वैदिक ज्योतिष के अनुसार 12 राशियां तथा 27 योग होते हैं इनका हमारे छोटे - बड़े सभी कार्यों में महत्व होता है. कभी कभी हम कोई काम बड़े मन से करते है लेकिन असफल होते और बे-मन से किया काम भी बहुत फायदा देता है, ज्योतिष के अनुसार ये सब योग के कारण ही होता है. आज आपको बताते है 27 योग जिनके कारण किसी काम की सफलता या असफलता की प्राप्ति होती है.
what is good yoga in vedic astrology
विषकुम्भ योग : मतलब विष का घड़ा, इस योग में किया गया कोई भी काम नुकसान ही देगा ।
शुभ: कोई भी शुभ काम इस योग में किया जा सकता है.
शुक्ल योग : इस योग में पूजा शुभ होती है, कार्य भी सफल होते है.
ब्रह्म योग : कोई ऐसा काम जिससे शांति मिले या विद्या की प्राप्ति हो, वाद विवाद सुलझाना हो. इस योग में सफल होते है.
ऐन्द्र योग : कोई भी सरकारी काम इस टाइम में करें, रात को करने से बचें
वैघृति योग : इस योग में यात्रा नही करनी चाहिए, कोई भी टिका हुआ काम कर सकते है.
प्रीति योग : इसका मतलब है प्यार। किसी से मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने, रिश्तेदारों से बनाने के लिए ये योग शुभ होता है.
आयुष्मान योग : इस योग में किया हुआ कार्य बहुत लम्बे समय तक आपका साथ देगा व् आपको शुभ प्रभाव देगा.
सौभाग्य योग : इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अक्सर विवाह आदि मुहूर्त में यह योग देखा जाता है। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते।
शोभन : इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है, मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी हो जाती है खूब आनंद की अनुभूति होती है।
अतिगंड : यह योग बड़ा दुखद होता है। इसमें किए गए शुभ एवं मंगलमय कार्य नुकसान ही देते है. । इस योग में किए गए कार्यो से धोखे और अवसाद जन्म लेते हैं।
सुकर्मा योग : नई नौकरी को ज्वाईन करना अथवा घर में कोई धार्मिक आयोजन सुकर्मा योग में करना अति शुभदायक होता है। इस योग में किए गए कार्यों में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। ईश्वर का नाम लेने और सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम एवं श्रेष्ठ है।
घृति योग : यदि किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास अर्थात नींव पत्थर रखने के लिए घृति योग बहुत बढिय़ा होता है । इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात यदि रहने के लिए किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता हुआ आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
शूल योग : वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: कभी भी इस योग में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
गंड योग : किसी भी काम को इस योग में करने से अड़चनें ही पैदा होती हैं तथा कभी भी कोई मामला हल नहीं होता जैसे गांठें खोलते-खोलते इंसान थक जाएगा तो भी कोई काम सही नहीं होगा। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गंड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
वृद्धि योग : कोई भी नया काम या नया रोजगार शुरू करने के लिए यह योग सबसे बढिय़ा है। इस योग में किए गए काम में न तो कोई रुकावट आती है और न ही कोई झगड़ा होता है। इस योग में जन्मा जातक बीमारी आदि से भी बचा रहता है।
