वास्तु शास्त्र पंच तत्वों पर आधारित है। ये पंच तत्व है अग्नि, वायु, पानी, पृथ्वी व आकाश। सूर्य भी अग्नि का ही स्वरूप माना गया है। अत: सूर्य भी वास्तु शास्त्र को प्रभावित करता है। इसलिए जरूरी है कि सूर्य के उदय होने से अस्त होने तक की दिशा व समय के अनुसार ही हम भवन निर्माण करें तथा अपनी दिनचर्या का निर्धारण करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार जानिए सूर्य उदय से लेकर सूर्य अस्त तक हमें किस समय क्या कार्य करना चाहिए-
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार मध्य रात्रि से तड़के 3 बजे तक सूर्य पृथ्वी के उत्तरी भाग में होता है। यह समय अत्यंत गोपनीय होता है। यह दिशा व समय कीमती वस्तुओं या जेवरात आदि को संभाल कर गुप्त स्थान पर रखने के लिए उत्तम है।
2. सूर्योदय से पहले रात्रि 3 से सुबह 6 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। इस समय सूर्य पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग में होता है। यह समय चिंतन-मनन व अध्ययन के लिए बेहतर होता है।
3. सुबह 6 से 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी हिस्से में रहता है। इसीलिए घर ऐसा बनाएं कि इस समय सूर्य की पर्याप्त रोशनी घर में आ सके।
4. सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक सूर्य पृथ्वी के दक्षिण-पूर्व में होता है। यह समय भोजन पकाने के लिए उत्तम है। रसोईघर व स्नानघर (बाथरूम) गीले होते हैं। ये ऐसी जगह होने चाहिए, जहां सूर्य की पर्याप्त रोशनी आ सके, तभी ये स्थान सूखे और स्वास्थ्यकर हो सकते हैं।
5. दोपहर 12 से 3 बजे तक विश्रांति काल (आराम का समय) होता है। सूर्य अब दक्षिण में होता है, अत: आराम कक्ष इसी दिशा में बनाना चाहिए।
6. दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक अध्ययन और कार्य का समय होता है और सूर्य दक्षिण-पश्चिम भाग में होता है। अत: यह दिशा अध्ययन कक्ष (स्टडी रूम) या पुस्तकालय (लाइब्रेरी) के लिए उत्तम है।
7. शाम 6 से रात 9 तक का समय खाने, बैठने और पढऩे का होता है। इसलिए घर का पश्चिमी कोना भोजन या बैठक कक्ष के लिए उत्तम होता है।
8. शाम 9 से मध्य रात्रि के समय सूर्य घर के उत्तर-पश्चिम में होता है। यह स्थान शयन कक्ष (बेडरूम) के लिए भी उपयोगी है।
Comments
Post a Comment