


4. इंद्र  (indra) - ऐसे लोग GOVERNMENT के अच्छे सम्पर्क में रहते है. शुभ द्वार 


5. सूर्य (surya) - ऐसे लोगो में attitude problem होती है, जिसके कारण बार बार नुकसान हो सकता है. 


6 सत्य (satya) - ऐसे लोग भरोसेमंद नहीं माने जाते, अपनी बात पर भी नहीं टिकते।


7. भृश (bhrish) - स्वभाव थोड़ा कटु होता है, परेशान ही रहते है हर वक़्त. 


8. अंतरिक्ष (antriksh) - नुकसान, एक्सीडेंट्स. चोरी ऐसे घरों में चलती रहती है. 







 

 

पश्चिम दिशा के मुख्य गेट के प्रभाव



पितृ - बेहद नुकसान दायक, धन और संबंध बहुत खराब होंगे। 


दौवारीक - अस्थिरता देता है. टिकाव नहीं रहेगा. 


सुग्रीव - ये entrance विकास देती है. आगे बढ़ते ही रहेंगे. 


पुष्पदन्त (pushpdant vastu) - एक संतुष्ट जिंदगी देता है. ख़ुशी मिलती है. 


वरुण (varun) - व्यक्ति बहुत ज्यादा पाने की चाहत रखने लगता है जिससे नुकसान संभव है. 


असुर (asur) - ये नुकसान देती है एक मानसिक परेशानी चलती रहती है. 


शोष - shosh in vastu - गलत आदत पड़ जाती है. व्यक्ति बुरी लत में उलझा रहता है. 


पापयक्षमा - इसमें व्यक्ति मतलबी हो जाता है अपना ही फायदा देखने वाला। 



इन मुख्य द्वारों से हम घर की स्थिति बहुत आसानी से समझ सकते है,देवता के पद पर जो द्वार है या दो -तीन देवताओं के पद पर द्वार है तो उनका मंत्र कागज पर लिख कर लगा देने से द्वार का अशुभ प्रभाव क्षीण हो जाता है. इसके अलावा बुरे प्रभाव मिलने पर यहाँ संबंधित तत्त्व के रंग की पट्टी दहलीज़ पर लगा देते है या या संबंधित धातु से इसका उपाय करते है, और सही वाले द्वार की जगह से द्वार निकालने की कोशिश करते है. 





वास्तु एक निरंतर प्रक्रिया है हमारा शरीर तत्वों से मिलकर बना है और ये समस्त संसार भी. जब हम कोई कार्य भी कर रहें है तो भी वास्तु लागू होता है और नहीं भी कर रहे तो भी वास्तु शास्त्र लागू होता है. 


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