ध्रुव योग : किसी भी स्थिर कार्य को इस योग में करने से प्राय: सफलता मिलती है। किसी भवन या इमारत आदि का निर्माण इसी योग में शुरू करना पुण्य फलदायक होता है परंतु कोई भी अस्थिर कार्य जैसे कोई गाड़ी अथवा वाहन लेना इस योग में सही नहीं है।
व्याघात योग : इस योग में यदि किसी का भला भी किया जाए तो भी दूसरे का नुक्सान ही होगा। इस योग में यदि किसी कारण कोई गलती भी हो जाए तो भी उसके भाई बंधु उसका साथ इसलिए छोड़ देते हैं कि उसने जान-बूझ कर ऐसा किया है अर्थात इस योग में किए गए कार्यों में विघ्न बाधाएं ही आएंगी।
हर्षण योग: जितने भी कार्य इस योग में किए जाते हैं सभी किसी न किसी तरह खुशी ही प्रदान करते हैं। लेकिन सयाने लोग इस योग में प्रेत कर्म यानि पितरों को मनाने वाले कर्म न करने की सलाह देते हैं।
वज्र योग : किसी भी तरह की खरीदारी अगर वज्र योग में की जाए तो लाभ के बदले भी हानि ही होती है। ऐसे योग में यदि कोई वाहन आदि खरीद लिया जाए उससे हानि ही होगी अर्थात वाहन से दुर्घटना हो जाती है तथा चोट आदि भी लगती है। सोना खरीदने पर चोरी हो जाता है, कपड़ा खरीदा जाए तो वह किसी कारण वश फट जाता है या खराब निकलता है।
सिद्धि योग : प्रभु का नाम लेने या मंत्र सिद्धि के लिए यह योग बहुत बढिय़ा है। इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा उसमें निश्चय ही सफलता मिलेगी।
व्यतिपात योग : यह योग जब हो तो कार्य में हानि ही हानि पहुंचाता है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से हानि ही उठानी पड़ेगी। किसी का भला करने पर भी हानि ही होगी ।
वरियान योग : मंगलदायक कार्य में वरियान नामक योग सफलता प्रदान करता है मगर पाप कर्म या प्रेत कर्म में हानि पहुंचाता है इसलिए कोई भी पितरों का काम इस योग में नहीं करना चाहिए।
परिघ योग : इस योग में शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है।
शिव योग : शिव नामक योग बड़ा शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है।
सिद्ध योग : यदि गुरु से ज्ञान लेकर किसी मंत्र पर ध्यान करना हो तो यह उत्तम योग है । इस योग में जो कोई कार्य भी सीखना शुरू किया जाए उसमें पूरी तरह सफलता मिलती है गुरु के साथ बैठकर भक्ति करने के लिए यह बढिय़ा समय है। इस योग में भोगविलास से दूर रहे।
साध्य योग : इस योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और पूर्ण सफलता मिलती है।
कब कौन सा योग चल रहा है इसका पता आप किसी ब्राह्मण से पता कर सकते है,, इसके अलावा ऑनलाइन भी कई सारी वेबसाइट इसकी जानकारी देती है.
विषकुम्भ योग : मतलब विष का घड़ा, इस योग में किया गया कोई भी काम नुकसान ही देगा । शुक्ल योग : इस योग में पूजा शुभ होती है, कार्य भी सफल होते है.
ब्रह्म योग : कोई ऐसा काम जिससे शांति मिले या विद्या की प्राप्ति हो, वाद विवाद सुलझाना हो. इस योग में सफल होते है.
ऐन्द्र योग : कोई भी सरकारी काम इस टाइम में करें, रात को करने से बचें
वैघृति योग : इस योग में यात्रा नही करनी चाहिए, कोई भी टिका हुआ काम कर सकते है.
प्रीति योग : इसका मतलब है प्यार। किसी से मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने, रिश्तेदारों से बनाने के लिए ये योग शुभ होता है.
आयुष्मान योग : इस योग में किया हुआ कार्य बहुत लम्बे समय तक आपका साथ देगा व् आपको शुभ प्रभाव देगा.
