आज चर्चा करते है जन्म कुंडली में चन्द्र-शनि की युति की, मतलब जन्म पत्रिका में चन्द्रमा और शनि का सम्बन्ध बने तो विष योग बन जाता है ऐसा माना जाता है के ये योग परेशानी देता है . क्या सच में परेशानी देता है आइये जानते है.
अभी २-3 दिन पहले एक पोस्ट fb पर पढ़ी के यदि चन्द्र-शनि की युति हो तो जातक पागल जैसा व्यवहार करता है, मानसिक अवसाद का शिकार हो जाता है और ये ब्रह्मवाक्य है मतलब ऐसा होगा ही होगा. शनि के अलावा यदि राहु या मंगल भी चन्द्र के साथ हो तो यही स्थिति होगी. वेसे वैदिक ज्योतिष में ये चन्द्र शनि वाला योग बनने के इतने तरीके हैं के हर कुंडली में ये योग बनाया या I mean होता है.
अगर अपना मै ज्योतिष का अल्पज्ञान भी use करता हूँ तो चन्द्रमा मन का कारक होता है, शनि जी हो गए धीरे धीरे चलने वाले कार्मिक ग्रह, शनिदेव human बॉडी के अनाहत चक्र के मालिक है जिसे heart chakra भी कहते है अब heart चक्र का कार्य समझाने की आवश्यकता नही. इनकी युति होने पर चन्द्रमा दूषित होगा ऐसा reason नज़र नही आता.
इसके अलावा वैदिक ज्योतिष के अनुसार के अनुसार कुछ राशि - नक्षत्र भी प्रभाव डालते है अब यदि शनि गुरु की राशि या गुरु के नक्षत्र में है और चन्द्र की युति है तो मानसिक पागल होगा क्या ???? धार्मिक व्यक्ति होगा. उसके मन में धर्म और अच्छी बाते हर वक़्त रहेंगी. शनि शुभ हो, योग कारक हो चन्द्र युति हो अपने मन की सुनके आगे बढ़ता है.
इसके अलावा शनि धीरे धीरे, समझकर आगे चलने वाला, observer और चन्द्र मन का कारक, अगर युति शुभ प्रभाव में जाये तो किसी के मन में झांकना आसान काम है इनके लिए. हां अगर व्यक्ति अवसाद ग्रस्त है तो एक बार इस युति को देखा जा सकता है लेकिन दशा महादशा भी देखनी होती है.
बाकी मोती बेचना हो या पूजा अनुष्ठान करवाना हो तो तो शनि-चन्द्र देखो और लग जाओ, इमोशनल हर दूसरा व्यक्ति है, डिप्रेशन में पूरी दुनिया है but ये ब्रह्मवाक्य नही हो सकता.
Comments
Post a Comment