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पृथ्वी स्नान - एक अनोखी प्रक्रिया










 पृथ्वी स्नान एक प्रकार का ऐसी क्रिया जो प्यार और स्थायित्व को प्रदान करने में सक्षम है. हमारे भारतीय धर्म इसका महत्व रहा है लेकिन आज के उलझन भरे माहौल में ये और ज्यादा जरुरी हो गया है आइये जानते है क्यों। 

जिंदगी में स्टेबिलिटी लाना या होना सब लोगो की सबसे पहली जरूरत है ऐसा नहीं हो  सकता के आप एक दिन फाइव स्टार गुजार रहे है और एक दिन मांग कर गुजारा कर रहे है भला ऐसा कौन चाहेगा।  सब लोग जिंदगी में स्थायित्व चाहते है.  बार बार नौकरी छूटना या काम धंधा बदलते रहना, रिलेशनशिप में उतार चढ़ाव रहना, आमदनी अनिश्चित होना, बार बार भगवान बदलते रहना, एक अजीब सा डर मन व्याप्त रहना ये सब पृथ्वी तत्व की कमजोरी है. 


पुराने जमाने में इच्छाएं कम थी मै ऐसा बिलकुल नहीं कहता के नहीं थी लेकिन फिर आज ज़माना बहुत तेज़ी से भाग रहा है तो उस मुकाबले कम थी लेकिन अब इच्छाएँ अति हो रही है. हमे हर क्षेत्र चाहे पैसा, घर, सोसाइटी, संबंध, दिखावा हर जगह अपनी मौजूदगी दिखाने में दिलचस्पी होने लगी है जो की शरीर के मूलाधार चक्र को दाए बाए चलाता रहता है और नतीजा हम कही पर भी अपने आप को फिट नहीं रख पाते. 


छोटा बच्चा जमीन पर खेलता है उसमे लौट पॉट होता है मस्ती करता है दूसरे भी उसको देख कर अपना डिप्रेशन भूल जाते है. छोटी मोटी चोट भूख प्यास से अनजान बच्चा धरती की गोद में खेलता रहता है. इसे धरती की ऊर्जा में समाना या धरती माँ की असीम ऊर्जा  के साथ मिलान करना है. 


हम लोग धरती की इस ताकत से दूर होते जा रहे है और अपने बच्चो को भी इससे दूर करने की कोशिश कर रहे है जिस कारण अनेक बीमारियां उन्हें घेरे रखते है. 


पृथ्वी स्नान एक आसान और अनोखी प्रक्रिया है आप इसके द्वारा अपने मूल शरीर को शांत कर सकते है और प्यार की तरफ  मोड़ सकते है. आध्यात्म में धरती तत्व सही होना प्रारंभिक क्रिया है, अष्टांग योगसूत्र में अहिंसा सबसे प्रथम यम अंग है जो मूल रूप से मूलाधार यानी पृथ्वी से जुड़ा है. 

तरीका सिर्फ यही है के कैसे पृथ्वी तत्व से जुड़ाव करे. बहुत आसान तरीका है मिटटी से नहाना, काफी सारे जानवर मिटटी में लोट पॉट हॉट है खेलते है अपने आप को ठीक करते है. मुल्तानी मिटटी का शरीर पर लेप लगाना भी इसी का एक उदाहरण है. पुरे शरीर पर उपटन लगाकर फिर उसे जलाकर भयंकर किया कराया भी पृथ्वी स्नान का अंग है. पृथ्वी पर बैठ कर भोजन करना या जमीन पर सोना चाहे थोड़े समय के लिए हमारे मूल तत्व को सही करता है. 


mud therapy इसका प्रचलित आधुनिक नाम है, धरती में पोषक तत्व होते है जो शरीर पर जब आते है तो शरीर की गंदगी बहुत तेज़ी से रोम छिद्रो से खिंच लेते है जिससे धीरे धीरे शरीर हल्का होता है और इस प्रक्रिया को थोड़े थोड़े समय अंतराल पर करते रहे तो भयंकर शारीरिक रोग ठीक हो  सकते है. 



धन्यवाद 

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