सौभाग्य योग : इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अक्सर विवाह आदि मुहूर्त में यह योग देखा जाता है। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते।
शोभन : इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है, मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी हो जाती है खूब आनंद की अनुभूति होती है।
अतिगंड : यह योग बड़ा दुखद होता है। इसमें किए गए शुभ एवं मंगलमय कार्य नुकसान ही देते है. । इस योग में किए गए कार्यो से धोखे और अवसाद जन्म लेते हैं।
सुकर्मा योग : नई नौकरी को ज्वाईन करना अथवा घर में कोई धार्मिक आयोजन सुकर्मा योग में करना अति शुभदायक होता है। इस योग में किए गए कार्यों में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। ईश्वर का नाम लेने और सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम एवं श्रेष्ठ है।
घृति योग : यदि किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास अर्थात नींव पत्थर रखने के लिए घृति योग बहुत बढिय़ा होता है । इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात यदि रहने के लिए किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता हुआ आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
शूल योग : वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: कभी भी इस योग में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
गंड योग : किसी भी काम को इस योग में करने से अड़चनें ही पैदा होती हैं तथा कभी भी कोई मामला हल नहीं होता जैसे गांठें खोलते-खोलते इंसान थक जाएगा तो भी कोई काम सही नहीं होगा। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गंड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
वृद्धि योग : कोई भी नया काम या नया रोजगार शुरू करने के लिए यह योग सबसे बढिय़ा है। इस योग में किए गए काम में न तो कोई रुकावट आती है और न ही कोई झगड़ा होता है। इस योग में जन्मा जातक बीमारी आदि से भी बचा रहता है।
ध्रुव योग : किसी भी स्थिर कार्य को इस योग में करने से प्राय: सफलता मिलती है। किसी भवन या इमारत आदि का निर्माण इसी योग में शुरू करना पुण्य फलदायक होता है परंतु कोई भी अस्थिर कार्य जैसे कोई गाड़ी अथवा वाहन लेना इस योग में सही नहीं है।
व्याघात योग : इस योग में यदि किसी का भला भी किया जाए तो भी दूसरे का नुक्सान ही होगा। इस योग में यदि किसी कारण कोई गलती भी हो जाए तो भी उसके भाई बंधु उसका साथ इसलिए छोड़ देते हैं कि उसने जान-बूझ कर ऐसा किया है अर्थात इस योग में किए गए कार्यों में विघ्न बाधाएं ही आएंगी।
हर्षण योग: जितने भी कार्य इस योग में किए जाते हैं सभी किसी न किसी तरह खुशी ही प्रदान करते हैं। लेकिन सयाने लोग इस योग में प्रेत कर्म यानि पितरों को मनाने वाले कर्म न करने की सलाह देते हैं।
वज्र योग : किसी भी तरह की खरीदारी अगर वज्र योग में की जाए तो लाभ के बदले भी हानि ही होती है। ऐसे योग में यदि कोई वाहन आदि खरीद लिया जाए उससे हानि ही होगी अर्थात वाहन से दुर्घटना हो जाती है तथा चोट आदि भी लगती है। सोना खरीदने पर चोरी हो जाता है, कपड़ा खरीदा जाए तो वह किसी कारण वश फट जाता है या खराब निकलता है।
सिद्धि योग : प्रभु का नाम लेने या मंत्र सिद्धि के लिए यह योग बहुत बढिय़ा है। इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा उसमें निश्चय ही सफलता मिलेगी।
व्यतिपात योग : यह योग जब हो तो कार्य में हानि ही हानि पहुंचाता है। अकारण ही इस योग में किए गए कार्य से हानि ही उठानी पड़ेगी। किसी का भला करने पर भी हानि ही होगी ।
वरियान योग : मंगलदायक कार्य में वरियान नामक योग सफलता प्रदान करता है मगर पाप कर्म या प्रेत कर्म में हानि पहुंचाता है इसलिए कोई भी पितरों का काम इस योग में नहीं करना चाहिए।
परिघ योग : इस योग में शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है।
शिव योग : शिव नामक योग बड़ा शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है।
सिद्ध योग : यदि गुरु से ज्ञान लेकर किसी मंत्र पर ध्यान करना हो तो यह उत्तम योग है । इस योग में जो कोई कार्य भी सीखना शुरू किया जाए उसमें पूरी तरह सफलता मिलती है गुरु के साथ बैठकर भक्ति करने के लिए यह बढिय़ा समय है। इस योग में भोगविलास से दूर रहे।
साध्य योग : इस योग में कार्य सीखने या करने में खूब मन लगता है और पूर्ण सफलता मिलती है।
शुभ: कोई भी शुभ काम इस योग में किया जा सकता है.
शुक्ल योग : इस योग में पूजा शुभ होती है, कार्य भी सफल होते है.
ब्रह्म योग : कोई ऐसा काम जिससे शांति मिले या विद्या की प्राप्ति हो, वाद विवाद सुलझाना हो. इस योग में सफल होते है.
ऐन्द्र योग : कोई भी सरकारी काम इस टाइम में करें, रात को करने से बचें
वैघृति योग : इस योग में यात्रा नही करनी चाहिए, कोई भी टिका हुआ काम कर सकते है.
