बल बुद्धि विद्या देहु मोंहि हरहु कलेस विकार
ये हनुमान चालीसा की बहुत सुन्दर पंक्तिया है और इनका अर्थ भी अत्यंत गूढ़ है. आइये जानते है इस पंक्ति का रहस्य
bal budhu vidya dehu mohe
harehu kalesh vikar
Arth aur matlab
हनुमानजी को तंत्र मंत्र का ज्ञाता माना जाता है. अष्ट सिद्धि और नव निधि दायक हनुमानजी को ही माना जाता है.
बल बुद्धि विद्या देहु मोंहि हरहु कलेस विकार
यहाँ तुलसीदास जी हनुमानजी से बल बुद्धि विद्या मांगते है अगर गौर से देखे तो पहले बल माँगा गया है उसके बाद बुद्धि मांगी गई, यदि प्राचीन परम्परा से देखें तो कोई विद्या ग्रहण करने से पहले कुछ नियमों को मानना जरुरी होता था ताकि शरीर को अमुक विद्या ग्रहण करने का बल प्राप्त हो. अष्टांग योग में भी पहले 5 योग सिर्फ शरीर को बल देने हेतु बताये गए है.
लेकिन आज के संदर्भ में इसे बताया तो जाता है लेकिन पालन नहीं किया जाता, ध्यान करके भी काम चलाया जाता है लेकिन ध्यान भी शरीर को बल नहीं देता सिर्फ एकाग्र करता है. यम नियम आसान प्राणायाम प्रत्याहार के बिना रहस्यमयी विद्याएँ नुकसान तक दे देती है.
रैकी जो की एक मॉडर्न तंत्र ही है, मेरी अपनी लाइफ रैकी या इसी के जैसी अन्य ऊर्जाओं को ट्रांसफर करने जैसी विद्याओं के करने वाले 70 -80 प्रतिशत लोग परेशान ही मिलते है.
अगर सही से हम देखे तो सबसे पहले सबसे simple rule है शारीरिक बल, जो की विद्या से आने वाली अति प्रभावी ऊर्जा को ग्रहण करने में समर्थ हो. रामचरितमानस में अनेक ऐसे रहस्य मिलते है जो की हमारी daily life से जुड़े होते है.
प्रतीक गुप्ता वास्तुशास्त्री
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