भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक होता है इसके अलावा एक और नमक का उपयोग किया जाता है सैंधा नमक (rock salt) जिसका प्रचलन धीरे धीरे कम होता जा रहा है.
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आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये भी अच्छा होता है, दस्त में काफी उपयोगी होता है। इसका उल्लेख आयुर्वेद में अनेक जगह मिलता है. लेकिन क्या जानते है वास्तु शास्त्र में भी इसे बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार जो की अब वैज्ञानिक रूप से भी साबित हो चुका है के सेंध नमक वातावरण में ऑक्सीजन की मात्र बढ़ाता है इसके लिए rock salt lamp का उपयोग किया जाता है जो की बाजार में उपलब्ध होता है जिन स्थानो पर शुद्ध वायु नही आती उस स्थान पर इसे रखने से उस स्थान की वायु शुद्ध हो जाती है.
आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से बीपी, डाइबिटीज, लकवा जैसी बीमारियो होने का खतरा बना रहता है। लेकिन सेंधा नमक एक नमक होने के बाद भी बीपी पर नियन्त्रण रहता है । रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
सेंधा नमक सफेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफेद रंग वाला नमक अच्छा होता है। यह हार्ट के लिये अच्छा होता है और पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं।
वास्तु शास्त्र में इसका उपयोग बीमारी के लिए, ध्यान व् एकग्रता बढ़ाने के लिए, वातावरण शुद्ध करने के लिए या किसी स्थान पर नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म करने के लिए किया जाता है. यहाँ तक की इसका उपयोग बौद्ध लोगो द्वारा तंत्र व् अन्य क्रियाओ में किया जाता है. हिमालय से निकलने के कारन इस नमक में अनेक गुण होते है जिसके बारे अनेक लोगो को नही पता होता.
कैसे करे उपयोग
1 पहला उपयोग यही हो सकता है के इसे आप खाने में इस्तेमाल करने शुरू करें
2 बाजार में आजकल rock salt lamp उपलब्ध हैं इनका इस्तेमाल करना बेहद फायदेमंद रहता है
3 तीसरा उपयोग में आप एक बड़ा सा नमक का पत्थर ल सकते है (1 किलो) और इसे अपने कमरे में रख सकते है, लेकिन किसी इलेक्ट्रॉनिक सामान के पास न रखे.
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