प्रीति योग : इसका मतलब है प्यार। किसी से मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने, रिश्तेदारों से बनाने के लिए ये योग शुभ होता है.
आयुष्मान योग : इस योग में किया हुआ कार्य बहुत लम्बे समय तक आपका साथ देगा व् आपको शुभ प्रभाव देगा.
सौभाग्य योग : इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अक्सर विवाह आदि मुहूर्त में यह योग देखा जाता है। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते।
शोभन : इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है, मार्ग में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती जिस कामना से यात्रा की जाती है वह भी पूरी हो जाती है खूब आनंद की अनुभूति होती है।
अतिगंड : यह योग बड़ा दुखद होता है। इसमें किए गए शुभ एवं मंगलमय कार्य नुकसान ही देते है. । इस योग में किए गए कार्यो से धोखे और अवसाद जन्म लेते हैं।
सुकर्मा योग : नई नौकरी को ज्वाईन करना अथवा घर में कोई धार्मिक आयोजन सुकर्मा योग में करना अति शुभदायक होता है। इस योग में किए गए कार्यों में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी। ईश्वर का नाम लेने और सत्कर्म करने के लिए यह योग अति उत्तम एवं श्रेष्ठ है।
घृति योग : यदि किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास अर्थात नींव पत्थर रखने के लिए घृति योग बहुत बढिय़ा होता है । इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं देता है अर्थात यदि रहने के लिए किसी घर का शिलान्यास यदि इस योग में किया जाए तो इंसान उस घर में रहकर सब सुख-सुविधाएं प्राप्त करता हुआ आनंदमय जीवन व्यतीत करता है।
शूल योग : वैसे तो इस योग में कोई काम कभी पूरा होता ही नहीं परंतु यदि अनेक कष्ट सहने पर पूरा हो भी जाए तो शूल की तरह हृदय में एक चुभन सी पैदा करता रहता है। अत: कभी भी इस योग में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
गंड योग : किसी भी काम को इस योग में करने से अड़चनें ही पैदा होती हैं तथा कभी भी कोई मामला हल नहीं होता जैसे गांठें खोलते-खोलते इंसान थक जाएगा तो भी कोई काम सही नहीं होगा। इसलिए कोई भी नया काम शुरू करने से पहले गंड योग का ध्यान अवश्य करना चाहिए।
वृद्धि योग : इस योग में कोई नया काम जैसे बिज़नेस करना शुभ रहता है बिना किसी दिक्कत के काम हो जाता है.
ध्रुव योग : कोई स्थिर काम जैसे मकान लेना या बनवाना इस योग में शुभ रहता है. लेकिन अस्थिर जैसे वाहन अशुभ होता है.
व्याघात योग : इस योग में किया कार्य नुकसान और बेइज़्ज़ती देता है.
हर्षण योग: इस योग में हर तरह का काम ख़ुशी देगा।
वज्र योग : किसी भी तरह का सामान लेना इस योग में नुकसान ही देगा, मकान, वाहन, कपड़ा कुछ भी नही लेना चाहिए इस योग में.
सिद्धि योग : इस योग में जो कार्य भी शुरू किया जाएगा उसमें निश्चय ही सफलता मिलेगी।
व्यतिपात योग : इस योग सिर्फ नुकसान ही मिलेगा चाहे किसी का भला ही कर लो तो भी.
वरियान योग : कोई अच्छा काम या मंगल कार्य करना हो तो अच्छा रहेगा लेकिन किसी का बुरा करना हो ओ इस मुहूर्त में न करे उल्टा पड़ सकता है.
परिघ योग : इस योग में शत्रु पर विजय अवश्य मिलती है।
शिव योग : इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। इस योग में यदि प्रभु का नाम लिया जाए तो सफलता मिलती है।
सिद्ध योग : इस योग में जो कोई कार्य भी सीखना शुरू किया जाए उसमें पूरी तरह सफलता मिलती है. इस योग में भोगविलास से दूर रहे।
साध्य योग : इस योग में विद्या या काम सीखने में पूर्ण सफलता मिलती है।
कब कौन सा योग चल रहा है इसका पता आप किसी ब्राह्मण से पता कर सकते है,, इसके अलावा ऑनलाइन भी कई सारी वेबसाइट इसकी जानकारी देती है.
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