जिन भवनो के सिर्फ पश्चिम दिशा की तरफ मार्ग होता है वह पश्चिम दिशा के भूखण्ड कहे जाते है । ऐसे भूखण्ड का शुभ अशुभ प्रभाव उस भवन में रहने वाली संतान पर पड़ता है। यहाँ पर हम आपको कुछ Vaastu rules बता रहे है जिसका पालन करते हुए कोई भी अपने पश्चिम मुख वाले भवन को अपने लिए बहुत ही शुभ बना सकता है।
west facing house/plot vastu tips
west facing वाले भवन मुख्य द्वार पश्चिम की तरफ ही होना चाहिए । नैत्रत्य कोण अर्थात दक्षिण पश्चिम दिशा एवं वायव्य कोण अर्थात उत्तर पश्चिम दिशा में main entrance नही होना चाहिए । नैत्रत्य कोण में मुख्य द्वार होने पर घर में बीमारी, धन हानि एवं आकाल मृत्यु का भय रहता है ।
पश्चिम मुख वाले भवन में अगर आगे की तरफ खाली हो तो पीछे पूर्व की तरफ और यदि संभव हो तो उत्तर दिशा की तरफ भी खाली स्थान अवश्य ही छोड़ना चाहिए । पूर्व दिशा की जगह पश्चिम दिशा में ज्यादा open space होने पर संतान को परेशानी उठानी पड़ती है । पश्चिम व् दक्षिणी हिस्से हमेशा उत्तर व् पूर्वी हिस्से से भारी रहने चाहिए
west facing plot के भवन में अगर सामने के भाग में ऊँची दीवार के साथ निर्माण किया जाय तो यह बहुत ही शुभदायक होता है । पश्चिम दिशा वाले भवन में चारदीवारी पीछे पूर्व दिशा की चारदीवारी से सदैव ऊँची होनी चाहिए।
पश्चिम दिशा वाले भवन के आगे के भाग में फर्श/बरामदा पीछे अर्थात पूर्व की दिशा के फर्श बरामदे से ऊँचा होना चाहिए इससे यश एवं सफलता की प्राप्ति होती है। लेकिन इसके नीचे होने से धन की हानि के साथ साथ अपयश का सामना भी करना पड़ सकता है ।
west facing plot vastu के अनुसार इस दिशा में बनाये गए rooms के फर्श एवं उसकी छत की ऊंचाई भी पूर्व दिशा में बनाये गए कक्षों से अधिक होनी चाहिए ।
पश्चिम दिशा के भवन में जल की निकासी (water flow) उत्तर, पूर्व या ईशान में होनी चाहिए । जल की निकासी घर के सम्मुख अर्थात पश्चिम दिशा में होने से घर के निवासियों को तरह तरह के गम्भीर रोगो का सामना करना पड़ सकता है ।
पश्चिम दिशा वाले भवन के आगे वाले भाग में ऊँचे और भारी trees लगाने से शुभ फल मिलते है। लेकिन मैन गेट के आगे पेड़ नही लगाना चाहिए
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