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वास्तु शास्त्र में कपूर का उपयोग - use of camphor in vastu



कपूर का उल्लेख आयुर्वेद व् अन्य वेदों में भी मिलता है, हिन्दू विधि-विधानों में कपूर का उपयोग सबसे पहले  किया जाता है. कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैंफ़र (camphor) कहते हैं। आइये जानते है क्या है वास्तु शास्त्र में कपूर के फायदे और कैसे करे इसका उपयोग। 











कपूर तीन विभिन्न वर्गों की वनस्पति से प्राप्त होता है। इसीलिए यह तीन प्रकार का होता है :

(1) चीनी (Chinese) अथवा जापानी (Japanese)कपूर,
(2) भीमसेनी अथवा बरास कपूर,
(3) हिंदुस्तानी अथवा पत्रीकपूर।

उपर्युक्त तीनों प्रकार के कपूर के अतिरिक्त आजकल संश्लिष्ट (synthesized) कपूर भी तैयार किया जाता है।

ये कपूर आयुर्वेद में चिकित्सा में उपयोग होते है लेकिन इसका वास्तु शास्त्र  में भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. वैदिक वास्तु शास्त्र में कोई भी वास्तु सम्बंधित उपाय करने से पहले कपूर का उपयोग किया जाता है. 

कपूर के फायदे (benefit of camphor in vastu shastra)


कपूर जलाने से उस स्थान में उपस्थित सभी नकरात्मक ऊर्जा ( विज्ञानं में नकरात्मक गैसे ) को समाप्त कर देता है, इसी इसका उपयोग हवन सामग्री में किया जाता है 

देसी कपूर जलने से वातावरण में ऑक्सीजन (oxygen level) का बहाव बढ़  जाता है जो हमारे शरीर के लिए अच्छा रहता है 

कपूर के उपयोग से शरीर में किसी भी प्रकार की ब्लॉकेज ठीक होने लगती है 

कपूर पाउडर (camphor powder) को पानी में डालकर उसका पोंछा लगाने से वातावरण शुद्ध होता है 

वैदिक गुणों के कारण घर में किसी भी वास्तु दोष को ठीक करने की क्षमता होती है कपूर  में 

घर के जिस कोने में खिड़की नही हो व् हवा कम हो उस जगह कपूर उपयोग करने से कोई वास्तु दोष नही लगता.. वास्तु टिप्स बैडरूम के लिए 


उपयोग (how to use camphor in Vastu)


कपूर को आप किसी कांच के बाउल में डालके रख सकते है 

बाजार में कपूर लैंप (camphor lamp) और डिफ्यूजर (diffuser) भी उपलब्ध है जिनमे कपूर को जलाया जा सकता है 

इसके अलावा कपूर पाउडर को पानी में डालके पोंछा व् सफाई में ले सकते है 

यहाँ कपूर का मतलब ऊपर लिखे 3  तरह के कपूर के बारे में है इसके अलावा बाजार सिंथेटिक कपूर भी आता है जिसका उपयोग नही करना चाहिए।  वास्तु शास्त्र में कपूर सबसे बड़ा और सबसे सस्ता वैदिक उपाय है.रसोईघर के लिए वास्तु टिप्स 




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