महाभारत काल में वास्तु को लेकर कुछ प्रमाण मिलते है. उनमे से एक प्रमाण मायासुर का बनाया हुआ मायामहल जो की पांडवो ने बनवाया था और महाभारत का युद्ध का कारण बना था. क्या है इसकी कहानी और क्या है वास्तु दोष आइये जानते है.
भगवान श्रीकृष्ण ने दैत्य वास्तुकार मयासुर को पाण्डवों के लिए महल बनाने के लिए आमंत्रित किया। मायासुर ने एक माया महल का निर्माण कर दिया जिसकी चर्चा हर जगह होने लगी. लेकिन मायासुर ने श्री कृष्ण के कहने पर इसमें एक major वास्तु दोष create कर दिया। उन्होंने महल के बीचोंबीच एक पानी के माया स्त्रोत (like a mini swimming pool) का निर्माण कर दिया. इसी पानी में दुर्योधन गिर गया और द्रौपदी का किया हुआ उपहास एक महा युद्ध का कारण बना.
अब बात आती है के वास्तु दोष क्यों डाला गया, एक बात ये आती है के श्री कृष्ण जानते थे के ये राज्य आज नही तो कल कौरवों के पास आ जाएगा चाहे छल से या बल से... और ऐसा ही हुआ. इसलिए उन्होंने ऐसा वास्तु दोष करवाया, दूसरा कारण ये भी है के श्री कृष्ण खुद चाहते थे के युद्ध हो इसलिए उन्होंने ऐसा किया. .... लेकिन इधर बात वास्तु दोष की है इस वास्तु दोष के कारण पूरा वंश समाप्त हुआ जो की महाभारत कथा का सार है.
अब बात आती है के मायासुर को ही क्यों बुलाया गया, जबकि उस समय सबसे महान वास्तु शास्त्री महर्षि गर्ग उपलब्ध थे, इसका एक कारण था के दैत्य कुछ भी कर सकते है, माया का प्रयोग भी दैत्यों को आता है साथ ही देव गुरु कुछ गलत कार्य के लिए मना करते है. वैदिक स्थापत्य और आसुरी स्थापत्य का चलन हमेशा से होता आ रहा है. इसके अलावा भी अन्य वास्तु प्रमाण महाभारत काल में मिलते है.
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