सूर्य नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह है. सभी ग्रह इनकी परिक्रमा करते हैं. ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को प्रमुख ग्रह के रूप मान्यता प्राप्त है. और क्या महत्व है सूर्य का लाल किताब में आइये जानते है
sun in lal kitab astrology
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सम्पूर्ण विश्व राशि-नक्षत्र और ग्रहों से प्रभावित है. सूर्य सभी ग्रहों का राजा है. लाल किताब ग्रहों के राजा को टेवे में प्रथम खाना का अधिपति मानता है.
सूर्य ग्रह सिंह राशि का स्वामी है और यही इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है. सूर्य सदैव मार्गी चलता हैं. मेष राशि में सूर्य उच्च होता हैं एवं तुला राशि में नीच. सूर्य चन्द्र, मंगल और बृहस्पति का मित्र है जबकि बुध के साथ समभाव रखता है. सूर्य के शत्रु ग्रह शुक्र, शनि, राहु एवं केतु हैं. सूर्य अपने सातवें घर को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं. इनमें सत्वगुण की प्रधानता होती है और ये स्थिर स्वभाव के होते हैं. सूर्य पित्त प्रधान ग्रह हैं. इनसे प्रभावित व्यक्ति बहुत जल्दी उग्र हो जाते हैं. गंभीरता एवं आत्माभिमान भी इनसे प्रभावित व्यक्तियों में दिखाई देता है. यह दृढ़ इच्छा शक्ति देता है और नेतृत्व की क्षमता प्रदान करता है.
टेवे में सूर्य मंदा होने पर व्यक्ति में अभिमानी होता है. छोटी छोटी बातों पर क्रोधित होकर लड़ने को तैयार रहता हैं. अशुभ सूर्य हृदय को कठोर बनता है अर्थात मन में दया की भावना का अभाव होता है.
शरीर का दाहिना भाग सूर्य से प्रभावित होता है. दाहिनी आंख, हृदय एवं हड्डियों पर सूर्य प्रभाव रखता है. आत्मिक बल, धैर्य, स्वास्थ्य के अधिकारी सूर्य होते हैं. सूर्य मंदा होने पर दुर्बलता, मानसिक अशांति, हृदय रोग एवं नेत्र सम्बन्धी रोग देता है.
लाल किताब कहता है कि टेवे में किसी खाने में सूर्य के साथ चन्द्र, मंगल, बुध हो तो उत्तम फल प्रदान करता है. सूर्य का प्रभाव खाना नम्बर 5 पर होने से भाग्य प्रबल होता है. सूर्य मजबूत और शुभ स्थिति में होने पर राज्याधिकारी एवं विशिष्ट पद दिलाता है.
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